बौरेश्वर मंदिर और गौरी सरोवर पर लगा मोर छठ मेला, कोरोना काल के बाद पहली बार हुआ आयोजन

कोरोना काल के बाद पहली बार बौरेश्वर मंदिर और गौरी सरोवर पर मोरछठ मेले का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में शहर से लेकर गांव-गांव से लोग मोर-मोरी सिराने के लिए पहुंचे।
बौरेश्वर मंदिर और गौरी सरोवर पर मोरछठ मेले का आयोजन
बौरेश्वर मंदिर और गौरी सरोवर पर मोरछठ मेले का आयोजनPrashant soni

भिण्ड, मध्यप्रदेश। कोरोना काल के बाद पहली बार जिले के बौरेश्वर मंदिर और गौरी सरोवर पर मोरछठ मेले का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में शहर से लेकर गांव-गांव से लोग ट्रैक्टर, टेम्पू सहित अपने निजी वाहन से मोर-मोरी सिराने के लिए पहुंचे। जिले के सबसे बड़ेे शिव मंदिर बौरेश्वरधाम परिसर पर रविवार को मोरछठ मेला का आयोजन किया गया। इस दौरान जिले के अलावा बाहर से आए कई परिवार के सदस्यों ने मेला परिसर के तालाब में मोर को सिराए।

महिलाओं ने गाए मंगल गीत

इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत भी गाए। वहीं दूसरी ओर शहर के ऐतिहासिक गौरी सरोवर के किनारे भी मोर छठ मेला मेला लगा। यहां भी महिलाओं ने सरोवर के पानी में मोर सिराकर महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शंकर के दर्शन किए।

जगह-जगह दिनभर लग रहा जाम

मोरछठ मेले को लेकर इस बार जिला प्रशासन ने किसी तरह की महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस फोर्स भी बहुत ही न के बराबर नजर आया। वहीं ट्रैफिक पुलिस ने भी इन दिन के लिए किसी तरह कर रूट चार्ट नहीं बनाया, जिसके चलते गौरी सरोवर से होते ही कई वाहन गुजरते नजर आए वहीं, वनखंडेश्वर मंदिर, खटीक खाने के पास, वीरेन्द्र वाटिका, जेल रोड आदि जगह दिनभर हर आधे घंटे में जाम लग रहा है जिसका मुख्य कारण गौरी सरोवर मोर-मोरी सिराने के लिए पहुंच रही महिलाओं की कतार, लहार चुंगी से लेकर गौरी सरोवर तक देखी गई, इधर शास्त्री चौराहे से लेकर खटीक खाने तक लंबे कतार लगी रही। आम राहगीरों वाहन वाहन लेकर शहर के अंदर से जहां से भी गुजरते वहीं जाम के हालात निर्मित हो रहे थे। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मेले को लेकर पुलिस व नगरीय प्रशासन ने किस तरह की व्यवस्था की थी।

उप्र के इटावा, जालौन जिले से पहुंचे हैं मोर-मोरी सिराने

विवाह के बाद भादों माह की मोर छठ पर मोर सिराने के लिए बौरेश्वरधाम महादेव मंदिर परिसर में तीन दिन का विशाल मेला लगता है। इस दौरान वहां पर बने तालाब में जिले के साथ इटावा, जालौन के साथ मुरैना जिले के उन गांव के लोग जिनके गांव भिंड जिले की सीमा से लगे हुए हैं। वहां के लोग भी रविवार को बौरेश्वरधाम में मोरी सिराने के लिए अपने वाहनों से पहुंचे। इससे पहले दो साल से कोरोना महामारी को देखते हुए मेला स्थिगित किया जा रहा था, इस बार कोरोना महामारी पर जिला प्रशासन ने काबू पाया तो गौरी व बौरेश्वर मंदिर पर मेले का आयोजन किया गया।

सर पर कलश रखकर पहुंची महिलाएं

बौरेश्वरधाम परिसर में छठ मेले के लिए पहले दिन मंदिर के तालाब में हजार से अधिक परिवार द्वारा मोर-मोरी सिराए गए। इस दौरान सर पर कलश रखकर पहुंची महिलाओं ने मोर छठ पर पानी में मोर को सिराया तथा विवाहित जोड़े की मंगल कामना के लिए भगवान महादेव से प्रार्थना की। इस दौरान साथ आई महिलाओं ने मंगल गीत गाए। मालूम हो कि विवाह के दौरान जो मोर लड़का लड़की माथे पर रखकर विवाह के बंधन में बंधते हैं उस मोर को भादों मास की छठ को तालाब में विधि विधान से सिराया जाता है। इस दौरान तालाब के सुरक्षा व्यवस्था व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम रहे। जिसमें एसडीओपी, टीआई, एसआई स्तर के अधिकारी तैनात रहे। वहीं तालाब के किनारे जिला प्रशासन की ओर से गोताखोरों की ड्यूटी लगाई गई। इसके अलावा मेले में अप्रिय घटना से निपटने के लिए दमकल गाड़ी, डॉक्टर्स की टीम तैनात की गई है।

मेले में उमड़ी भीड़

शहर के गौरी सरोवर एवं बौरेश्वर मेले में हजारों से अधिक सैलानी आए। उन्होंने भगवान शंकर के दर्शन के करने के बाद मेले का भी लुत्फ उठाया। उन्होंने मेले में लगी दुकानों पर चाट पकौडी, आईस्क्रीम आदि का स्वाद लिया। वहीं बच्चों ने खिलौनों की खरीदारी की और झूला में झूलकर मेले का आनंद लिया। वहीं बौरेश्वर मेले में जलेबी खाने की परंपरा काफी पुरानी है। ऐसी परंपरा है कि यहां पर आने वाला हर सैलानी जलेबी खाए बिना नहीं जा सकता है। इसके अलावा सैलानी मेले में जलेबी खान के साथ घर के लिए भी पैक कराकर ले गए।

बौरेश्वर धाम की भांति रविवार को शहर के ऐतिहासिक गौरी सरोवर मोर छठ मेले का आयोजन किया गया, जहां महिलाओं ने गाजे बाजे के साथ मोर-मोरी विसर्जित किए। साथ ही उन्होंने महाकालेश्वर मंदिर में भगवान भोले के दर्शन किए। यहां पर भी मोर-मोरी सिराने के लिए आई महिलाओं की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिली। इसके अलावा गोहद क्षेत्र के आसपास की महिलाओं ने बैसली डेम पर मोर-मोरी विसर्जित किए। पुलिस अधीक्षक मनोजसिंह कुमार ने जिले के हर तलाब पर बड़ी संख्या में फोर्स लगाया था ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना घटित न हो।

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