सीएम शिवराज ने गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर किया नमन
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CM शिवराज ने गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर किया नमन, नरोत्तम मिश्रा भी रहे मौजूद

आज सिख धर्म के गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) का प्रकाश पर्व है। इस खास मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर उन्हें नमन किया है।

भोपाल, मध्य प्रदेश। आज सिख धर्म के गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) का प्रकाश पर्व है। बता दें, देशभर में आज सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर उन्हें नमन किया है। शिवराज सिंह चौहान ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) के साथ उनके चित्र में माल्यार्पण किया।

सीएम शिवराज ने किया नमन:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने धर्म की रक्षा और मानवता के कल्याण के लिए प्राणों की आहुति देने वाले, सिखों के नौवें गुरु, श्रद्धेय गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व पर साथी नरोत्तम मिश्रा के साथ गुरु चरणों में नमन किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि, "आपके पवित्र विचार सर्वदा मानवता के शुभत्व व मंगल का पथ प्रशस्त करते रहेंगे।"

सीएम शिवराज ने किया ट्वीट:

"धरम हेत साका जिनि कीआ

सीस दीआ पर सिरड न दीआ।"

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों व सिद्धान्त की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाले, श्रद्धेय गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर कोटिश: नमन् करता हूं।आपकी शिक्षाएं व आदर्श जीवन सर्वदा मानवता के कल्याण का पथ प्रशस्त करता रहेगा।"

नरोत्तम मिश्रा ने किया ट्वीट:

वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "हिन्द दी चादर' के नाम से विख्यात, सिख समुदाय के नोवें गुरु, गुरु तेगबहादुर जी को प्रकाशपर्व पर सादर नमन।"

उन्होंने आगे कहा कि, "धर्म रक्षा में प्राणों का बलिदान करने वाले गुरु तेगबहादुर जी का जीवन वीरता और साहस की ऐसी मिसाल है, जो आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।"

वहीं अगर गुरु तेग बहादुर के बारे में बात करे, तो गुरु तेग बहादुर का जन्म 18 अप्रैल को अमृतसर नगर में हुआ था, इनके पिता छठे गुरु हरगोविंद साहिब एवं माता नानकी के घर जन्म लेने वाले गुरु तेग बहादुर बचपन से ही आध्यात्मिक रुचि वाले थे। उन्होंने 13 वर्ष की आयु में करतारपुर के युद्ध में ऐसी वीरता दिखाई कि, पिता ने उनका नाम 'त्याग मल' से 'तेग बहादुर' रख दिया गया था। 21 वर्ष की सतत् साधना के उपरांत 1665 ई. में गुरु तेग बहादुर गद्दी पर बैठे थे। गुरु तेग बहादुर कश्मीर में हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाने के सख्त विरोधी थे। उन्होंने खुद भी इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था।

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