भोपाल, मध्यप्रदेश। देश के आजादी को लेकर अब तक कई वीर सपूतों ने अपना योगदान और बलिदान दिया है जिन्हें कई अवसरों पर प्राय: स्मरण किया जाता रहा है इस बीच ही आज 23 मार्च को शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी जिसे शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है इसे लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कोटि- कोटि नमन किया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कही बात
इस संबंध में, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए कहा कि, लिख रहा हूँ मैं अंजाम, जिसका कल आगाज आयेगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लायेगा।अपने लहू का कतरा-कतरा राष्ट्र के लिए होम कर देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव जी, राजगुरु जी के शहीद दिवस पर कोटिश: नमन! धरा को धन्य करने वाले सपूतों पर देश की भावी पीढ़ियां सदैव गर्व करेंगी।
मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ट्वीट कर किया नमन
इस संबंध में, प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए लिखा कि, देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद भगत सिंह जी, राजगुरू जी और सुखदेव जी के शहीद दिवस पर सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।
क्यों मनाया जाता है 23 मार्च को शहीद दिवस
इस संबंध में, आपको बताते चलें कि, भारत को आजादी दिलाने के लिए देश के सपूतों ने कई बलिदान दिए हैं तो वहीं कई तरह की यातनाएं भी सही है उन्ही बलिदानों में से सबसे महान बलिदान शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का माना जाता है। इस दिन ही 23 मार्च 1931 को भारत माता के ये वीर सपूत हंसते हुए और आजादी के गीत गाते हुए फांसी पर झूल गए थे। बताते चलें कि, अंग्रेजों के बढ़ते हुए अत्याचार से सबसे पहले भगत सिंह ने लौहार में सांडर्स की गोली मार कर हत्या कर दी। उसके बाद ‘पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिल’ के विरोध में भगत सिंह ने सेंट्रल असेम्बली में बम फेक था। हालांकि उनका मकसद सिर्फ अंग्रेजों तक अपनी आवाज पहुंचाना था कि किसी की हत्या करना नहीं। इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके अलावा 30 जनवरी और 19 नवंबर को भी शहीद दिवस मनाया जाता है।
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