कैदियों का सामान बेचने बनेंगी जेल स्पेशल प्रोडक्ट हब
कैदियों का सामान बेचने बनेंगी जेल स्पेशल प्रोडक्ट हबDeepika Pal - RE

जेलों का कायापलट-कैदियों का सामान बेचने बनेंगी स्पेशल प्रोडक्ट हब

भोपाल, मध्यप्रदेश: प्रदेश में कैदियों द्वारा तैयार किए जा रहे सामानों के प्रचार-प्रसार की सरकार ने ली जिम्मेदारी, बढ़ावा देने के लिए बड़े तौर पर की तैयारी।

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में जेलों की स्थिति को आमजनों के सामने बेहतर साबित करने और कैदियों को नई दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए कमलनाथ सरकार द्वारा बड़ा फैसला लिया जा रहा है जिसके चलते जेलों में कैदियों द्वारा तैयार किए जाने वाले सामानों को बेचने के लिए आउटलेट स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। सरकार के इस फैसले से प्रदेश की जेलों की नई तस्वीर सामने आएगी। इस फैसले में प्रदेश की ऱाजधानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर की सेंट्रल जेलों को प्रमुखता दी जाएगी। जिसके लिए विभाग ने वित्तीय कोष की व्यवस्था की है।

सामानों की बिक्री में हो रही वृद्धि

इस संबंध में प्रदेश के जेल मंत्री बाला बच्चन ने जानकारी देते हुए कहा कि, प्रदेश की जेलों में कैदियों का सामान पिछले साल 3 करोड़ तक बिका था जिसकी बिक्री बढ़कर 5 करोड़ हो गई है। इसी 5 करोड़ की राशि को फंड के तौर पर रखा गया है वही वित्तीय कोष को बढ़ाने के लिए सामानों की बिक्री के लिए आउटलेट स्थापित किए जाएंगे। साथ ही बताया कि, कैदियों के फंड के लिए वन टाइम व्यवस्था की गई है जो निर्धारित होगा। पहले किसी भी काम को करने के लिए वित्तीय विभाग की अनुमति लेनी पड़ती थी पर अब वह आवश्यक नहीं होगा।

सेंट्रल जेलें बनेंगी स्पेशल प्रोडक्ट का हब

इस योजना में प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और सागर की सेंट्रल जेलों को चुना जा रहा है जहां विशेष उत्पादों के लिए हब के रूप में तैयार किया जा रहा है। इन जेलों में कैदियों के द्वारा बनाए जाने वाले सामानों फर्नीचर, कंबल, दरी, ऑफसेट प्रिटिंग, स्टील के बर्तन, साड़ी, बेडशीट, आदि स्पेशल प्रोडक्ट को प्रचार के लिए रखा जा रहा है।

पूर्व बीजेपी सरकार में हुई योजना शुरू

बता दें कि,बीजेपी सरकार के दौरान जेल मंत्री कुसुम मेंहदेले के कार्यकाल के समय एक कान्हा ब्रांड जेल में बनने वाली सामग्री के लिए बनाया गया था. इसी ब्रांड के तहत मार्केट में कैदियों के सामान को बेचा जाता था, लेकिन यह योजना ज्यादा लंबे समय तक नहीं चली और कुछ ही महीनों बाद बंद हो गई जिसके बाद अब जेलों में कैदियों द्वारा बनाए जाने वाले सामान को बढ़ती मांग के चलते ब्रांडिग कर बाजार में पेश किया जा रहा है।

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