कोरोना का असर: सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए पूछताछ बढ़ी

इंदौर, मध्यप्रदेश: कोरोना काल का असर अब शिक्षा क्षेत्र में भी दिखाई देने जा रहा है। प्राइवेट स्कूल की फीस की मार से परेशान पालकगण सरकारी स्कूल में एडमिशन की पूछताछ कर रहे हैं।
कोरोना का असर: सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए पूछताछ बढ़ी
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हाइलाइट्स :

  • कई पालक प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस भरने को तैयार नहीं

  • विभाग ने भी की तैयारी, प्राचार्यों को भी तैयार रहने को कहा

  • हाई व हायर सेकेंडरी में 65 हजार, प्रायमरी व मिडिल में 1 लाख 8 हजार तक क्षमता

इंदौर, मध्यप्रदेश। कोरोना का असर अब शिक्षा क्षेत्र में भी दिखाई देने जा रहा है। जो पालक अब तक आस-पास के प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाते थे, अब वे सरकारी स्कूल में पूछताछ कर रहे है। क्योंकि कोरोना के कारण कई परिवारों की आमदनी पर असर पड़ा है और आने वाले समय में भी अच्छी कमाई होगी ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है, जिसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ने वाला है। लेकिन इस स्थिति को शिक्षा विभाग ने भी भांप लिया है और वह भी अपने स्कूलों में बच्चों को भर्ती करने के लिए अभियान चला रहा है।

छात्राओं का प्रतिशत ज्यादा बढ़ेगा :

अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक नरेंद्र जैन ने बताया कि कोरोना काल से कई लोगों को नुकसान हुआ है, ज्यादातर मजदूर व मध्यमवर्गीय परिवार जो अपने बच्चों को सामान्य प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते आ रहे थे। वे पालक सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने की तैयारी कर रहे है। साथ ही ऐसे पालक जिनके एक से ज्यादा बच्चे हैं, वे अपने बच्चों को खासकर बालिकाओं को सरकारी स्कूल में पढ़ाने भेजेंगे। इससे छात्राओं का प्रतिशत सरकारी स्कूलों में बढ़ने वाला है।

उन्होंने बताया कि जिले में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में अभी 41 हजार बच्चे पढ़ रहे है, जबकि हमारे पास 65 हजार तक की क्षमता है। ऐसे में अभी हम लगभग 25 हजार छात्रों को और भर्ती कर सकते हैं। यदि भर्ती ज्यादा होती है तो कुछ स्कूलों को को एड भी किया जा सकता है। जिन स्कूलों में बच्चे कम हैं और शाला में कमरे ज्यादा है वहां पर कुछ छात्रों को शिफ्ट किया जा सकता है। हमने स्कूलों में भर्ती के लिए पर्चे भी छपवाएं है और हमारा सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार भी चल रहा है। हम नए बच्चों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है।

बिना फीस के पढ़ेंगे बच्चे :

जिला परियोजना अधिकारी अक्षय सिंह राठौर ने बताया कि प्रायमरी और मिडिल के छात्रों से कोई फीस नहीं ली जाती है। जिससे इस बार हमें उम्मीद है कि कोरोना काल के बाद जिस तरह के हालात बने हैं, उससे सरकारी स्कूलों में काफी अच्छी भर्ती होगी। अभी जिले में 92 हजार छात्र पढ़ रहे हैं और हमारी पास 1 लाख 8 हजार बच्चों को पढ़ाने की क्षमता है। यदि जरूरी हुआ और इसे और बढ़ा सकते हैं। स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का तरिका अब पूरी तरह बदल गया है। निजी स्कूलों की तर्ज पर हम बच्चों को पढ़ाई के साथ कई प्रकार की गतिविधियां भी कराते हैं, जिससे उनका सर्वांगिण विकास होता है। उन्हें माध्यान्ह भोजन के साथ कई तरह की सुविधाएं भी मिलती है। इसी को देखते हुए पालक भी सरकारी स्कूलों में पूछताछ करने आ रहे हैं और वे जैसे ही स्कूल खुलेंगे भर्ती करने को भी तैयार है।

सरकारी स्कूलों में हो रही स्मार्ट क्लास से पढ़ाई :

जिले में कई स्कूल ऐसे है, जहां स्मार्ट क्लास से पढ़ाई होती है। निजी स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में इस तरह की सुविधा मिल रही है। स्कूलों की रंगत बदल गई है। वहां पर लाइब्रेरी, प्रयोगशाला, खेल मैदान के साथ कई तरह की सुविधाएं मिलती है। साथ ही एनसीसी, स्काउट में भी छात्र-छात्राएं भाग ले सकते हैं। प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में भी छात्रों की डायरी बनाई जाती है, हर माह पेरेंट्स मीटिंग होती है। जहां पालक अपनी शिकायतें व सुझाव दे सकते हैं। कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही है, जिसमें छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं।

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