बड़े मंदिरों का संचालन करेगी एक समिति- बागडोर होगी कलेक्टर के हाथ

भोपाल, मध्यप्रदेश : प्रदेश के बड़े मंदिरों की संचालन व्यवस्था में कमलनाथ सरकार ने किया बड़ा बदलाव, नए कानून का किया गठन।
बड़े मंदिरों का संचालन करेगी एक समिति
बड़े मंदिरों का संचालन करेगी एक समितिSocial Media

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार प्रदेश की व्यवस्था में बदलाव कर नए नियम और कानून तैयार कर रही है इसी के तहत कार्य करते हुए सरकार ने प्रदेश के बड़े मंदिरों की संचालन व्यवस्था में बड़े बदलाव किए। अभी तक मंदिरों का संचालन ट्रस्ट और धार्मिक समितियों के द्वारा किए जाता था उन्हें अब खत्म कर दिया गया है जिसके स्थान पर एक नया कानून तैयार किया गया जो मंदिरों के संचालन और व्यवस्था के लिए होगा।

प्रदेश के 6 बड़े मंदिरों को किया शामिल :

बता दें कि, इस संबंध में विधानसभा में मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित किया गया था, जिसमें संचालन के नियम तय किए गए। प्रदेश के बड़े 6 मंदिरों दादाजी दरबार खंडवा, श्री जाम सांवली हनुमान मंदिर छिंदवाड़ा, महाकाल मंदिर उज्जैन, शारदा देवी मंदिर मैहर, श्री गणेश मंदिर खजराना इंदौर और मां सलकनपुर देवी मंदिर को शामिल किया गया है। मंदिरों की व्यवस्था और विनिर्माण को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट बैठकों में चर्चा की थी साथ ही इसके लिए कानून बनाने की बात कही गई थी।

समिति की बागडोर कलेक्टर के हाथों में होगी :

नए कानून के अनुसार हर मंदिर के संचालन और व्यवस्थाओं के लिए एक समिति बनाई जाएगी जिसमें एसपी, महापौर, मंदिर के पुजारी, सरकार द्वारा नामित दो सदस्य शामिल होंगें। वहीं मुख्य बागडोर जिला कलेक्टर के हाथों में सौंपी जाएगी। मंदिरों में मौजूदा अधिनियमों को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। इस कानून के तहत मंदिर के कोष, दान, बजट, लेखा आदि के संबंध में नए नियम निर्धारित कर दिए हैं।

इस समिति में शामिल अधिकारी सदस्यों में जिले के पुलिस अधीक्षक, नगरीय निकाय के आयुक्त, मुख्य नपा अधिकारी, जिले में कार्यरत द्वितीय श्रेणी स्तर के चार अधिकारी सरकार द्वारा नामित दो पुजारी, दो अशासकीय धर्म-पूजा विधान के जानकार दो अशासकीय सदस्य और सरकार द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल रहेंगे।

कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने दी जानकारी :

इस संबंध में कैबिनेट जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कानून के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि, इस कानून के लागू होने के बाद किसी भी विशेष मंदिर के लिए अलग से अधिनियम नहीं बनाना पड़ेगा। अब एक नोटिफिकेशन के माध्यम से ही सभी मंदिरों को जोड़ा जा सकेगा। साथ ही मंदिरों में जारी पंरपरा और रीति-रिवाज, पंडा- पुजारियों और समिति के अधिकारों की रक्षा की गई है। वहीं कोई मंदिर अपने लिए खास व्यवस्था या बदलाव चाहता है तो वह भी धारा 48 के अधीन अधिकार दिए गए हैं।

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