भोपाल, मध्यप्रदेश। आज राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि है, बता दें कि आज के दिन (8 अप्रैल, 1894) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का निधन हुआ था, बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
सीएम ने ट्वीट कर अर्पित की श्रद्धांजलि :
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के रचयिता महान कवि, साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आनंदमठ, 'कपाल कुण्डली', 'मृणालिनी' जैसी महान रचनाओं के माध्यम से चट्टोपाध्याय जी अमर है।
आज निवास में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के रचयिता और अपनी लेखनी से करोड़ों क्रांतिकारियों को प्रेरणा देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. बंकिमचंद्र चटर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
नरोत्तम मिश्रा ने भी किया ट्वीट-
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ट्वीट कर कहा- प्रख्यात साहित्यकार, राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' के रचयिता श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि, उनकी रचना "वंदे मातरम्" देश की आत्मा का उद्घोष है।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून 1838 को हुआ था :
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून 1838 को नैहाटी पश्चिम बंगाल में हुआ था, बंकिमचंद्र को उनकी साहित्यिक रचनाओं के लिए युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा, उन्होंने अपने उपन्यासों के माध्यम से देशवासियों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह की चेतना का निर्माण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
बता दें कि बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय प्रख्यात कवि, उपन्यासकार, गद्यकार और पत्रकार थे वहीं 8 अप्रैल, 1894 को यह महान राष्ट्र भक्त सदा के लिए हम सबसे विदा हो गया, आपको बताते चले कि बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का सबसे चर्चित उपन्यास 'आनंदमठ' 1882 में प्रकाशित हुआ, जिससे प्रसिद्ध गीत 'वंदे मातरम्' लिया गया है, उनके द्वारा रचित उपन्यासों में दुर्गेशनंदिनी, आनंदमठ, कपालकुंडला, मृणालिनी, राजसिंह, विषवृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा, सीताराम, राधारानी, रजनी और इंदिरा’ प्रमुख हैं, इन सभी उपन्यासों की विशेषता यह है कि इनके पात्र ऐतिहासिक या तत्कालीन समाज से लिए गए हैं।
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