नीति लागू करने की अवधि अधिकतम 3 वर्ष हो, राज्यों को भी होना होगा गंभीर
भोपाल, मध्यप्रदेश। केंद्र सरकार द्वारा 34 साल बाद देश में लागू की गई नई शिक्षा नीति पर प्रदेश के कॉलेज प्रोफेसर और स्कूली शिक्षकों से लेकर विद्यार्थियों ने अभी कई सुधार के तरीके सुझाव स्वरूप बताए हैं। इनका कहना है कि नीति पर ईमानदारी से अमल कराने के लिए सरकार को सख्त होना होगा।
बताया गया है कि नई शिक्षा नीति एक पॉलिसी डाक्यूमेंट है। सरकार का शिक्षा को लेकर आने वाले दिनों का विज़न है। इस नीति में कही गई बातें ना तो क़ानूनी बाध्यता हैं और ना ही तुरंत लागू होने वाली हैं। इस बार नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए केन्द्र ने साल 2030 तक का लक्ष्य रखा गया है, जो कि काफी लंबी अवधि है। चूंकि शिक्षा संविधान में समवर्ती सूची का विषय है। जिसमें राज्य और केन्द्र सरकार दोनों का अधिकार होता है। इसलिए राज्य सरकारें इसे पूरी तरह माने ये ज़रूरी नहीं है। नीति की एकरूपता यह सबसे बड़ी रुकावट है। सरकार को इन दोनों बिंदुओं पर विचार करते हुए इसके लागू होने की समय सीमा अधिकतम 3 वर्ष करना चाहिए। तथा यह अनिवार्यता लागू हो, इसके लिए अभी कानूनी संशोधन किया जाए।
सरकारी स्कूल के छात्रों के 5+3+3+4 फार्मूले से समानता के अवसर मिलेंगे-तिवारी
वरिष्ठ शिक्षक संजय तिवारी कहते हैं कि 5+3+3+4 यानी अब बच्चे 6 साल की जगह 3 साल की उम्र में फ़ॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। अब तक बच्चे 6 साल में पहली क्लास मे जाते थे। नई शिक्षा नीति लागू होने पर भी 6 साल में बच्चा पहली क्लास में ही होगा। लेकिन पहले के 3 साल भी फ़ॉर्मल एजुकेशन वाले ही होंगे। प्ले-स्कूल के शुरुआती साल भी अब स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे। प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के छात्रों में समानता का भाव उत्पन्न होगा। इसका मतलब कि अब राइट टू एजुकेशन का विस्तार होगा।
नई नीति में आयुक्त स्तर का अधिकारी विभाग से ही होना चाहिए- ममता शर्मा
स्कूली शिक्षा में लंबी सेवाएं दे चुकी वरिष्ठ शिक्षक श्रीमती ममता शर्मा कहती हैं कि पहले 6 साल से 14 साल के बच्चों के लिए आरटीई लागू किया गया था। अब 3 से 18 साल के बच्चों के लिए इसे लागू किया गया है। उनका कहना है कि स्कूल शिक्षा में आयुक्त स्तर का अधिकारी शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर चुना जाए। शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं को समझने के बाद यही एक कमी महसूस होती है कि स्कूल शिक्षा में आयुक्त स्तर का अधिकारी विभाग का अनुभवी व्यक्ति प्रतिनियुक्ति पर होना चाहिए, ताकि शिक्षा जगत को कुछ मिल सके।
नई शिक्षा नीति में होंगे क्रांतिकारी परिवर्तन-अंशी श्रीवास्तव
कॉलेज स्टूडेंट अंशी श्रीवास्तव कहती हैं कि नई शिक्षा नीति शिक्षा जगत में नई दिशा के साथ नये क्रांतिकारी बदलाव के साथ आई है। इस शिक्षा नीति में सभी स्कूलों में समान शिक्षा और समान नियम शामिल होंगे, जिसमें सभी सरकारी और निजी स्कूल शामिल होंगे। जो नीति लागू हुई है, उस पर समय से अमल होना जरूरी है। तभी इसकी सार्थकता का लाभ समाज को मिलेगा। शिक्षा नीति केंद्र सरकार का एक क्रांतिकारी कदम-प्रोफ़ेसर बंदना कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर डॉ वंदना चौबे का कहना है कि नई शिक्षा नीति केंद्र सरकार का क्रांतिकारी कदम है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित होगी और स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास जीवन कौशल भी हो, जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, तो वो आसानी से कर सकता है, शिक्षा नीति की अच्छी बात यह है कि ये फार्मूला सरकारी और प्राइवेट स्कूलों/कॉलेजों में समान रूप से लागू होगा!
विषय चयन के अधिक विकल्प छात्रों के लिए बेहतर कदम-शांति ताम्रकार
वरिष्ठ अध्यापक श्रीमती शांति ताम्रकार का कहना है कि नई शिक्षा नीति में विषय चयन के अधिक विकल्प होने के कारण इसका लाभ छात्रों को मिलेगा। उन्होंने कहा है कि नई शिक्षा नीति में प्राइमरी स्तर पर मातृभाषा को महत्व मिलना उल्लेखनीय है। सेमेस्टर सिस्टम से छात्र वर्ष भर पढ़ाई करेंगे और उन पर सिलेबस का इकट्ठा लोड नहीं पड़ेगा, मल्टीपल एग्जिट एवं एंट्री से कई तरह के फायदे हैं। अपने पसंद के सब्जेक्ट पढ़ने की अब और ज्यादा स्वतंत्रता रहेगी।
नई नीति में सभी के लिए समान अवसर जरूरी-अजय कुमार खरे
शिक्षक अजय कुमार खरे का कहना है कि शिक्षकों को पदोन्नति के अवसर बेहतर, लेकिन सभी को समान अवसर मिलना मुश्किल है। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों को 5 स्तरीय पदोन्नति की व्यवस्था की गई है। किंतु यह बात समझने की है कि जब तक नवीन भर्तियां विषय वार निचले स्तर से नहीं होंगी, तब तक शिक्षकों को 5 स्तरीय पदोन्नति के समान अवसर मिलना मुश्किल भरा होगा। सरकार को इस इस सुझाव पर विचार करना चाहिए।
शिक्षकों का विकल्प ऑनलाइन शिक्षा नहीं-रमेश राठौड़
वरिष्ठ शिक्षक रमेश राठौड़ का कहना है कि नई नीति में शिक्षकों का वेतन ऑनलाइन शिक्षा नहीं है। उन्होंने कहा है कि नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया गया है, किंतु यह सर्व विदित है कि शिक्षक का विकल्प कंप्यूटर या मोबाइल पर ली जाने वाली ऑनलाइन एजुकेशन नहीं ले सकती। वैसे भी ऑनलाइन एजुकेशन सिर्फ कॉलेज स्तर के छात्रों तक ही सीमित रहना चाहिए।
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