भोपाल : अभी भी लाखों मजदूरों को काम मिलने का इंतजार

भोपाल, मध्यप्रदेश : कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान मध्यप्रदेश में 7 लाख 40 हजार प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे थे, काम मिला सिर्फ 44661 को।
प्रवासी मजदूर मांगे रोजगार
प्रवासी मजदूर मांगे रोजगारSocial Media

हाइलाइट्स :

  • 695339 को काम मिलने का इंतजार

  • 6,908 फिर से अन्य प्रदेशों में गए मजदूर

  • 1,31,040 मजदूर बच्चों को स्कूल में नहीं मिला प्रवेश

भोपाल, मध्यप्रदेश। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान मध्यप्रदेश में 7 लाख 40 हजार प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे थे। इनके पास न काम था न भोजन। शासन ने इन्हें निशुल्क राशन और योजना का लाभ तो दिया, लेकिन रोजगार कुछ को ही मिला। जून 2020 तक प्रदेश में लौटे सात लाख 40 हजार प्रवासी मजदूरों में से सिर्फ 44 हजार 661 को अस्थाई काम मिला। अब भी 695339 को काम मिलने का इंतजार है। मप्र लौटे मजदूरों के साथ दो लाख 6 हजार 425 बच्चें शामिल हैं।

विभिन्न राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों को मप्र में रोजगार की उपलब्धता को लेकर कई तरह योजनाओं की चर्चा की जाती रही है। अब अलाम यह है कि रोजगार की तलाश में प्रवासी मजदूरों को फिर से अन्य प्रदेशों का रूख करना पड़ रहा है। अब तक 6,908 मजदूर दूसरे प्रदेश में मजदूरी के लिए गए है जिसमें 6 हजार 23 पुरूष और 885 महिलाएं शामिल हैं। वहीं मजदूरों के दो लाख 6 हजार 425 में से 1,31,040 मजदूर बच्चों को स्कूल में नहीं प्रवेश मिला है। ग्रामीण इलाके के प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाए गए जिनकी संख्या 3 लाख 66 हजार 143 है। मनरेगा के तहत सबको एक मजदूरों को काम नहीं मिल सकता है इसलिए सभी मजदूरों को मनरेगा योजना स्थाई काम नहीं दी पाई। इस योजना में कुछ मजदूरों को कुछ दिन काम मिला है। इसके साथ ही मजदूरों को संबल योजना का लाभ भी देना का दावा किया गया, लेकिन प्रदेश में प्रवासी मजदूरों को परिवार के लालन-पालन के लिए स्थाई काम नहीं मिला है। लगभग 10 माह बाद भी प्रवासी मजदूर काम की आस में भटक रहे हैं। कोरोना संक्रमण कम होने के बाद प्रवासी मजदूरों का वापस अन्य राज्यों में काम पर जाने का क्रम शुरू हुआ था, लेकिन अब फिर संक्रमण बढ़ने से मजदूर संशय में हैं कि वापस काम पर अन्य राज्यों में जाए या न जाएं।

इन सेक्टर में रोजगार देने की थी योजना :

शासन द्वारा लॉकडाउन के दौरान मप्र लौटे प्रवासी मजदूरों को विभिन्न सेक्टर में रोजगार देने की योजना थी। योजना के अनुसार असंगठित क्षेत्रों में तीन लाख पांच हजार 240, भवन और अन्य निर्माण कार्यो में दो लाख पांच हजार 321 और कारखाने, उद्यमों में एक लाख 39 हजार 873 मजदूरों को रोजगार देना था। शासन की तैयारी के अनुसार प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं मिला और अब मजदूरों को वापस अन्य राज्यों की तरफ जाना होगा।

निशुल्क राशन मिला पर रोजगार कब मिलेगा :

लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को शासन ने निःशुल्क राशन तो दिया है लेकिन स्थाई रोजगार नहीं मिला है। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि कुछ दिन का राशन देने से जीवन तो नहीं चलता, उसके लिए राजेगार मिलना जरूरी है। प्रदेश में रोजगार के अवसर नहीं है, इसलिए अब मजबूरी में अपना घर छोडकर अन्य राज्यों में काम करने जाने ही होगा।

सरकार मजदूरों के लिए अनेक काम कर रही : ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, मंत्री श्रम विभाग

प्रदेश और प्रदेश के बाहर से वापस आए प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार बहुत काम कर रही है। अनेक प्रकार की योजनाएं मजदूरों के लिए संचालित की जार ही हैं। सरकार की मंशा के अनुरूप श्रम विभाग ने मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया है। जिला प्रशासन और जिला पंचयतों ने ग्रामीण इलाकों में होने वाले निर्माण कार्यों में मजदूरों को काम दिया गया है। इसके अलावा कारखानों, लघु उद्योगों में मजदूरों को काम मिला है। वहीं प्रवासी मजदूरों को संबल योजना का लाभ दिया गया है। लॉकडाउन के दौरान निशुल्क राशन दिया है। सरकार प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के हरसंभव प्रयास कर रही है।

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