राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए मौजूद छात्रावासों की व्यवस्थाएं काफी चिंताजनक हैं। जब हंगामा होता है तो व्यवस्थाएं सुधारने की बात कही जाती है लेकिन समय के साथ सुधार की बातें भी हवा में चली जाती हैं। जिले में कुल 84 छात्रावास हैं और 62 अधीक्षक लेकिन तीन अधीक्षक निलंबित हैं इसलिए सिर्फ 59 अधीक्षकों को ही सभी छात्रावासों की जिम्मेदारी दी गई है।
छात्रावासों की स्थिति है बदहाल :
आदिमजाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक आरपी भद्रसेन ने बताया कि जिले में अनुसूचित जाति के 80 छात्रावास हैं जबकि ओबीसी के 4 छात्रावास हैं। अनुसूचित जाति के छात्रावास 50 सीटर हैं। शहर में इनकी संख्या 21 है। महत्वपूर्ण यह है कि, ज्यादातर छात्रावासों की स्थिति बदहाल है। शहर में ही मौजूद छात्रावासों की व्यवस्था देखने की किसी को फुर्सत नहीं है।
आत्महत्या का मामला होने के बाद भी प्रशासन लापरवाह :
बीते रोज छात्रावास में रहने वाली छात्रा के फांसी लगाकर आत्महत्या करने के बाद प्रशासन यह कहता नजर आ रहा है, कि नायब तहसीलदारों के माध्यम से छात्रावासों की जानकारी ली जाएगी और छात्र-छात्राओं से उनकी समस्याएं जानी जाएंगी। अधीक्षकों की पर्याप्त संख्या न होने के कारण मजबूरन कई छात्रावासों का चार्ज एक अधीक्षक को देना पड़ता है।
जिपं अध्यक्ष के साथ सीईओ ने की थी अभद्रता :
गत 22 सितम्बर को जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती अनुरागी ने चार छात्रावासों का औचक निरीक्षण किया था। उत्कृष्ट बालक छात्रावास लवकुशनगर, सीनियर बालक छात्रावास लवकुशनगर के प्रभारी जेडी शुक्ला निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित मिले थे। यहां की व्यवस्थाएं काफी खराब थीं। अध्यक्ष ने प्रतिवेदन बनाकर कार्यवाही के लिए जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चन्द्र के पास भेजा। अक्टूबर में भी कार्यवाही न होने पर अध्यक्ष ने कलेक्टर के चेम्बर में जिपं सीईओ से कार्यवाही किए जाने के बारे में चर्चा की तो वे अभद्रता पर उतारू हो गए।
अध्यक्ष कलावती अनुरागी का कहना है कि वे छात्रावासों की व्यवस्थाएं सुधारने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से सहयोग नहीं दिया जा रहा।
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