CM बोले- बजट निर्माण प्रक्रिया से हटकर नवाचारी विचारों पर काम करें
राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की परियोजनाओं के लिये वैकल्पिक वित्त व्यवस्था' विषय पर वित्त विभाग द्वारा भोपाल के मिंटो हाल में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि, पूरे विश्व का आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। इसलिए वित्तीय संस्थाओं और वित्त की व्यवस्था करने वाली सरकारों को भी अपनी सोच में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।
सीएम कमलनाथ ने कहा कि भारत जैसे देश में महत्वाकांक्षी युवाओं का बड़ा समुदाय रहता है और उसकी महत्वाकांक्षाएँ पूरी करने के लिए ज्यादा बजट संसाधनों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बदले हुए और लगातार बदल रहे, भारत और भारतीय राज्यों के लिए वित्तीय व्यवस्थाएँ करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। इसलिए बैंकों, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्रों को परिवर्तन के साथ स्वयं को बदलने की और परिवर्तनों को अपनाने की आवश्यकता है। इसलिए पारम्परिक बजट निर्माण की प्रक्रिया से अलग हटकर वैकल्पिक व्यवस्थाओं और नवाचारी विचारों पर काम करने की जरूरत है। रोजगार पैदा करने वाली आर्थिक गतिविधियों पर लगातार ध्यान देना जरूरी हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, मध्यप्रदेश जैसे राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है लेकिन उनके आधार पर आर्थिक गतिविधियों का विस्तार करने के प्रयासों में कमी दिखती है। मध्यप्रदेश की कृषि को अत्याधुनिक बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि कृषि से संबंधित अन्य आर्थिक गतिविधियों में विस्तार हो। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश कृषि उत्पादन में आगे है लेकिन इन उत्पादों के लिए बाजार तक पहुँच बनाने में कई बाधाएँ हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई देशों की बजट व्यवस्थाएँ वित्तीय जवाबदारी एवं बजट प्रबंधन जैसे कानूनों के बिना भी अच्छी स्थिति में है। इस बार के केन्द्रीय बजट में मध्यप्रदेश के हिस्से की 14 हजार करोड़ रूपए की राशि की कमी है। उन्होंने बजट संसाधनों के प्रबंधन के लिए नई दृष्टि और नई सोच के साथ आगे बढ़ने और शासन में सुधार लाने पर जोर दिया।
पूर्ववर्ती योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम.एस. अहलूवालिया ने राज्यों की बढ़ती वित्त जरूरतों और वित्तीय सीमाओं को देखते हुए वित्तीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन कानून को नये संदर्भों में दोबारा लिखने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण आर्थिक अधोसंरचना परियोजनाओं में बजट की कमी को दूर करने के लिये निजी - सार्वजनिक भागीदारी का कानून बनाने पर भी विचार करना चाहिए।
कार्यशाला में मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्ववर्ती योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम.एस. अहलूवालिया, वित्त मंत्री तरूण भनोत समेत बैंकों, कार्पोरेट सेक्टर के बजट विशेषज्ञों, बजट निर्माण में विशेष योग्यता रखने वाले विद्वानों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
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