देश की 100 सशक्त महिलाओं में शामिल #BharatKiLaxmi 'मोनिका पुरोहित'

जो पिछले 15 सालों से मूकबधिर बच्चियों और महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
मोनिका पुरोहित
मोनिका पुरोहितMonica Purohit

राज एक्सप्रेस । #BharatKiLaxmi की तर्ज पर #MPKiLaxmi की इस सीरिज में आईए जानते हैं इंदौर की उस महिला के बारे में जो पिछले 15 सालों से मूकबधिर बच्चियों और महिलाओं को न्याय दिलाने का काम कर रही हैं।

समान्य महिलाएं भी उनके साथ हुए दुष्कर्म की शिकायत करने में हिचकिचाती हैं, तो ज़रा सोचिए की मूकबधिर बच्चियाँ और महिलाएं उनके साथ हुए अत्याचार के बारे में किसे और कैसे शिकायत करेंगी। उनकी भाषा हर कोई नहीं समझता। ऐसी ही महिलाओं की आवाज़ हैं मोनिका पुरोहित। पिछले 15 सालों के अपने इस समाजिक काम में 20 लड़कियों को न्याय दिला पाई हैं। समाज में अपने काम के योगदान से 'मोनिका देश की 100 सशक्त महिलाओं में से एक हैं।'

सांकेतिक भाषा सीखने की वजह

मोनिका ने हमें बताया कि उनके एक करीबी थे, जो मूकबधिर थे। एक दिन ट्रेन में सफर करते समय उनकी अकारण मृत्यु हो गई, जिसके बाद मोनिका के परिवार को उनके करीबी का शव तक नहीं मिल पाया तब से मोनिका ने ठान लिया कि, उन्हें मूकबधिर लोगों के लिए काम करना है विशेषकर महिलाओं के लिए जो अपनी परेशानी कभी नहीं बता पातीं चुपचाप अत्याचार सहती रहती हैं।

मोनिका ने शादी के 6 साल बाद इस समाजिक काम की शुरूआत की। उन्होंने शादी के बाद ही साइंन लैंग्वेज़ सीखी। डेफ ऐजुकेशन में बी.एड. करने के बाद उन्होंने एम.एड. विशेष शिक्षा और शिक्षा में डिग्री हासिल की। लेकिन ये सारी पढ़ाई उन्होंने शादी के बाद की। शादी से पहले मोनिका बी.एस.ई जियोलोजी, मास्टर सोशल वर्क, फैशन डिजाइनिंग और मार्केटिंग में डिप्लोमा में डिग्री हासिल की है।

मोनिका के पति ज्ञानेंद्र पुरोहित ने उनका सहयोग किया। ज्ञानेंद्र पुरोहित यह समाजिक काम करने के अलावा पेशे से वकील हैं। मोनिका अपने काम का पूरा श्रेय अपनी पति ज्ञानेंद्र को देती हैं, उनका मानना है कि उनके सहयोग नहीं करते तो वे ये समाजिक काम नहीं कर पातीं।

कुछ हादसे हमें भी विचलित कर देते हैं

मोनिका ने हमें बताया कि ज्यादातर मामले हमें पुलिस थानों से पता चलते हैं। "मूकबधिर के केस में पुलिस हमें बुलाती है ताकि हम पीड़ित की साइन लैंग्वेज समझकर उनकी आपबीती पुलिस को समझा सकें।" बहुत कम ऐसा देखा गया है जब पीड़िता या उसका परिवार हमसे सीधा संपर्क करता हो।

मुझे एक केस याद है जिसने मुझे और मेरे पति को विचलित कर दिया था। एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ था, 6 महीने पहले एक आदमी ने उसके साथ दुषकर्म किया था। लड़की गर्भवती हो गयी थी, उसका पेट निकलने लगा था। किसी ने हमें उस लड़की की स्थिति के बारे में बताया। लड़की के संपर्क करने पर उसने हमें पूरी घटना का वर्णन किया। उसी दिन पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। खुशकिस्मति यही रही कि कोर्ट ने भी उसके पक्ष में निर्णय दिया। लड़की के पेट में पल रहा बच्चा 6 महीने का हो चुका था इसलिए गर्भपात नहीं हो सकता था।

मूकबधिरों के केस में उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी भाषा समझने वाला कोई नहीं है इसलिए वे चुप रह जाते हैं। ऐसे लोगों को एक आवाज़ की जरूरत है, जो उन्हें समझ सके और उनकी भाषा बोल सके।

पुलिस थानों में मूकबधिरों के लिए विशेष विभाग

देशभर में मूकबधिर के पुलिस थानों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थीं जहाँ एक मूकबधिर व्यक्ति साइन लैंग्वेज में अपनी शिकायत दर्ज करा सके। मोनिका पुरोहित के प्रयासों से प्रदेश इंदौर के तुकोगंज थाना, लोर्डगंज जबलपुर, हुजरत कोतवाली रतलाम, महिला थाना सिविल लाइंस रीवा और पुलिस कंट्रोल रूम सतना में एक विशेष विभाग की शुरूआत की गई जहाँ मूकबधिर साइन लैंग्वेज की मदद से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

प्रोत्साहन ही है हमारी असली कमाई

समाजिक कार्य नि:शुल्क सेवा होती है। ऐसे कार्य जनहित में होते हैं। मेरे पति और मेरे इस समाजिक काम को मिलने वाला प्रोत्साहन ही हमारी कमाई है।

पहले इंदौर के लोग ही हमारे इस योगदान के बारे में जानते थे। धीरे-धीरे पूरे प्रदेश के लोग जानने लगे। अब हमारा यह समाजिक कार्य इस मुकाम पर पहुँच गया है कि आज हमें राष्ट्रीय स्तर पर लोग जानने लगे हैं। लेकिन हमारा मकसद नाम कमाना नहीं मूकबधिरों की सहायता करना है।

मोनिका को उनके निस्वार्थ कार्य के राष्ट्रपति भवन में साल 2016 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया है। इसके अलावा 2015 में टीवी चैनल में प्रसारित होने वाले टॉक शो “आज की रात है जिंदगी” में आमंत्रित थीं।

2016 में मोनिका को Zee Women Achiever Award और Swaraj Women Achiever Award भी मिल चुका है।

दो महिलाएं जो मेरी नज़रों में लक्ष्मी हैं

सभी के जीवन में कोई न कोई प्रेरणास्त्रोत होता है। मोनिका के लिए असली लक्ष्मी इंदौर की ही समाजिक कार्यकर्ता 'प्रियांशू' और 'ललिता शर्मा' हैं। प्रियांशू पशुओं के हित उनके अधिकारों के लिए काम कर रहीं हैं। वहीं ललिता शर्मा आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं।

#BharatKiLaxmi नाम से महिलाओं को जो सम्मान दिया जा रहा है वो काफी सरहानीय है।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलिग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलिग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com