मप्र के सीएम शिवराज के बधाई संदेश में सोशल मीडिया टीम से हुई चूक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सोशल मीडिया पेज से जारी शंकराचार्य जयंती के बधाई संदेश में सोशल मीडिया टीम से हुई चूक।
मप्र के सीएम शिवराज के बधाई संदेश में सोशल मीडिया टीम से हुई चूक
मप्र के सीएम शिवराज के बधाई संदेश में सोशल मीडिया टीम से हुई चूकSyed Dabeer Hussain - RE

राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा शंकराचार्य जयंती पर आध्यात्मिक गुरुओं से बातचीत के दौरान कहा कि कोविड-19 की चुनौती से निपटने में मध्यप्रदेश में आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग की बात अन्य प्रांतों तक पहुंची है। निश्चित ही इस उपयोगी काढ़े के व्यापक उपयोग पर ध्यान दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के इस कठिन समय में हजारों चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी और अन्य शासकीय सेवक अद्भुत कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दे रहे हैं। इनकी सेवाओं को जनता हमेशा याद रखेगी।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सोशल मीडिया पेज से जारी शंकराचार्य जयंती के बधाई संदेश में सोशल मीडिया टीम से हुई चूक हो गई, जिसे बाद में सुधार भी लिया गया। शंकराचार्य जयंती के लिए जारी इस बधाई संदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर शंकराचार्य की तस्वीर के ऊपर लगा दी गई थी बाद में इसे ठीक कर लिया गया शंकराचार्य की तस्वीर के नीचे शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर लगाई गई।

पहले और बाद में जारी की गई तस्वीर।
पहले और बाद में जारी की गई तस्वीर।Social Media

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आचार्य शंकर सांस्कृतिक न्यास के न्यासियों से चर्चा के दौरान कहा कि यही भारतीय संस्कृति है कि संकट के वक्त सभी मिलकर उसका मुकाबला संयुक्त रूप से करते हैं। यही एकजुटता हमारी शक्ति भी है। मुख्यमंत्री ने चर्चा में प्रतिभागी आध्यात्मिक गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया। श्री चौहान ने कहा कि आध्यात्मिक गुरुओं से प्राप्त मार्गदर्शन संकट की इस घड़ी में उपयोगी सिद्ध होगा।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड-19 जैसी चुनौतियों से निपटने में उपचार की भारतीय पद्धति का भी उपयोग किया जाना चाहिए। आधिकारिक जानकारी में चौहान ने कहा कि आज जिस तरह इस रोग ने पूरे विश्व को कष्ट में डाल दिया है, उससे यह प्रश्न उपस्थित हुआ है कि उपचार में किस तरह योग, मंत्र और संगीत आदि का उपयोग किया जाए। रोगी का मनोबल बढ़ाने के लिए क्या प्रयास हों। कई रोग स्नेह से ठीक होते हैं लेकिन कोविड-19 जैसे रोग के लक्षण वाले बालक को उसकी माँ ही सिर पर हाथ नहीं रख सकती।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रोगी के उपचार की प्रचलित विधियों के साथ ही भारतीय परंपरा में विद्यमान मौलिक विधियों को उपयोग में लाया जा सकता है। एक स्थिति रोग होने के बाद उपचार की होती है। दूसरी स्थिति यह होती है कि शरीर को इतना रोग प्रतिरोधी बना दिया जाए कि रोग पास ही न आए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आयुर्वेद के विद्वानों, प्राकृतिक चिकित्सा के जानकारों, आध्यात्मिक गुरुओं और विभिन्न वर्गों से विचार-विमर्श कर समाधान का मार्ग निकाला जाना चाहिए।

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