राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में कोरोना का संकट जहां थमने का नाम नहीं ले रहा है वहीं इधर गर्मी का तापमान बढ़ते ही पानी की आपूर्ति को लेकर भी समस्याएं उत्पन्न हो रही है जिसके चलते ही प्रदेश के शाजापुर जिले में जलसंकट को देखते हुए अभाव ग्रस्त जिला घोषित कर दिया है।
इस सम्बन्ध में, कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि, ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की सुचारू व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से शाजापुर जिले को पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम की धारा 3 के तहत जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है।
उन्होंने बताया कि, घरेलू प्रयोजन और निस्तार को छोड़कर अन्य प्रयोजन जैसे कि सिंचाई या औद्योगिक, व्यवसायिक अथवा अन्य के लिए जल उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया है। कोई भी व्यक्ति जिले के समस्त जलस्त्रोतों जैसे कि बांध, नदी, नहर, जलधारा, झरना, झील, जलाशय, नालाबंधान, नलकूप या कुओं से अन्य किसी प्रयोजन के लिए पूर्व से अनुमति प्राप्त को छोड़कर जल उपयोग नहीं कर सकेंगे।
साथ ही आगे बताया कि यह प्रतिबंध भू-जलस्तर लगातार नीचे जाने के कारण जिले में वर्तमान जल स्त्रोतों में उपलब्ध जल को पेयजल के लिए आरक्षित करने के लिए लगाया है। कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के प्रतिवेदन के आधार पर जिले में औसत वर्षा 990.10 मिमी की तुलना में 1742.80 मिमी वर्षा होने के बाद भी भू-जल स्तर लगातार नीचे जाने के कारण यह प्रतिबंध लगाया गया है। प्रतिबंध 31 जुलाई तक प्रभावशील रहेगा। इस अवधि में अशासकीय एवं निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने पर मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत 2 वर्ष तक के कारावास या 2 हजार रूपये तक का जुर्माना किया जाएगा।
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