बालाघाट: कोरोना वारियर्स एडीओ का वेतन नहीं हुआ रिलीज
बालाघाट: कोरोना वारियर्स एडीओ का वेतन नहीं हुआ रिलीजSocial Media

बालाघाट: कोरोना वारियर्स एडीओ का वेतन नहीं हुआ रिलीज

बालाघाट, मध्यप्रदेश: कोरोना काल में मनमानी पर उतारू जिला आबकारी अधिकारी, जीतोड़ मेहनत कर रहे कोरोना वारियर्स को नहीं मिल रहा वेतन।

बालाघाट, मध्यप्रदेश। प्रदेश में जिला आबकारी अधिकारी तारा सिंह धुर्वे की मनमानी और कारस्तानी रुकने का नाम नही ले रही है, अपनी कारगुजारियों को छिपाने के लिए कोरोना काल में भी कलेक्टर को गुमराह करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह कोई पहला मामला हो, अपने मुखिया को गुमराह करने और गलत नियमों और कानूनो का हवाला देना उनकी आदतो में शुमार है। जहां भी उनकी पदस्थापना रही है, उनकी हरकतें सभी स्थानों पर ऐसी ही रही हैं। पहले अपने डीएम को यह बता दिया गया कि सहायक जिला आबकारी अधिकारी एसडी सूर्यवंशी को नोडल अधिकारी बनाया गया है, मामले की जब पोल खुली तो नया रंग देते हुए पूरे मामले से अपने आपको बचाने के लिए नई रूपरेखा तैयार की।

सवाल यह है कि कोरोना काल में जीतोड़ मेहनत कर रहे कोरोना वारियर्स सहायक जिला आबकारी अधिकारी एमआर उइके और एसडी सूर्यवंशी का बिना गलती के जो वेतन काटा गया था, अभी तक कथित अधिकारी के चलते उन्हे मिला नहीं है, जिसके कारण उन्हे जीवकोपार्जन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

तो टूटेगा मनोबल

दोनों ही सहायक जिला आबकारी अधिकारियों ने इस पूरे कोरोनाकाल में न सिर्फ विभाग के लिए ताबडतोड़ कार्यवाहियां की बल्कि कलेक्टर और अपर कलेक्टर के द्वारा समय-समय पर उन्हे सौंपे गये विभिन्न दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ पूरा किया, लेकिन विवादित जिला आबकारी अधिकारी तारा सिंह धुर्वे की मनमानी और गलत कार्यप्रणाली के चलते दोनों ही कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है, अगर इस मामले में जल्द ही जिला प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया तो मेहनतकश कर्मचारियों को मनोबल टूट सकता है।

खुद की गलती, सजा भोग रहे दूसरे

कलेक्टर दीपक आर्य को तारा सिंह धुर्वे के द्वारा भ्रमित किया जा रहा है, विभाग प्रमुख होने के नाते जिला आबकारी अधिकारी का यह दायित्व था कि, उन्हे, ही सारी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए था, लेकिन जिस दौरान यह पूरा मामला सामने आया था, उस समय वह खुद ही अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहे, अगर इस मामले में कलेक्टर ने जांच शुरू करा दी तो, उनका मोबाइल अक्सर बंद रहता है, या तो वह महत्वपूर्ण सूचना व काम के लिए फोन नही उठाया करते, जो कि उनकी आदतो में शुमार है, गलती विभाग प्रमुख ने की और वेतन रोकने की सलाह भी कथित अधिकारी ने ही अपने मुखिया को दे दी। कुल मिलाकर इस मामले में गलती खुद ने की और इसका खामियाजा, अधिनस्थ कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है, उसके बावजूद दोनो ही कर्मचारी मेहनत और लगन के साथ अपने कार्य पर जुटे हुए हैं, कुल मिलाकर बालाघाट में भी तारा सिंह धुर्वे का वही रूप अन्य जिलों की तरह देखने को मिल रहा है।

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