उमरिया, मध्य प्रदेश। दुनिया भर से लोग टाइगर रिजर्वों में वन्यप्राणियों के दीदार के लिए आते हैं और उनके मन में प्राकृतिक फिजाओं और वन्य प्राणियों की चहलकदमी को देखकर ख्याल आता होगा कि उन्हें भी वन्य प्राणियों को सेवा का अवसर मिले, किंतु अब वन्यप्रेमियों की मंशा जरूर पूरे हो सकेंगे। दुनिया भर में अत्यधिक बाघों के घनत्व और प्रजनन दर को लेकर पहचान बना चुके बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व से इसकी शुरुआत हो चुकी है, जहां आप अब बाँधवगढ़ के पालतू हाथियों और खोजी कुत्तों को गोद ले (एडॉप्ट कर) सकते हैं। इन वन्यप्राणियों को कोई भी व्यक्ति गोद ले सकता है, जिसकी समयावधि एक दिन से लेकर एक वर्ष तक की हो सकती है। इसे लेकर प्रबंधन ने पालतू हाथी और खोजी कुत्तों को गोद लेने वाले वन्यप्रेमीयों को लेकर उनके खर्चे का विवरण भी तय किया है, खास बात यह है कि इस नई पहल से लोग जुड़ने भी लगे हैं और प्रबंधन का मानना है कि इसके पीछे का मकसद टाइगर रिजर्व के सुरक्षा में तैनात वन्यप्राणियों को लेकर लोगों में टाइगर कंजर्वेशन एवं संरक्षण के अहम पहलुओं से जोड़ना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है।
ऐसे लिया जा सकेगा गोद :
दरअसल आपने बच्चों को गोद लेते ही सुना होगा और शायद कई ने बच्चों को गोद लिया भी होगा, किन्तु अब आप जानवरों को भी गोद ले सकते हैं यही बांधवगढ़ में एक नई पहल की शुरूआत प्रबंधन ने की है जिसमें बांधवगढ़ के पालतू हाथियों और खोजी कुत्ते को गोद लिया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति एक दिन से लेकर एक वर्ष तक 15 हाथियों या कुत्ते में से किसी एक को भी गोद ले सकता है। उनमें से हाथियों के खान पान, दवाई, उपकरण ट्रेनिंग के खर्चे हेतु 5 सौ रूपये प्रति दिन से लेकर एक लाख पचास हजार रूपये तक राशि दान कर सकते हैं।
दिया जाएगा प्रमाण पत्र :
प्रबंधन ने बताया कि गोद लेने वाले सभी व्यक्ति को बतौर डिजीटल प्रमाण पत्र दिया जाएगा और जो व्यक्ति एक माह या साल भर के लिए किन्हीं हाथी को गोद लेंगे उनको हर वर्ष होने वाले हाथी महोत्सव में भाग लेने के लिए आमंत्रित भी किया जाएगा। गोद लेने की प्रक्रिया हेतु बांधवगढ़ कार्यालय में सम्पर्क किया जा सकता है। प्रत्येक गोद लेने वाले को एक डिजिटल प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
खोजी कुत्ते को लेना है गोद :
बांधवगढ़ स्निफर डॉग (बेली) एक बेल्जियम शेफर्ड डाॅग है जो कि अपराध का पता लगाने, जांच, खोज और बचाव गतिविधियों में अहम भुमिका अदा करता है, प्रबंधन ने बताया कि उसने कई ऑपरेशनों में भाग लिया और कई मामलों को सफलतापूर्वक सुलझाया है जिसमें अब आप फीड, प्रशिक्षण, उपकरण और अन्य आवश्यकताओं के लिए प्रत्यक्ष योगदान देकर बेली को अपना सकते हैं। योगदान के लिए 4 श्रेणियां बनाई गई हैं जिसमें पहला प्लैटिनम श्रेणी के अंतर्गत एक वर्ष के लिए एक लाख, दूसरा स्वर्ण श्रेणी के अंतर्गत मासिक आठ हजार दो सौ पचास, तीसरा साप्ताहिक रजत श्रेणी के अंतर्गत एक हजार नौ सौ पच्चीस तथा चैथे श्रेणी में दैनिक ब्रान्ज के अंतर्गत दौ सौ पिचहत्तर रूपये का सहयोग किया जा सकता है और एडाॅप्ट किया जा सकता है।
हाथी को गोद लेने के लिए :
बांधवगढ़ 15 राजसी हाथियों का घर है, जो दिन और रात गश्त में काम करते हैं, खोज और बचाव अभियान में अपनी जिम्मेदारी निभाते है, जिसमें आप भी इन्हें गोद लेकर अपनी भुमिका अदा कर सकते हैं पार्क प्रबंधन ने बताया कि इसके लिए भी 4 श्रेणी बनाया गया है जिसमें गोद लेने वाले वन्यप्रेमियों की मदद से उनकी खाद्य दवाओं और रखरखाव के लिए सीधे योगदान देकर गोद लिया जा सकता है, इसमें पहला प्लैटिनम श्रेणी के अंतर्गत एक वर्ष के लिए एक लाख पचास हजार, दूसरा स्वर्ण श्रेणी के अंतर्गत मासिक गोद लेने के लिए बारह हजार पांच सौ, तीसरा साप्ताहिक रजत श्रेणी के अंतर्गत तीन हजार पंाच सौ तथा चैथे श्रेणी में दैनिक ब्रान्ज के अंतर्गत पांच सौ रूपये प्रतिदिन के हिसाब से सहयोग कर पालतू हाथियों को एडाॅप्ट किया जा सकता है। वहीं श्री गुप्ता ने बताया कि प्लेटिनम और गोल्ड (स्वर्ण) योगदानकर्ता प्रतिवर्ष आयोजित हाथी कायाकल्प शिविर में भाग ले सकते हैं।
बीटीआर में 15 हाथी :
दुनिया भर में मशहूर बांधवगढ में 15 हाथी हैं, जिनमें से दो नर हाथी सेवामुक्त कर दिए गए हैं, इनमें से एक 69 वर्षीय तूफान और दूसरा 74 वर्षीय गौतम है। वर्तमान में नर और मादा मिलाकर कुल 13 हाथी अपनी सेवाएं दे रहे हैं जिनमें से अधिकत्तम उम्र की 56 वर्षीय मादा हथिनी अनारकली के साथ ही अन्य हैं।
पहले दंपत्ति जिन्होंने लिया गोद :
जानकारी देते हुए उप संचालक सिद्धार्थ गुप्ता ने बताया कि इस पहल से जुड़ने वाले पहले दंपत्ति दिल्ली निवासी अलौकिक और अषिमा हैं, जिन्होंने स्नीफर डाॅग (खोजी कुत्ते) को 4 दिनों के लिए गोद लिया है, और इसके लिए उनके द्वारा ग्यारह सौ रूपये के राशि का सहयोग दिया गया है। वहीं पूणे, मुबंई और दिल्ली से अन्य लोग भी हैं जिन्होंने बांधवगढ़ के कर्मवीरों को गोद लिया है।
इनका कहना है :
बांधवगढ़ में नई पहल है, टाइगर रिजर्व के सुरक्षा में तैनात वन्यप्राणियों को लेकर लोगों में टाइगर कंजर्वेशन एवं संरक्षण के अहम पहलुओं से जोड़ने और उनके बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देष्य से इसकी शुरूआत की गई है।
सिद्धार्थ गुप्ता, उप संचालक, बीटीआर
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