दमोह: अवैध उत्खनन मामला-शासन को करोड़ों रूपए की राजस्व हानि पहुंचा रही निर्माण कंपनी

ठेकेदारों एवं निर्माण एजेंसियों द्वारा अवैध उत्खनन कर शासन को करोड़ों रुपए का राजस्व को चूना लगाया जा रहा है, जनप्रतिनिधि भी मौन, प्रशासन डर रहा कार्यवाही से, स्पष्ट समझ आ रही अधिकारियों की मिलीभगत।
दमोह : ठेकेदारों एवं निर्माण एजेंसियों द्वारा हो रहा अवैध उत्खनन।
दमोह : ठेकेदारों एवं निर्माण एजेंसियों द्वारा हो रहा अवैध उत्खनन। रवि सोलंकी

दमोह, मध्य प्रदेश। जिले में सड़क निर्माण के मामले में जिस प्रकार से संबंधित ठेकेदारों एवं निर्माण एजेंसियों द्वारा अवैध उत्खनन कर शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है, यह तो स्पष्ट रूप से समझ आ जाता है, लेकिन इन सभी अवैध उत्खनन की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को होने के बाद भी आखिर ऐसी कौन सी मजबूरियां सामने आती हैं कि इनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जाती है, इसके बावजूद इस तरह से शासन को राजस्व की क्षति पहुंचाया जाना निरन्तर जारी रहता है।

शासन का भी नहीं है खौफ :

एक और शासन प्रशासन अवैध उत्खनन जैसे मामलों में सख्ती से कार्यवाही के निर्देश देती है। वहीं दूसरी ओर उन्हीं के आंखों तले इस प्रकार का कृत्य होना आखिर समझ से परे हैं। दमोह तहसील के हिंडोरिया मंडल के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के माध्यम से बनगांव, भिलाई, हिंडोरिया, बांदकपुर, अभाना तक 45 किलोमीटर सड़क का निर्माण हिलवेज कंस्ट्रक्शन उत्तराखंड द्वारा किया जा रहा है, लेकिन इनके द्वारा डेढ़ वर्षो के कार्य प्रारंभ होने की दिनांक से आज तक उत्खनन के नाम पर किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली है और धड़ल्ले से गुंजी, हलगज और पठारी में खुलेआम सैकड़ों एकड़ जमीन पर उत्खनन कर हजारों की संख्या में डंफरो से पत्थर और मुरम का अवैध परिवहन कर सड़क का निर्माण किया गया है।

वहीं यदि इस बात की जानकारी किसी के द्वारा चाही गई तो हमेशा ही उनका यह कहना रहता है कि हमारे पास अनुमति है लेकिन अनुमति के नाम पर सिर्फ पठारी से परिवहन किए जाने की अनुमति ली गई थी, जिसका भुगतान भी आज दिनांक तक कंपनी द्वारा नहीं किया गया है।

अधिकारियों का मिल रहा संरक्षण :

मामले में संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर भी प्रश्र चिन्ह है। हिंडोरिया मंडल के नायब तहसीलदार खुद की ईमानदारी होने का ढिंढोरा पीटते दिखाई देते है, लेकिन इनकी कार्यप्रणाली क्षेत्र के स्थानीय किसानों से पूछी जा सकती है। वहीं यह अवैध उत्खनन भी हिंडोरिया मंडल के क्षेत्र में ही इनके ही संरक्षण में किया जा रहा है। ऐसे में यदि इस मामले में इनको किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है, तो यह तो और भी सोचने बाली बात है कि अपने क्षेत्र में इनकी सक्रियता कितनी है। यदि ऐसा नहीं है, तो इस अवैध उत्खनन में उनका खुलेआम संरक्षण है, यह इस बात को प्रतीत करता है कि आखिर इनके द्वारा अभी तक इस मामले में किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही प्रस्तावित क्यों नहीं की गई।

पूर्व अधिकारी ने तय की थी कार्यवाही :

उल्लेखनीय यह भी है कि इस मामले में तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी गगन बिसेन द्वारा अवश्य ही गंभीरता से लेते हुए पटवारी एवं आरआई को निर्देश देकर कार्यवाही का पंचनामा एवं सभी प्रकार की रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत की थी, लेकिन इसके बाद ऐसी कौन सी परिस्थिति निर्मित हो गई की उनकी कार्यवाही को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

जनप्रतिनिधी भी हैं मौन :

इसके अलावा दमोह विधानसभा क्षेत्र व हटा विधानसभा क्षेत्र के मध्य बन रही इस 45 किलोमीटर की सड़क निर्माण में खुलेआम अवैध उत्खनन के चलते जनप्रतिनिधियों का मौन रहना भी संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। जहां एक ओर इस क्षेत्र में विपक्ष के विधायक अजय टंडन प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष की ओर से कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त राहुल सिंह भी जिला पंचायत सदस्य की राजनीति से लेकर विधायक तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन उसी क्षेत्र में इस प्रकार का अवैध उत्खनन होना और उस पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही ना होना जनप्रतिनिधियों को भी संदेह के घेरे में लाता है।

इनका कहना है :

इस संबंध में मेरे द्वारा इंस्पेक्टर को संपूर्ण प्रतिवेदन निरीक्षण कर देने के निर्देश दिए है, उसके उपरांत अवश्य ही कार्रवाई की जाएगी।

- मेजर सिंह, जिला खनिज अधिकारी, दमोह

मेरे द्वारा कई बार अवैध उत्खनन के संबंध में शिकायत की गई, लेकिन अधिकारियों द्वारा ले-देकर मामला दबा दिया जाता है, किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

- भारत सिंह, सरपंच

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