सीएम ने स्वसहायता समूह की बहनों को स्वीकृत ऋण का चेक भेंटकर दी शुभकामनाएं
मध्यप्रदेश। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गरीब कल्याण सप्ताह के तहत हुए महिला स्व-सहायता समूहों के सशक्तिकरण हेतु ऋण वितरण के कार्यक्रम में समूह की महिलाओं से संवाद किया। स्व-सहायता समूहों के सशक्तिकरण हेतु ऋण वितरण का शुभारंभ किया गया है फिर स्वसहायता समूह की बहनों को स्वीकृत ऋण का प्रतीकात्मक चेक भेंट किए हैं।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने तय किया है कि आने वाले 3 सालों में 33 लाख बहनों को स्व-सहायता समूहों से जोड़ा जाएगा। उन्हें पैसों की कमी न आये इसका भी हम पूरा प्रयास करेंगे। उन्हें ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा जाएगा। उनकी मदद हेतु राज्य स्तरीय विपणन महासंघ भी बनाया जाएगा। स्वसहायता समूह को पहले ऋण के लिए 300 करोड़ रुपये निर्धारित थे, जिसे मैंने बढ़वाकर 1400 करोड़ करवाये हैं। मेरी बहनों, आपको केवल 4 प्रतिशत की दर से ही ब्याज देना होगा।
आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में केवल बड़े-बड़े उद्योग लाने से काम नहीं चलेगा। मैं चाहता हूं कि सभी घरों में छोटे-छोटे काम हों और सभी घर सशक्त हों। हर घर की आय बढ़े और सभी सशक्त हों, तभी बड़ा परिवर्तन आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः। देवताओं का वास वहीं होता है जहाँ नारियों की पूजा होती है। हमारी बहनों ने कोरोना काल में दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए लाखों मास्क और पीपीई किट का निर्माण किया। वे जनजागरण का कार्य भी कर रही हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि अपने यहां नारी को बहुत सम्मान से देखा जाता है। सिया के बिना राम नहीं और राधे के बिना श्याम नहीं। हमारी बहनें सशक्त होकर अपने परिवार और समाज को सशक्त बना रही हैं। बेटियाँ के साथ न्याय करने के लिए मैंने अनेक योजनाएँ बनाई। बेटियों का सशक्तिकरण तब होगा जब वे अपने पैरों पर खड़ी हों। तभी मैंने महिला स्व-सहायता समूहों के गठन का निर्णय लिया। बेटियाँ के साथ न्याय करने के लिए मैंने अनेक योजनाएँ बनाई। बेटियों का सशक्तिकरण तब होगा जब वे अपने पैरों पर खड़ी हों। तभी मैंने महिला स्व-सहायता समूहों के गठन का निर्णय लिया।
बताते चलें कि मुख्यमंत्री ने, बयान दिया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने सबसे पहले लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई और मुझे खुशी है कि अब बेटियों के प्रति समाज का दृष्टिकोण काफी बदल गया है। मैं मानता हूं कि बहन-बेटियों को सशक्त कर दीजिए, तो समाज सशक्त बन जायेगा। बचपन से ही मैंने महसूस किया है कि माताओं और बहनों के साथ भेदभाव किया जाता था। बेटों को ज़्यादा लाड़ किया जाता था और बेटियों को कम प्यार किया जाता था। बेटों के जन्म पर उत्सव किया जाता था और बेटी के जन्म पर चेहरा बिगड़ जाता था।
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