रिटायरमेंट और भुगतान में उलझी सरकार, ढूंढ रही दूसरा विकल्प
राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में अधिकारी-कर्मचारियों के रिटायरमेंट को लेकर उलझी सरकार, आपको बता दें कि, 31 मार्च 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच होने वाले रिटायरमेंट पर रोक लगा दी थी, तब सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 62 साल की गई थी। अब ऐसे करीब 10 से 12 हजार अधिकारी-कर्मचारी अगले महीने 31 मार्च को शासकीय सेवा की अवधि पूरी कर रहे हैं।
दरअसल, मार्च के अंत में प्रदेश के करीब 10 से 12 हजार अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। सरकार द्वारा कर्मचारियों और अधिकारियो के रिटायरमेंट पर 3500 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार का आकंलन किया गया है। आपको बताते चलें कि, अगले महीने प्रदेश का बजट भी पेश किया जाना है और किसान कर्जमाफी भी अधर में लटकी हुई है। ऐसे में सरकार के सामने भगुतान का संकट खड़ा हो गया है।
करीब 8 हजार से ज्यादा कर्मचारियों का रिटायरमेंट होना है। सेवानिवृत्ति पर होने वाले भुगतान की राशि तो स्वाभाविक रूप से ज्यादा होती है। इसके इंतजाम किए जा रहे हैं। सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। बावजूद इसके आगे सभी विकल्पों पर विचार करेंगे।
प्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोत
आपको बताते चलें कि, ये अवधि मार्च में पूरी होने वाली है, ऐसे में प्रदेश की कमलनाथ सरकार भी पेशोपेश में पड़ गई है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार में सेवानिवृति के विकल्पों पर विचार चल रहा है।
सरकार ढूंढ रही दूसरा विकल्प
इस मामले में सरकार के पास दो विकल्प हैं सेवानिवृत्ति की उम्र ही 1 साल बढ़ा दी जाए।
सेवानिवृत्ति के बाद 6 माह या 1 साल की संविदा नियुक्ति दे दी जाए, जिससे फिलहाल भुगतान से बचा जा सके।
लेकिन दोनों मामलों पर जीएडी को परीक्षण और सेवावृद्धि की आयु बढ़ाने का फैसला वित्त विभाग को लेना है।
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