ग्वालियर, मध्य प्रदेश। कांग्रेस के लिए उप चुनाव इसलिए खास है, क्योंकि सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हुई थी ओर सत्ता से बाहर होने में अंचल के 15 विधायकों की खासी अहमियत रही थी जो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए थे। कमलनाथ ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए सबसे अधिक फोकस सिंधिया के गढ़ में उनको मात देने पर किया है ओरऔर तीन सर्वे कराने के बाद अंचल की 16 विधानसभा में से 9 पर उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। डबरा में जहां महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी के सामने कांग्रेस ने उनके ही समधी सुरेश राजे को मैदान में उतारा है। वहीं ग्वालियर विधानसभा में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह के सामने सिंधिया के सहारे राजनीतिक करने वाले सुनील शर्मा पर कांग्रेस ने विश्वास जताया है।
प्रदेश में विधानसभा की 27 सीटों पर उपचुनावों होना है, जिसमें से कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है जिसमें 15 प्रत्याशी घोषित किए हैं। कांग्रेस ने भी बाहर से आने वालों पर विश्वास अधिक दिखाया है, इसके पीछे कारण यह है कि कमलनाथ ने जो सर्वे कराया है और जो जानकारी ली है उसके तहत दूसरे दल से आने वालों को उस दल का भी सहारा मिल सकता है।
ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा सीट कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद रोचक स्थिति दिखाई देगी। भाजपा की और से सिंधिया समर्थक और विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुई महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी मैदान में है तो वहीं कांग्रेस ने इस बार अपना दाव भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सुरेश राजे पर लगाया है। इमरती और सुरेश राजे आपस में रिश्तेदार हैं और इनके बीच समधी-समधिन का रिश्ता है। इमरती के पिछले विधानसभा चुनाव में सुरेश राजे ने उनका जमकर प्रचार किया था, लेकिन राजनीति है जो समय के हिसाब से बदलती रहती है।
सुरेश राजे पहले भी नगर पालिका और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें जीत का अभी तक इंतजार है। राजे के पक्ष में इमरती के कई ऐसे समर्थक हैं जो पार्टी बदलने के बाद इमरती के साथ नहीं गए, बल्कि कांग्रेस के साथ ही उनकी आस्था रही। अब देखना यह होगा कि 3 बार से लगातार डबरा विधानसभा सीट की विधायक रही इमरती इस बार अपनी कुर्सी बचाने में सफल होती है या नहीं, क्योंकि उनकी आशाएं भी वर्तमान में गृह मंत्री और दतिया क्षेत्र से विधायक डॉ. नरोत्तम मिश्रा के ऊपर है जो हर विधानसभा चुनाव में अब तक इमरती के खिलाफ खड़े नजर आते थे, लेकिन पहली बार वे इमरती के साथ प्रचार करते नजर आएंगे।
दोनो सिंधिया भक्तों के बीच होगा मुकाबला :
ग्वालियर विधानसभा में कांग्रेस ने सुनील शर्मा को मैदान मेें उतारा है। यहां से कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह तोमर 2018 में निर्वाचित हुए थे, लेकिन सिंधिया के साथ भाजपा में जाने के कारण अब वह कमल के निशान पर मैदान में आएंगे। जबकि सुनील शर्मा ने कांग्रेस में ही रहना बेहतर समझा था ओर उसी का इनाम उनको टिकट के रूप में दिया गया है। प्रद्युम्न सिंह व सुनील शर्मा दोनो ने ही माधवराव सिंधिया के सानिध्य में राजनीति शुरू की थी और बाद में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े रहे थे। लम्बे समय तक दोनों ने अपने क्षेत्र में जन समस्याओं को लेकर संघर्ष किया, लेकिन जब भी टिकट का मौका आता था तो सिंधिया की पहली प्राथमिकता प्रद्युम्न सिंह हुआ करते थे और यही कारण है कि वह उनको लगातार तीन बार से टिकट सिंधिया ने कांग्रेस से दिलवाया था। अब परिस्थिति बदली है ओर सुनील कांग्रेस से मैदान में है। ऐसे में ग्वालियर में मुकाबला रोचक दिखाई दे सकता है, क्योंकि ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में दोनो ही नेता जन समस्याओ को लेकर हमेशा सक्रिय रहते आएं हैं।
अंचल में इनको मिला यहां से टिकट :
अंचल में सिंधिया के समर्थकों को इस बार कमलनाथ हर कीमत पर हराना चाहते हैं और यही कारण है कि सर्वे कराएं तब जाकर 9 टिकट फाइनल किए हैं। शुक्रवार को जो सूची जारी की गई है उसमें मुरैना जिले की दिमनी से रविन्द्र सिंह तोमर, अम्बाह से सत्यप्रकाश संखवार,गोहद से मेवाराम जाटव, ग्वालियर से सुनील शर्मा, डबरा से सुरेश राजे, भाण्डेर से फूल सिंह बरैया, करैरा से प्राज्ञीलाल जाटव, बम्हौरी से कन्हैयालाल अग्रवाल, अशोकनगर से आशा दोहरे के नाम घोषित किए है। अंचल में अभी 7 सीटो पर और उम्मीदवार घोषित किए जाना है। सूची देखी जाएं तो कांग्रेस ने भी दूसरे दलो से आने वालों पर विश्वास जताया है।
मंत्री से नहीं सीएम व राज्यसभा सांसद से मुकाबला : सुनील
टिकट मिलने के बाद कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शर्मा ने कहा कि मेरा सिर्फ मंत्री से ही नहीं बल्कि सीएम एवं राज्यसभा सांसद से मुकाबला है। यही कारण है कि भाजपा को फौज हर रोज दौरे पर दौरे कर रही है। अब अगर आपके मंत्री ने काम किया होता तो सीएम व अन्य नेताओ को आने की क्या जरूरत है, लेकिन जनता सब जानती है। 15 साल के भाजपा कुशासन को जनता ने हराकर बाहर किया था, लेकिन दलबदलु फिर उसी कुशासन को ले आएं। बिजली बिलों में जो कटौती कमलनाथ ने की थी वह अब फि र बढ़कर आने लगे है। शर्मा ने बताया कि ग्वालियर के लोग न धोखा देते है ओर न धोखा देने वालों को बर्दाश्त करते हैं। अब चुनाव में जनता बता देगी कि कौन धोखेबाज है।
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