शुरू हुआ मुलाकतों का दौर
शुरू हुआ मुलाकतों का दौरDeepika Pal - RE

क्या होगा दागी विधायकों का भविष्य, कौन किससे मिलेगा...?

मध्यप्रदेश में मचा सियासी घमासान जहां बीते दिन के घटनाक्रम के बाद थमा है वहीं शुरू हुआ मुलाकातों का दौर, आगे क्या होगा राजनीतिक रंगमंच में।

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में बीते दिनों से जारी सियासी घमासान में जहां बीेते दिन के वाकये से सियासी संकट के बादल छंट गए हैं, वहीं राजनीतिक रंगमंच में आगे क्या होगा इसका अंदाजा फिलहाल नहीं लगाया जा सकता है। इस बीच ही नेताओं के मुलाकतों का दौर शुरू हो गया है। जहां सभी बागी विधायक दिल्ली पहुंचकर पूर्व कांग्रेस नेता सिंधिया से मुलाकात करेेंगे वहीं इधर कार्यवाहक सीएम कमलनाथ की मुलाकात कांग्रेस की आलाकमान नेता सोनिया गांधी से होगी।

फिर शुरू हुआ मुलाकतों का दौर

इस संबंध में शनिवार को बेंगलुरु में 12 दिन से रूके सभी सिंधिया समर्थक विधायक चार्टर प्लेन से दिल्ली रवाना हो गए है जहां वे सभी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलेंगे, इसके बाद उनके आज ही भोपाल रवाना होने की संभावना जताई जा रही है। इस दौरान विधायकों की सिंधिया के साथ मुलाकात में भाजपा नेता नरेंद्र सिंह तोमर और विनय सहस्त्रबुद्धे भी मौजूद रहेंगे। साथ ही बताया जा रहा है कि, भोपाल लौटने के बाद वह विधायक दल की बैठक में भाग ले सकते हैं, यहां उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई जा सकती है। सभी विधायकों ने सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ दी थी। वहीं इधर कार्यवाहक मुख्यमंत्री कमलनाथ भी दिल्ली के लिए रवाना हो रहे है जिस बीच उनकी मुलाकात कांग्रेस की आलाकमान नेता सोनिया गांधी से होगी, इस दौरान वे मध्य प्रदेश के घटनाक्रम और सरकार के इस्तीफा देने की रिपोर्ट दे सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि कार्यवाहक सीएम कमलनाथ 25 मार्च तक दिल्ली में ही रहेंगे।

उपचुनाव पर टिकी है प्रदेश की राजनीति

बता दें कि, सियासी घटनाक्रम में मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे के बाद जहां भाजपा के लिए सरकार बनने के सारे रास्ते खुल गए हैं, वहीं अब मध्यप्रदेश में सरकार का गठन किस आधार पर होगा यह होना अभी बाकी है इसके साथ ही संभवत: मई-जून में चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराया जा सकता है। 22 बागियों के इस्तीफे और दो विधायकों के निधन से खाली हुईं दो सीटों के साथ ही प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर अब छह माह के भीतर उपचुनाव होंगे। जिन 22 बागियों ने इस्तीफे दिए, उनमें से 18 ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। यानी अब इन 18 का भविष्य उपचुनाव पर टिक गया है। इसके साथ ही उपचुनाव के नतीजे ही तय करेंगे कि नई सरकार बहुमत में रहेगी या अस्थिरता के बीच झूलेगी। जैसे कि 18 में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल की हैं और इस क्षेत्र में सिंधिया का खासा प्रभाव है। उपचुनाव में सिंधिया के साथ ही यहां केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान फैक्टर भी काम करेंगे। कांग्रेस सिंधिया के बिना ही इन सीटों पर उपचुनाव में उतरेगी।

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