उप चुनाव : ग्वालियर में कांग्रेस के दावेदारों में कांटे का मुकाबला

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : ग्वालियर विधानसभा में लगातार 5 बार से जीत रहे क्षत्रिय प्रत्याशी। कांग्रेस की तरफ से अशोक शर्मा, वीरेन्द्र तोमर व सुनील शर्मा कर रहे दावेदारी।
उप चुनाव : ग्वालियर में कांग्रेस के दावेदारों में कांटे का मुकाबला
उप चुनाव : ग्वालियर में कांग्रेस के दावेदारों में कांटे का मुकाबलाSocial Media

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र को क्षत्रिय बाहुल्य माना जाता है यही कारण है कि पिछले 5 चुनावो से दल कोई भी हो पर क्षत्रिय प्रत्याशी चुनाव जीतते आ रहे है। प्रद्युम्न सिंह तोमर के इस्तीफा देने के बाद विधानसभा में उप चुनाव होना है ऐसे में भाजपा से तो उम्मीदवार तय है, लेकिन कांग्रेस की तरफ से दावेदार सक्रिय होकर अपना नाम सर्वे सूची में टॉप पर लाने का प्रयास कर रहे है। इसके पीछे कारण यह है कि कमलनाथ से साफ कर दिया है कि जिसका नाम सर्वे की सूची में आएगा टिकट उसी को दिया जाएगा।

कांग्रेस की रणनीति को समझ कर दावेदारों ने क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है, क्योंकि उनसे सामने सर्वे में नाम टॉप पर लाने की पहली चुनौती है। यही कारण है कि जो दावेदार है वह क्षेत्र में कोरोना काल में गरीबों की मदद से लेकर अन्य समस्याओं को लेकर आंदोलन करने में लग गए है। पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह ने 22 हजार से अधिक मतों से जीता था, लेकिन सिंधिया द्वारा पार्टी से बगावत करने के बाद प्रद्युम्न ने विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं। अब उप चुनाव में भाजपा की तरफ से तो प्रद्युम्न सिंह का नाम फायनल है और उन्होंने क्षेत्र में अपना प्रचार का काम भी शुरू कर दिया है, लेकिन कांग्रेस की तरफ से फिलहाल प्रत्याशी की दौड़ में ही दावेदार लगे हुए हैं। कांग्रेस की तरफ से फिलहाल अशोक शर्मा, वीरेन्द्र तोमर एवं सुनील शर्मा प्रमुख दादेवार बताएं जा रहे हैं, क्योंकि इन्ही में से किसी एक को कांग्रेस प्रद्युम्न सिंह के सामने उतार सकती है। यही कारण है कि तीनों ही दावेदार क्षेत्र में सक्रिय होकर सर्वे में नाम लाने के लिए जद्दोजहद करने में लगे हुए हैं।

सुनील शर्मा को सिंधिया का सबसे नजदीकी माना जाता था, लेकिन जब सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कहा तो उन्होंने कांग्रेस में ही रहना उचित समझा। अब राजनीति में अपना निजी हित पहले देखने का दौर चल रहा है, क्योंकि जब 2018 में विधानसभा चुनाव हुआ था तो सुनील शर्मा भी कांग्रेस के प्रबल दावेदार थे, लेकिन सिंधिया ने प्रद्युम्न सिंह को टिकट दिया था और बाद में सिंधिया ने चुनावी सभा में कहा था कि ग्वालियर से अगर कांग्रेस जीतती है तो दो विधायक होगे। चुनावी समय में सुनील को आश्वासन भी दिया था कि सत्ता आने पर उनको कही एडजेस्ट कर दिया जाएगा। कांग्रेस की सरकार बनी पर सवा साल में सुनील को कही भी स्थान नहींं दिलाया गया था। वहीं अशोक शर्मा भी काफी पुराने कांग्रेसी माने जाते हैं और जब माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ नई पार्टी बनाई थी उस समय उन्होंने कांग्रेस की डोर थाने रखी थी जिसके कारण उनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है, लेकिन सुनील शर्मा जिस तरह से क्षेत्र की समस्याओं को लेकर लम्बे समय से लड़ाई लडऩे का काम कर रहे है उसके चलते उनका भी नाम मजबूत माना जा रहा है। वहीं क्षत्रिय समाज से आने वाले कांग्रेसी वीरेन्द्र तोमर में भी लम्बे समय से कांग्रेस के प्रति वफादारी से काम कर रहे है और हर आंदोलन में उनकी हिस्सेदारी दिखती रही है जिसके कारण वह भी टिकट की दौड़ में मजबूत माने जा रहे हैं।

जो भी उम्मीदवार होगा उसका प्रद्युम्न से होगा सामना :

विधानसभा चुनाव में पहले यह पता नहीं रहता था कि सामने कौन उम्मीदवार होगा, लेकिन उप चुनाव में ग्वालियर विधानसभा में कांग्रेस को यह पता है कि भाजपा की तरफ से प्रद्युम्न सिंह उम्मीदवार है, ऐसे में जातिय समीकरण के हिसाब से टिकट का पत्ता खेला जा सकता है। वैसे ग्वालियर विधानसभा को क्षत्रिय बाहुल्य माना जाता है और पिछले तीन बार से दोनो तरफ से क्षत्रिय प्रत्याशी ही आमने -सामने आते रहे हैं।

पिछली पांच बार से क्षत्रिय प्रत्याशी जीतते रहे हैं :

ग्वालियर विधानसभा में अगर जातीगत समीकरण को देखा जाएं तो उसके हिसाब से उक्त विधानसभा में क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। यही कारण है कि पिछले पांच विधानसभा से उक्त विधानसभा से क्षत्रिय प्रत्याशी चुनाव जीतते आ रहे है। वर्ष 1998 में नरेन्द्र सिंह तोमर यहां से विधानसभा पहुंचे थे और उसके बाद 2003 में भी उन्होने जीत हासिल की थी। इसके बाद 2008 में कांग्रेस की प्रद्युम्न सिंह चुनाव जीते थे। 2013 में भाजपा के जयभान सिंह पवैया ने कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह को हराया था और 2018 में प्रद्युम्न ने पवैया को हराकर विधायक बने थे। अब एक बार फिर भाजपा की तरफ से प्रद्युम्न सिंह प्रत्याशी होंगे ऐसे में जातिगत समीकरण के हिसाब से कांग्रेस के ऊपर क्षत्रिय प्रत्याशी उतारने का दबाव तो रहेगा, लेकिन वह सर्वे के आधार पर टिकट देने का मन बना चुकी है।

ग्वालियर विधानसभा में मतदाताओं की संख्या :

2018 के चुनाव में कुल मतदाता 2,76,918 थे

  • पुरुष - 1,49,817, महिला - 1,27,090 व अन्य - 11।

  • करीब 20 से 25 हजार नए मतदाताओं के बढऩे की संभावना

  • यह है जातिगत समीकरण....

  • क्षत्रिय समाज के मतदाता - 52 हजार

  • ब्राह्मण मतदाता -18 से 20 हजार

  • कोली-जाटव - 45 से 48 हजार

  • किरार - 12 से 14 हजार

  • मुस्लिम -18 से 20 हजार

  • बाथम -8 से 10 हजार

  • अन्य -20 से 25 हजार

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