Bhopal : तय समय-सीमा निकली, तीन करोड़ से नहीं बन पाये दो स्कूल भवन

भोपाल, मध्यप्रदेश। निर्माण कार्यो की धीमी गति ने एक बार फिर जवाबदार इंजीनियरों की कर्तव्य निष्ठा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दो स्कूल भवन समय सीमा निकलने के बाद भी कम्पलीट नहीं हो पाये हैं।
तय समय-सीमा निकली, तीन करोड़ से नहीं बन पाये दो स्कूल भवन
तय समय-सीमा निकली, तीन करोड़ से नहीं बन पाये दो स्कूल भवनSyed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स :

  • सिंघौड़ा और चूनाभट्टी में पीआईयू को सौंपी गई थी निर्माण की जवाबदारी

  • शिक्षा विभाग में अधिकारियों ने कहा पूर्ण निर्माण के लिए लगातार पत्र जारी

भोपाल, मध्यप्रदेश। निर्माण कार्यो की धीमी गति ने एक बार फिर जवाबदार इंजीनियरों की कर्तव्य निष्ठा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में तीन करोड़ से की लागत के बनने वाले दो स्कूल भवन समय सीमा निकलने के बाद भी कम्पलीट नहीं हो पाये हैं।

अब इस मामले में शिक्षा विभाग द्वारा फिर स्मरण पत्र निर्माण विभाग को लिखा गया है। बताना होगा कि वर्ष 2019 में भोपाल की सिंघौड़ा और चूना भट्टी में नवीन स्कूल भवन निर्माण कराने की स्वीकृति शासन द्वारा दी गई थी। निर्माण की पूरी जवाबदारी शासन के नियम अनुसार लोक निर्माण विभाग की विंग प्रोजेक्ट एम्पलीमेंटेशन यूनिट यानि पीआयू के अधीन थी। इस कार्य की अवधि भी 18 मई रखी गई थी। निर्धारित समय पूरा हो गया है, लेकिन आज तक अभी कंप्लीट भवन विभाग को नहीं मिल पाए हैं। इस मामले में इंजीनियर तर्क दे रहे हैं कि कोरोना के कारण विलंब हुआ है। शिक्षा विभाग का कहना है कि लॉकडाउन खुला भी था तो उस अवधि में आखिर यह काम पूरे क्यों नहीं हो पाए हैं। सवाल यह भी है कि स्कूल संचालित हो गए हैं। बारिश का समय है। बच्चे स्कूलों में पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हें जर्जर कक्षाओं में बैठाया जा रहा है।

सिंघौड़ा और चूनाभट्टी में था निर्माण प्रस्तावित :

भोपाल के सिंघौड़ा और चूनाभट्टी में यह निर्माण कार्य करवाये जाने थे। सिंघौड़ा में एक करोड़ की लागत से यह बिल्डिंग बनकर तैयार होना थी। जबकि चूना भट्टी में 2 करोड़ रुपए स्कूल भवन निर्माण के लिए पीआईयू को दिए गए थे। इस संदर्भ में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के जिला को-ऑर्डिनेटर अरुण विजयवर्गीय का कहना है कि पीआईयू को लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं। हालांकि भवन कंप्लीट ऑन होने की ओर है। दोनों ही भवन फिनिशिंग की तरफ जा पहुंचे हैं। विजयवर्गीय का कहना है कि कोरोना के कारण इस कार्य में विलंब हुआ है। इंजीनियरों ने भी यही तर्क दिए हैं। अब उम्मीद है कि शीघ्र ही यह कार्य कंप्लीट हो जाएंगे। विभाग द्वारा भी इस काम की निगरानी की जा रही है। ताकि बच्चों के लिए नवीन भवन तत्काल मिल सके।

जर्जर स्कूलों के मांगे गये प्रस्तावित :

भीषण बारिश के कारण विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अधिकारी चिंतित हुए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने समस्त प्राचार्यों को पत्र दिए हैं कि वह जर्जर स्कूलों की मरम्मत कराने के लिए तत्काल प्रस्ताव भेजें। ताकि समय से विद्यालयों की मरम्मत का कार्य पूरा किया जा सके। जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना का कहना है कि निरीक्षण के दौरान विद्यालयों में मौके पर हकीकत देखी जा रही है।

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