सिंधिया पर कांग्रेस का हमला जारी- माहोरकर का बाड़ा बेंचने का लगाया आरोप

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस को सिंधिया जमीन घोटालेबाज नजर आने लगे हैं। यही कारण है कि पहले जो काम भाजपा नेता करते थे वही अब कांग्रेस नेता करने लगे हैं।
सिंधिया पर कांग्रेस का बड़ा हमला
सिंधिया पर कांग्रेस का बड़ा हमलाRaj Express

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस को सिंधिया जमीन घोटालेबाज नजर आने लगे हैं। यही कारण है कि पहले जो काम भाजपा नेता करते थे वही अब कांग्रेस नेता करने लगे हैं। शनिवार को कांग्रेस ने पत्रकारवार्ता बुलाकर सिंधिया पर करोड़ों रुपए की जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सरकार ने कार्यवाही नहीं की तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाएगी। यह आरोप कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मुरारीलाल दुबे एवं मीडिया प्रमुख (ग्वालियर-चम्बल संभाग) केके मिश्रा ने लगाया।

सिंधिया जब कांग्रेस मे थे तब भाजपा के नेताओं ने भी जमीन घोटाले के आरोप लगाए थे, लेकिन मजेदार बात यह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार होने के बाद भी कार्यवाही क्यों नहीं की गई? अब जब सिंधिया भाजपा में पहुंच गए हैं तो ऐसे ही आरोप कांग्रेस नेता लगाने लगे हैं। सवाल यह है कि जब कांग्रेस के पास जमीन घोटाले के दस्तावेज थे तो फिर 15 माह तक सरकार होने के बाद भी कार्यवाही क्यों नहीं की थी। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद अब कांग्रेस उनको जमीन घोटालेबाज दिखने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मुरारीलाल दुबे एवं मीडिया प्रमुख (ग्वालियर-चम्बल संभाग) केके मिश्रा ने सिंधिया परिवार पर तीसरा बड़ा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि सिंधिया परिवार ने ग्वालियर के जयेन्द्रगंज स्थित माहोरकर के बाड़ा की 8 बीघा 2 बिस्वा भूमि जिसकी कीमत 360 करोड़ रुपए है, जो ग्वालियर के पूर्व राजघराने की व्यक्तिगत सम्पत्ति की सूची में शामिल भी नहीं है, फिर भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उस पर अवैध कब्जा जमा कर अवैध निर्माण कर किराया वसूली हो रही है। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि उसके कुछ हिस्से को अपंजीकृत सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के माध्यम से बेंचकर करोड़ों रूपयों की अवैध वसूली भी कर डाली है, यह एक गंभीर व अक्षम्य अपराध है।

दुबे ने कहा कि इनवेन्टरी की सूची क्रमांक-1 में जयविलास पैलेस की जो बाउन्ड्री स्पष्ट की गई है उसमें माहोरकर का बाड़ा शामिल नहीं है। पैलेस के बाहर भवन क्रमांक 642 बाडे के नम्बर के रूप में अंकित है। उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार ग्वालियर गर्वमेंट ने 76 हजार रूपये में सरकारी खजाने से भुगतान कर लिखतम (लिखापढ़ी) क्रमांक.-715/1918 को करवाई थी। जिसका कब्जा पीडब्ल्यूडी के प्रशासनिक अधिकारी द्वारा लिया गया और ग्वालियर गर्वमेंट के जानवरी कारखाने के रूप में इसे शामिल कर लिया गया था। इस लिहाज से यह बाड़ा मध्य-भारत, उसके बाद मध्य-प्रदेश और बाद में नगर निगम की संपत्ति में शामिल हो गया। ग्वालियर राजघराने ने कूटरचित दस्तावेज बनाकर अपने अपंजीकृत देवस्थान ट्रस्ट में 10 मार्च 1969 को इसे रजिस्टर्ड भी करवा लिया, यह कैसे संभव हुआ?

नेताओं ने कहा कि यह अपराध यहीं नहीं थमा, देवस्थान ट्रस्ट ने नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से इसका नामांतरण भी करवा लिया, जिसे 6 दिसम्बर 1975 को तत्कालीन नगर निगम आयुक्त ने निरस्त कर दिया। यहां यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जब मानचित्र 813/51 में बना, इनवेन्टरी में इसका कोई हवाला नहीं है, तो नक्शा इनवेन्टरी का पार्ट कैसे हो गया? नेताओं ने कहा कि 20 अगस्त 1964 को राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया ने भारत सरकार के सचिव गृह मंत्रालय वी. विश्वनाथन को लिखे एक शिकायती पत्र में कहा कि हमारे आधिपत्य की जमीनों पर प्रशासन रोक लगा रहा है। इस शिकायत के पश्चात महल के अधिकारियों और राजस्व विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की गई संयुक्त जांच में माहोरकर का बाड़ा सर्वे क्र. 576-577 न केवल नगर निगम के आधिपत्य में होना पाया गया बल्कि प्रकरण क्र- 10/69-13/11 आदेश दिनांक 15 अक्टूबर 1969 द्वारा आयुक्त, नगर निगम ने नामांतरण करने से भी इंकार कर दिया। कांग्रेस नेताओ ने भाजपा सरकार से मांग की है कि वह शासकीय जमीन हड़पने के मामले में कार्यवाही करें नहीं तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

आखिर ऐसे आरोप लगाने से कब तक राजनीति चमकाओगे :

सिंधिया परिवार को लेकर पहले से जमीन हड़पने को लेकर अरोप लगते रहे है। अंतर यह है कि पहले यह आरोप भाजपा के कुछ नेता लगाया करते थे वहीं अब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस तरह के आरोप लगाना शुरू कर दिया है ताकि सिंधिया के बहाने उनकी राजनीति चमकती रहे। सवाल यह है कि जब भाजपा नेताओं ने करोड़ों की जमीन हड़पने के दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत कर आरोप लगाए थे तो उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी फिर कार्यवाही करने से किसने रोका था? ऐसे ही आरोप अब कांग्रेस नेता प्रमाण सहित लगा रहे हैं, लेकिन 15 माह तक सत्ता में रहे फिर कार्यवाही क्यों नहीं की थी? सवाल कई है, लेकिन कार्यवाही न कर सिर्फ और सिर्फ सिंधिया परिवार पर आरोप लगाकर राजनीति करना मुख्य उद्देश्य बन गया है।

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