बिना आदेश काउंटर साइन में धनराशि लेने पर शासन प्राचार्यों से खफा
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भोपाल: बिना आदेश काउंटर साइन में धनराशि लेने पर शासन प्राचार्यों से खफा

भोपाल, मध्यप्रदेश: प्राचार्य सवालों के घेरे में आ गए है, टीसी पर काउंटर साइन देने के मामले में निजी विद्यालयों के स्कूल संचालकों ने कटघरे में खड़ा किया है।

भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में एक बार फिर प्राचार्य सवालों के घेरे में आ गए हैं। अब इनको टीसी पर काउंटर साइन देने के मामले में निजी विद्यालयों के स्कूल संचालकों ने कटघरे में खड़ा किया है। शासन से आदेश है नहीं, फिर भी प्रति हस्ताक्षर करने के बाद में स्कूल विकास के नाम पर धनराशि वसूली की जा रही है। इस मामले में विभाग ने भी सख्त नाराजगी जाहिर की है।

विद्यालय संचालकों का आरोप है कि काउंटर साइन करने के एवज में धनराशि लेने का कोई आदेश नहीं है। उसके बावजूद संकुल प्राचार्य निडर होकर स्कूल विकास के नाम पर शुल्क ले रहे हैं। जबकि पिछले साल शासन ने एक आदेश जारी किया था। इसमें स्पष्ट किया गया था कि टीसी प्रति हस्ताक्षर करते समय कोई धनराशि न ली जाए। प्रदेश के उज्जैन धार पन्ना दतिया सहित कई जिलों के शिक्षा अधिकारियों ने भी प्राचार्य को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि प्राइवेट स्कूल संचालकों से इसके एवज में कोई धनराशि न ली जाए। उसके बावजूद भी प्राचार्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश का पालन करने को तैयार नहीं है।

बताना होगा कि वर्ष 2005 में भी भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी रहे धीरेंद्र चतुर्वेदी ने इस संबंध का एक आदेश समस्त प्राचार्य को जारी किया था। पर स्कूल संचालकों का आरोप है कि यहां भी व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी। इस संदर्भ में स्कूल संचालकों द्वारा लोक शिक्षण संचालनालय से लेकर मंत्रालय में विभाग प्रमुख को भी शिकायत की गई है। इस मामले में विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने भी नाराजगी जाहिर की है।

शिक्षा विभाग के आदेशों का उल्लंघन कर रहे प्राचार्य- अजीत सिंह

मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि, शिक्षा विभाग के आदेश का उल्लंघन करने में प्राचार्य कोई संकोच नहीं कर रहे है। टीसी प्रति हस्ताक्षर के नाम पर धन उगाही का खेल पूरे मध्यप्रदेश में चल रहा है। इस राशि को वसूलने के लिए ना तो शिक्षा विभाग से कहीं आदेश है न हीं कोई दिशा निर्देश जारी हुए हैं। उसके बावजूद हर संकुल प्राचार्य अपने अपने ढंग से स्कूल विकास के नाम पर अपनी मनमर्जी अनुसार राशि वसूल रहे है। यही नहीं पालक शिक्षक संघ की रसीद भी दे रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है।पालक शिक्षक संघ प्रत्येक विद्यालय के लिए अलग-अलग होता है। दूसरे विद्यालय से कितनी राशि लेनी है, वह बच्चा गरीबी रेखा के नीचे का है शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पढ़ता है।  यह निर्धारित करने वाला किसी दूसरे स्कूल का पालक शिक्षक संघ कैसे हो सकता है। यह खुली लूट है और यह पैसा सीधे संकुल प्राचार्य के खाते में जाता है। जो कि पूरी तरह से अनुचित है।

राशि वसूलने के नए-नए तरीके निकाल रहे प्राचार्य- शुक्ला

मध्य प्रदेश अशासकीय स्कूल संचालन संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एचके शुक्ला का कहना है कि कभी स्कूल में पंखा लगवाने तो कभी नल की फिटिंग या फर्नीचर खरीदने के नाम पर प्राचार्य द्वारा राशि ले ली जाती है। अगर यह राशि जमा नहीं की जाती है तो प्राचार्य भी परेशान करने के नए-नए तरीके निकालते है। शुक्ला के अनुसार सरकारी स्कूल में पालक शिक्षक संघ अगर इसके लिए प्रस्ताव पास कर रहा तो यह नियम विरुद्ध है। फिर तो अशासकीय विद्यालय के पालक शिक्षक संघ को भी यह अधिकार होना चाहिए। यह संघ भी यह प्रस्ताव पास कर दे की शासकीय विद्यालय बोर्ड की कोई फीस जमा नहीं करेगा। तो क्या यह प्रस्ताव मान्य होगा। शुक्ला का कहना है कि अगर संकुल प्राचार्य से स्कूल नहीं संभल रहे है तो फिर सरकार इसकी जवाबदारी प्राइवेट विद्यालय के संचालकों को सौंप दें। हम सरकारी विद्यालयों के बच्चों का बेहतर भविष्य बनाकर छोड़ेंगे।

वरिष्ठ अधिकारियों को दी जानकारी फिर भी नहीं सुलझी समस्या- श्रीवास्तव

भाजपा नेता एवं प्राइवेट स्कूल संचालक प्रदीप श्रीवास्तव के अनुसार खेद की बात है कि इस गंभीर मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से निवेदन कर चुके हैं। उसके बाद पुनः टी सी काउंटर साइन के लिए भेजी गई तो संकुल प्राचार्य जो पिछले वर्ष तक एक  टीसी काउंटर साइन करने का ₹50 लिया करते थे। अब कोरोना कॉल में उसका दाम बढ़ गया और वह कोरोना पीड़ित टीसी ₹100 प्रति टीसी के हिसाब से प्रति हस्ताक्षरित होने लगी। इस बात की जानकारी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को आग्रह करके दे दी गई। उसके बावजूद भी यह रवैया सुधर नहीं रहा है।

काउंटर साइन में राशि लेने का नहीं कहीं भी प्रावधान - बघेल

मध्यप्रदेश शासकीय स्कूल संचालक संघ के संरक्षक आरके सिंह बघेल का कहना है कि टीसी पर काउंटर साइन करने के एवज में धनराशि लेने का कोई प्रावधान नहीं है। उसके बावजूद भी प्राचार्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों को दरकिनार करते हुए बेरोकटोक यह राशि ले रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि इस प्रक्रिया में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त किया जाए और टीसी प्रति हस्ताक्षर का खेल भी बंद हो। यदि ऐसा नहीं होगा तो प्रदेश भर में प्राइवेट स्कूल संचालक हर संकुल प्राचार्य का विरोध करेगा। इसके साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों का घेराव एवं प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगा।

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