Bhind : सरपंच और सचिव मशीनों से करा रहे काम, ग्रामीणों को नहीं दे रहे रोजगार

मप्र सरकार भ्रष्टाचार की जड़े खत्म करने के लिए पूरा दमखम झौंकने में लगी हुई है, इसके बावजूद भी निचला सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा, ऐसा ही मामला अटेर क्षेत्र की ग्राम पंचायत दुल्हागन से आया सामने
भिण्ड-फूप : सरपंच- सचिव मशीनों से करा रहे काम, ग्रामीणों को नहीं दे रहे रोजगार।
भिण्ड-फूप : सरपंच- सचिव मशीनों से करा रहे काम, ग्रामीणों को नहीं दे रहे रोजगार।रवि सोलंकी
Summary

''सरपंच करतीं चूल्हा-चौका, पति करते सरपंची''... गांव की सरपंच घर का चूल्हा-चौका करती हुई देखी जा सकती हैं और उनके पति सरपंच बनकर फर्जीवाड़े को अंजाम देने में लगे रहते हैं। सरपंच हमेशा गांव में ही घर व परिवार को देखती हैं और उनके पति सरपंच बनकर अफसरों के ऑफिस में बैठकर चाय-नाश्ते करते हुए सरकारी राशि को ठिकाने लगाने की जुगाड़ बनाने में व्यस्त रहते हैं। गांव में विकास कार्य तो सिर्फ कागजों में ही किया जा रहा है। सरपंच अगर ठेकेदार को काम देंगे नहीं तो ठेकेदार कहां से गांव में विकास कर सकता है, इससे स्पष्ट होता है कि सभी मिलकर सरकारी राशि को बंदरबांट करने में लगे हुए हैं।

भिण्ड, मध्य प्रदेश। जिले में भ्रष्टाचार की जड़ें पनपती ही जा रही हैं और एक के बाद एक पंचायतों में जमकर घोटाला निकलकर सामने आ रहा है, किसी ने कोरोना काल में बिना खर्च किए लाखों रुपए के बिल लगाकर भुगतान कर सरकारी राशि को चट कर गए, तो किसी ने फर्जी मजदूर बनाकर भुगतान करा डाला, जिसके बाद भी अधिकारी ऐसे सरपंच- सचिवों के विरुद्ध किसी तरह की जांच नहीं बैठा रहे हैं, जिस कारण उनकी दाढ़ पक गई है और पंचायत के विकास के लिए आने वाली शासन की राशि को गबन करने के फिराक में बने रहते हैं।

मप्र सरकार भ्रष्टाचार की जड़े खत्म करने के लिए पूरा दमखम झौंकने में लगी हुई बावजूद भी निचला सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा है, ऐसा ही मामला अटेर क्षेत्र की ग्राम पंचायत दुल्हागन से निकलकर सामने आया है, जहां सरपंच सितारा पत्नी राजू खां और सचिव ने मिलकर शासन की राशि का लाखों रुपए का गमन कर अपनी जेबें भर डाली और गांव के विकास में एक भी धेला रुपया खर्च नहीं किया, जिस वजह से गांव दलदल में तब्दील, सड़कें खुदी पड़ी हुई, मवेशी खुले आसमान के नीचे बने हुए हैं। ग्रामीणों को किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। दोनों ने मिलकर गांव का विकास कागजों में ही कर डाला और अफसरों को भनक तक नहीं लगने दी।

सरपंच-सचिव ने मिलकर मनरेगा के तहत पहले फर्जी जॉब कार्ड बनाए, जिसमें अपने रिश्तेदार के नाम जोड़कर फर्जी तरीके से शासन की राशि निकालकर गमन किया। इनकी भ्रष्टाचार की जड़ें यहां पर समाप्त नहीं होती, कोरोना काल में भी जमकर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है।

कोरोना काल में ग्रामीणों को नहीं दी किसी तरह की सुविधा :

गांव में जब कोरोना नाम की महामारी फैली हुई थी, तो सरपंच- सचिव मौज करने में लगे हुए थे, शासन से मिलने वाली राशि को स्वयं डकार रहे थे और ग्रामीण अपने स्वयं के पैसों से मास्क व सैनेटाइजर आदि खरीदकर महामारी से बचने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन सरपंच- सचिव को ग्रामीणों पर जरा सी दया नहीं आई और महामारी से बचाने के लिए शासन से प्रत्येक गांव को मास्क, सैनेटाइजर, सूखा राशन आदि वितरण करने के लिए आया, लेकिन किसी ग्रामीण को नही दिया गया स्वयं व रिश्तेदारों को पूरा लाभ पहुंचाया गया।

मजदूरों को किया दरकिनार, मशीनों से कराए निर्माण कार्य :

अटेर क्षेत्र के विकास खण्ड ग्राम पंचायत दुल्हागन में सरंपच- सचिव के द्वारा जमकर शासन की राशि का गबन किया जा रहा है। गांव के विकास के लिए आने वाली राशि को स्वयं के खर्च में डालकर कागजों में विकास दिखाकर अधिकारियों को गुमराह किया जा रहा है, यह सब किसी से छिपा नहीं है फिर भी दोनों के ऊपर गाज नहीं गिर रही है। दोनों फर्जीबाड़ा करने में महारथ हांसिल किये हुए हैं। गांव में जैसे तालाब, कच्ची सड़क, मेड़- बंधान आदि कार्यो को मजदूरों से कराना चाहिए, लेकिन सरपंच- सचिव इनको दरकिनार करते हुए मशीनों से काम कराने में लगे हुए हैं।

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