अनूपपुर : मंत्री को आगे कर नौकरशाहों-मिलरों ने खेला-खेल
अनूपपुर, मध्य प्रदेश। नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा वेयर हाऊस के गोदामों से करीब 22 हजार क्विंटल चावल कम बताया जा रहा है, यह घोटाला और इस मामले की जांच आज या कल की नहीं बल्कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के दौरान वर्ष 2015-16 का है, बीते पखवाड़े और बिसाहूलाल के मंत्री बनने के बाद इस मामले में कोई नया मोड़ नहीं आया, जिस कारण इस मामले ने सुर्खियां बटोरी, उक्त मामले के सुर्खियों में आने का महज कारण यह है कि कांग्रेस छोड़ भाजपा में गये बिसाहूलाल सिंह को नई सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बनाया गया। बिसाहूलाल सिंह बीते 4 दशकों से अनूपपुर की राजनीति कर रहे हैं, जाहिर है जिले के लगभग मिलर किसी न किसी माध्यम से बिसाहूलाल से जुड़े सकते हैं। कैबिनेट मंत्री बनने के बाद जब बिसाहूलाल शहडोल पहुंचे तो, ट्रक आनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मो. जकरिया सहित अन्य कई संगठनों ने उनके स्वागत में बैनर-पोस्टर लगाये, बस इसी के बाद उक्त मिलर और आगामी उपचुनाव को लेकर भाजपा के अंदर खाने में चल रही राजनीति उफान पर आ गई। नौकरशाहों ने इस मामले का फायदा उठाया और अन्य जयचंदों ने मैनेजमेंट कर मामले को हवा दे दी।
इसलिए दी मामले को हवा :
वर्ष 2015-16 में हुए 22 हजार क्विंटल चावल घोटाले, जिसकी अनुमानित कीमत 6 करोड़ 20 लाख रूपये आंकी गई है, यह घोटाला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के गृह जिले का होने के कारण सबसे पहले न सिर्फ जांच में आता, बल्कि जिले सहित पड़ोसी प्रदेश के मिलरों पर गाज गिर सकती थी, यही नहीं सवा 6 करोड़ के इस घोटाले में नौकरशाहों पर भी पर भी आपराधिक मामले कायम होने की कगार पर थे, भाजपा के अंदर खाने से निकले जिन्न ने ही इस मामले को खाद्य मंत्री और ट्रक आनर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष व मिलर से जोड़ दिया। इससे एक तरफ तो, कैबिनेट मंत्री की किरकिरी राजधानी से लेकर संगठन तक में करने का प्रयास किया गया, वहीं दूसरी ओर उपचुनावों को लेकर कोई भी समझौता करने को तैयार प्रदेश भाजपा व सरकार इस मामले को हमेशा के लिए दफन कर देगी, जिससे जकरिया को छोड़ बाकी के पांच मिलर जिनके ऊपर 21 हजार 235 क्विंटल और शेष 6 करोड़ की वसूली के लिए एफआईआर होनी है।
बिसाहूलाल के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद जिन तीन ट्रक चावल जिसकी मात्रा 765 क्विंटल बताई गई है और 22 लाख के आस-पास के घोटाले का ठीकरा जिस परिवहनकर्ता मो. जकरिया पर फोड़ा गया है। असल में कुल 6 भ्रष्ट मिलरों में से सिर्फ मो. जकरिया को ही शिवराज सरकार के दौरान ही क्लीन चिट मिल गई थी। विभागीय अधिकारियों और सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज खुद इस बात के प्रमाण हैं कि राजेन्द्रग्राम वेयर हाऊस से जिला प्रबंधक मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड को जानकारी भेजने में की गई गड़बड़ी इस मुद्दे का कारण बनी। मामला अनूपपुर से भोपाल पहुंचने के बाद जब एफआईआर तक पहुंचा तो, उक्त मिलर सहित गोदाम में चावल रखने वाले कर्मचारी हरकत में आये और तमाम दस्तावेज खंगाले जाने के बाद इस मामले की पुष्टि हुई।
5 नटवरलाल और नौकरशाह :
बीते 20 से 25 दिनों से जिले में 4 साल पुराने भ्रष्टाचार के जिन्न को हवा देने वाले असल में भाजपा की राजनीति के पिटे हुए वे मोहरे हैं, जो अब अपनी जमीन तलाश रहे हैं, एक तरफ खुद के लिए जगह बनाने और दूसरी तरफ मामले को मंत्री से जोड़कर एफआईआर तक पहुंचने से रोकने के लिए पेड़ खबरों का सहारा भी लिया गया, बहरहाल यदि मंत्री स्वयं मामले की जांच करवाते हैं तो, यह उनकी सेहत के लिए तो ठीक होगा ही, उपचुनाव से पहले ऐसा कचरा भी साफ हो जायेगा, जो भाजपा और कैबिनेट मंत्री के लिए घातक हो सकता है।
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