मप्र का मीथेन घटाएगा देश का प्रदूषण
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Bhopal : मप्र का मीथेन घटाएगा देश का प्रदूषण

भोपाल, मध्यप्रदेश : मप्र में पांच नए मीथेन गैस ब्लॉक की पहचान की गई है। इन ब्लॉकों से व्यवसायिक मीथेन का उत्पादन अगले वर्ष से ही शुरू हो जाने की संभावना है।

हाइलाइट्स :

  • प्रदेश के पांच बड़े मीथेन ब्लॉक की ऑक्शन की तैयारी।

  • कोल की जगह उपयोग होगा मीथेन।

भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश वैसे तो प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। यहां की धरती कोयला से लेकर हीरा तक उगलती है। अब यह धरती मीथेन जैसे गैस का भी बड़ा उत्पादक बनने की राह पर है। मप्र में पांच नए मीथेन गैस ब्लॉक की पहचान की गई है। इन ब्लॉकों से व्यवसायिक मीथेन का उत्पादन अगले वर्ष से ही शुरू हो जाने की संभावना है। यदि ऐसा हुआ तो मध्यप्रदेश का मीथेन देश के प्रदूषण को घटाने में बड़ा मददगार साबित होगा।

दरअसल बड़े संयंत्रों और कारखानों में बॉयलर चलाने के लिए कोयले का उपयोग किया जाता है। कोयले के उपयोग से प्रदूषण भी फैलता है। अभी देश में सीमित मात्रा में ही बड़े कारखानों विशेष रूप से इस्पात बनाने वाले संयंत्रों सहित ऐसे संयंत्र जहां लोह अयस्क सहित अन्य धातुओं की गलन प्रक्रिया पूरी की जाती है, वहां बॉयलर को गर्म करने के लिए कोयले का उपयोग होता है, लेकिन मीथेन की सहज और सरल उपलब्धता पर मीथेन के उपयोग को प्राथमिकता दी जाती है। इसी को देखते हुए जिन संयंत्रों के लिए मीथेन उपलब्ध होता है, वहां इसी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसे में मप्र के पांच बड़े ब्लॉकों से मीथेन के व्यवसायिक उत्पादन से इस तरह के संयंत्रों को आसानी से मिथेन उपलब्ध हो सकेगा।

देश के 15 ब्लॉकों में से मप्र का सतपुड़ा ब्लॉक सबसे बड़ा :

केंद्र सरकार ने देशभर में मीथेन गैस निकालने के 15 ब्लॉकों का चयन किया है। इनमें से पांच ब्लॉक मध्यप्रदेश में हैं। इनमें सतपुड़ा ब्लॉक सबसे बड़ा है। यहां मीथेन निकालने के लिए 1771 स्कवेयर किलोमीटर क्षेत्र को चिन्हित किया गया है, जो कि देश के किसी भी दूसरे ब्लॉक के मुकाबले सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसके अलावा सिंगरौली में 272 और 222 स्कवेयर किलोमीटर क्षेत्र के दो ब्लॉकों को भी चिन्हित किया गया है। इसी क्रम में दक्षिण रीवा क्षेत्र के तहत ही जोहिल्ला में 418 और सोहागपुर में 515 स्कवेयर किलोमीटर क्षेत्र को खनन के लिए चयनित किया गया है।

124 बिलियन क्यूबिक मीटर मीथेन की संभावना :

मप्र के पांच नए ब्लॉकों में 124 बिलियन क्यूबिक मीटर मीथेन होने की संभावना जताई गई है। मार्च 2022 तक नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद केंद्र सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय से पर्यावरण संबंधी जरूरी क्लियरेंस ली जाएगी। यह क्लियरेंस मिलने के बाद नीलामी में खनन का अधिकार हासिल करने वाली कंपनी इसका व्यवसायिक उत्पादन कर सकेगी। प्रोजेक्ट के लिए पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया गया है।

ड्रिलिंग से पर्यावरण को नहीं होगा नुकसान :

दरअसल मीथेन निकालने के लिए ड्रिलिंग का सहारा लिया जाएगा। इसके लिए अलग- अलग क्षेत्रों में ड्रिल करके कुएं बनाए जाएंगे। ड्रिलिंग में वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी जो कि एलपीजी या फिर पेट्रोलियम के लिए की जाती है। इससे पर्यावरण को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचती। जिस तरह कोयले के खनन या फिर हीरा आदि खनन के लिए जमीन के बड़े हिस्से को खोदकर नुकसान पहुंचाया जाता है। इस मामले में ऐसा नहीं होगा। पर्यावरण को कम नुकसान की स्थिति के कारण ही इस तरह के प्रोजेक्ट को पर्यावरण संबंधी क्लियरेंस अपेक्षाकृत जल्द मिल जाती है। इस मामले में भी ऐसा होने की संभावना है।

मप्र को प्रतिवर्ष मिलेगी 500 करोड़ रुपए तक रॉयल्टी :

नीलामी की प्रक्रिया केंद्र सरकार के उपक्रम हाइड्रो कॉर्बन संचालनालय के माध्यम से होगा। प्रदेश की सभी पांचों ब्लॉकों से जब मीथेन का उत्पादन शुरू होगा, तब मप्र को प्रतिवर्ष 300 से 500 करोड़ रुपए रॉयल्टी मिलने की संभावना जताई जा रही है।

2500 लोगों को मिलेगा रोजगार :

इस समय बेरोजगारी की भी समस्या है। यह ब्लॉक स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने में भी सहायक होगा। प्रोजेक्ट के लिए जो आकलन किया गया है, उस हिसाब से इन ब्लॉकों में कम से कम 2500 लोगों को रोजगार मिल सकेगा।

इनका कहना :

प्रदेश के पांच नए मीथेन ब्लॉकों की नीलामी की प्रक्रिया मार्च 2022 तक पूरी हो जाने की संभावना है। पर्यावरणीय क्लियरेंस कुछ माह में मिल जाने की संभावना है। उसके बाद उत्पादन शुरू होगा। इससे मध्यप्रदेश को 300 से 500 करोड़ रुपए तक प्रतिवर्ष रॉयल्टी मिलेगी। साथ ही रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

सुखबीर सिंह, प्रमुख सचिव, खनिज साधन विभाग

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