भूमाफिया चम्पू अजमेरा सात दिन के पुलिस रिमांड पर
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भूमाफिया चम्पू अजमेरा सात दिन के पुलिस रिमांड पर

इंदौर, मध्यप्रदेश। क्राइम ब्रांच ने शनिवार को उज्जैन रोड से भूमाफिया चंपू अजमेरा को गिरफ्तार किया था। वह इन्दौर के विभिन्न थानों में दर्ज मामलों में फरार चल रहा था।

हाइलाइट्स :

  • कई थाना क्षेत्रों में प्लाट के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप

  • अलग-अलग थानों में दर्ज हैं डेढ़ दर्जन मामले

  • किसानों के फर्जी हस्ताक्षर कर टीएनसी से नक्शे पास कराए

  • शान को भी लगाया स्टाम्प ड्यूटी का चूना

इंदौर, मध्यप्रदेश। क्राइम ब्रांच ने शनिवार को उज्जैन रोड से भूमाफिया चंपू अजमेरा को गिरफ्तार किया था। वह इन्दौर के विभिन्न थानों में दर्ज मामलों में फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी पर 30 हजार का इनाम भी घोषित किया गया था। आरोपी को आज कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 7 दिन का रिमांड पुलिस को मिला है।

एएसपी क्राइम ब्रांच के अनुसार चम्पू उर्फ रितेश अजमेरा कल उज्जैन की ओर फार्चुनर कार से जा रहा था, तभी उसे बाणगंगा पुलिस की मदद से पकड़ा था। चंपू पर बाणगंगा मे कुल 4 अपराध पंजीबद्ध थे। जिनमें से कालिंदी गोल्ड सिटी वाले अपराध क्र. 563/16 धारा 420, 467, 468, 471, 34 भादवि के तहत गिरफ्तार किया गया जाकर न्यायालय में पेश कर पूछताछ व साक्ष्य संकलन हेतु 7 दिन का पुलिस रिमांड स्वीकृत कराया गया हैं। आरोपी से फिलहाल बाणगंगा थाने में पूछताछ चल रही है। चम्पू के विरुद्ध उक्त अपराध के अलावा तीन अन्य मामले दर्ज हैं, जिसमें उसने कालिंदी गोल्ड सिटी में क्रेताओं से राशी लेकर प्लाट का स्वामित्व नहीं दिया। इन तीनों मामलों में भी गिरफ्तारी की जाकर पूछताछ की जाना शेष है।

इसके बाद लसूड़िया पुलिस द्वारा भी फोनिक्स टाउनशीप ग्राम कैलोद हाला के मामले में चंपू का पुलिस रिमांड मांगा जावेगा। इस थाने में उसके खिलाफ 10 मामले दर्ज हैं, जिनमें राशि लेने के बावजूद कब्जा नहीं देने के आरोप हैं। इसके अलावा सेटेलाईट हिल्स नायता मुडंला प्रकरण मे फरार चल रहे चंपू की तुकोगंज तुकोगंज और तेजाजीनगर पुलिस को भी तलाश थी।

चम्पू एवं इसके अन्य साथी नीलेश, पवन, योगीता, सोनाली अजमेरा, चिराग शाह, निकुल, मनीष, जितेन्द्र पंवार, विकास सोनी, अमरीश चौरसिया, रजत वोहरा, शब्बीर एवं खलील के विरूध्द वर्ष 2016 मे भी क्राइम ब्रांच थाने पर फोनिक्स टाउनशीप में धोखाधडी व जालसाजी का दर्ज हुआ था। जितमें आरोपीगणों को विरूद्ध विवेचना उपरांत कोर्ट में चार्जशीट 18 सितंबर 16 को दाखिल कर 22 सितंबर 16 को मुकदमा पेश किया गया था। यह मामला फिलहाल न्यायालय मे विचाराधीन होकर सुनवाई पर लंबित बना हुआ है । क्राइम ब्रांच को उक्त प्रकरण की जांच के दौरान फिनिक्स डेवकान प्रायवेट लिमिटेड कालोनी के नाम से आरोपी चंपू उर्फ रितेश अजमेरा एवं अन्य साथीगणों के द्वारा धोखाधड़ी व जालसाजी किए जाने के कई बिंदु सामने आए थे।

जांच में पता चला कि उक्त कालोनी फिनिक्स डेवकान प्रायवेट लिमिटेड के नाम से 2007 मे बनाई गई थी, जिसके डायरेक्टर रितेश अजमेरा , निलेश , पवन योगिता सोनाली अजमेरा,चिराग शाह निकुल जितेन्द्र पंवार, विकास सोनी अमरिश चौरसिया, रजत बोहरा , मनीष सिंह है। अन्य आरोपी शब्बीर एवं खलील रितेश अजमेरा के यहां काम करते थे । आरोपियों ने कुल 75 एकड़ कृषि भूमी किसानों से क्रय की, परंतु उक्च जमीन पर 100 एकड़ के हिसाब से 25 लाख वर्गफीट का नक्शा तैयार कर कुल 2303 प्लाट के कुल 3 नक्शे पाए कराए गए थे, जो कि नियम विरुद्ध थे। जबकि उनमें से एक स्थान पर रेल्वे लाईन होने से नक्शा पास होना संभव ही नहीं था।

