सिंगरौली जिले का एक कोरोना वारियर ऐसा भी है

सिंगरौली, मध्य प्रदेश : लॉक डाउन का समय दिन रात काम कर रहे लोगों मे कोरोना वारियर का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है और आगे भी रहेगा।
सिंगरौली जिले का एक कोरोना वारियर ऐसा भी है
सिंगरौली जिले का एक कोरोना वारियर ऐसा भी हैShashikant Kushwaha

सिंगरौली, मध्य प्रदेश। लॉक डाउन का समय दिन रात काम कर रहे लोगों मे कोरोना वारियर का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है और आगे भी रहेगा। लगातार देश के कोने-कोने से लॉक डाउन को लेकर विभिन्न प्रकार की खबरें आती रहती हैं ऐसे में कुछ प्रेरणादाई तस्वीरें भी सामने आई हैं हम बात करें यदि सिंगरौली जिले की तो सिंगरौली जिले में भी ऐसे योद्धा हैं जो कि कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर गरीब असहाय लोगों तक पहुंचकर उनकी मदद की है।

एनसीएल अमलोरी परियोजना के अधिकारी :

नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड के अमलोरी परियोजना के अधिकारी अमरेंद्र कुमार लगातार सुर्खियों में हैं और सुर्खियों में रहने का कारण भी है और कारण भी ऐसा के लोग मुसीबत में इन्हें याद करते हैं लॉक डाउन या इससे पूर्व में सामाजिक दायित्व की अपने कार्य को बेहतर ढंग से करते आए हैं। इनकी लगन व तत्परता के परिणाम स्वरूप सामाजिक दायित्व को नया आयाम दिया है। आज कंपनी के आसपास के झुग्गी बस्तियों वह आवागमन को लेकर सड़क पानी आदि की व्यवस्थाओं को यहां के रहवासियों के लिए उपहार स्वरूप है।

लॉक डाउन में गरीबों को उपलब्ध कराया रसद सामग्री :

लॉक टाउन की स्थिति में जहां कई लोगों को भोजन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वही सिंगरौली जिले के आसपास के इलाकों को चिन्हित कर स्लम बस्तियों खुद जाकर अपने टीम के साथ में कंपनी के सामाजिक दायित्व को बखूबी निभाया बस्तियों में तो इन्हें व कायदा राशन वाले साहब के नाम से भी जाना जाने लगा है।

ऐस डाइक हादसे के बाद ग्राउंड जीरो पर भी संभाला था मोर्चा :

हम अगर सामाजिक दायित्व की बात कर रहे हैं तो आपको बताते चलें कि विगत कुछ दिन पूर्व हुए रिलायंस में हुए इस हादसे के कारण जहां कई एकड़ किसानों की जमीनें खराब हो गईं। वह राख का मलवा रिहंद जलाशय में जाकर समाहित हुआ। आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी, वहीं सैकड़ों मवेशी के लापता होने की भी खबर थी। सामाजिक दायित्व का ध्यान रखकर एनसीएल के अधिकारी लोगों की मदद को लेकर ऐस डाइक हादसे की खबर को पाकर अमरेंद्र कुमार व अमलोरी परियोजना के प्रबंधक स्वयं घटनास्थल पर पहुंचकर घटनास्थल का मुआयना किया एवं तत्काल अमलोरी खदान से कई मशीनें बुलवाकर राहत बचाव कार्य शुरू करवाया था। गौर करने वाली बात है कि यह अधिकारी घटना दिनांक की रात तक स्वयं कई घंटों तक ग्राउंड जीरों पर डटे रहे।

24 घंटे भी किया है काम :

संबंधित मामलें में जब हमनें संबंधित अधिकारी से इनके बारे में जानकारी जानी चाहिए तो इन्होंने अपनी बातें साझा करते हुए हमें बताया कि कई बार तो ऐसा हुआ है। जब 24 घंटे लगातार काम को सर्वोपरि मानकर लगातार अपने कार्य को अंजाम देते रहे हैं इसके साथ ही गौर करने वाली बात है कि इनकी कार्यशैली से जहां आम आदमी प्रभावित है। वहीं दूसरी तरफ शासन प्रशासन के अधिकारी भी इनके कार्य की सराहना करते हैं।

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