वहीं आरोपियों ने कृषि भूमि अपने नाम पर कराए बगैर ही 2007 मे ही किसानों के जाली हस्ताक्षर कर टी.एन.सी कार्यालय मे कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर सेटेलाईट इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम से नक्शे पास करा लिए थे, जबकि डेवलपमेंट फोनिक्स डेवकान प्रा. लिमि. के नाम से था। जांच में पता चला कि आरोपियों जमीन क्रय कर कंपनी के नाम पर रजिस्ट्री नही कराई और शासन की स्टाम्प डयूटी का चूना लगाकर लोगों को प्लाट बेचे और सीधे उनके नाम से रजिस्ट्री करवा दी। इतना ही नहीं आरोपियों ने किसानों से 75 एकड कृषि भूमि की रजिस्ट्री अपने नाम होने से पूर्व ही लोगों को प्लाट बेच कर उनसे 75 प्रतिशत राशि प्राप्त कर ली थी।

इसके अलावा इन लोगों ने उल्लेखित 100 एकड़ कृषि भूमि मे से मात्र लगभग 50 एकड़ कृषि भूमि ही इनके नाम रजिस्ट्री कराई गई। इस हिसाब से इनकी कंपनी मात्र 50 एकड़ कृषि भूमि के ही मालिक थी। जबकि पास कराए गए नक्शों मे उल्लेखित 25 एकड कृषि भूमि ऐसी थी, जिन्हें किसानों ने इनको बेची ही नहीं थी। उक्त टाउनशिप मे पास कराए नक्शों मे से कई खसरा नंबर ऐसे हैं, जिन पर आज भी किसान खेती कर रहे हैं।

इतना ही नहीं, उक्त 50 एकड़ भूमि में केवल 1100 प्लाट ही हो सकते थे, परंतु उक्त आरोपीगणों द्वारा 2300 प्लाट के नक्शे पास कराकर 2303 से भी अधिक 2440 नंबर तक के प्लाटों की बिक्री कर दी गई। जिनमें से एक ही प्लाट एक से अधिक लोगों को रजिस्ट्री भी कर दी गई थी। पास कराए गए नक्शों मे जो नाला व गार्डन दिखाया था उस पर भी प्लाट काटकर बेच दिए, वहीं कुछ प्लाट पर रोड निकाल दी। शासन की गाइडलाईन का भी जमकर मखौल उड़ाया गया। कुछ कृषि भूमि की रजिस्ट्री में फर्जी हस्ताक्षर भी पाए गए थे। आरोपियों ने एसडीएम को बैंक गारंटी मुक्त कराने हेतु दिए गए पत्रों मे भी किसानों के जाली हस्ताक्षर किए थे।

प्लाट खरीदने वालों से आरोपियों ने 16 करोड़ से ज्यादा का मेंटेनेंस भी ले लिया, जिसका उन्होंने उल्लेख ही नहीं किया। वहीं एक्सिस बैंक में गारंटी के रूप मे जमा कराए गए 1 करोड़ 38 लाख रुपए को भी मुक्त कराए जाने का आदेश प्राप्त कर इनके द्वारा यह राशि भी निकाल ली गई। 2016 मे कलेक्टर के समक्ष 290 प्लाट धारकों द्वारा शिकायतें की गई थी, जिस पर जिला कलेक्टर द्वारा फोनिक्स टाउनशिप का सीमांकन कराया जाकर प्राप्त शिकायतों का निराकरण कराया गया था। इसके अनुसार उनके द्वारा कुल 139 प्लाट धारकों को कंपनी द्वारा जिन प्लाट नंबरो की रजिस्ट्री की गई है, वह प्लाट कंपनी की स्वामित्व की भूमि मे ही नही पाया जाकर अन्य किसान की भूमि में थे, जिससे क्रेताओं को प्लाट नहीं दिलाए जा सके। यह भूमि पर आरोपियों ने किसानों के फर्जी हस्ताक्षर कर टीएनसी से पास करा लिए थे। ऐसी ही अन्य कई कारस्तानियां भूमाफियाओं ने की है, जिन पर उससे पूछताछ करना है। क्राइम ब्रांच अधिकारियों द्वारा इन्दौर के फरार भूमाफियाओं में अब तक बाबी छाबडा , हैप्पी धवन व चम्पू उर्फ रितेश अजमेरा को गिरफ्तार किया जा चुका है। शेष फरार भूमाफियाओं की पतारसी व गिरफ्तारी की जाना शेष है, जिस पर टीमें लगातार लगी हुई है।

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