ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से पैसा लूट रहे हैं साइबर अपराधी
ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से पैसा लूट रहे हैं साइबर अपराधीसांकेतिक चित्र

Bhopal : ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से पैसा लूट रहे हैं साइबर अपराधी

इस समय साइबर क्राइम पुलिस के पास इस तरह के कई शिकायत पहुंच रही हैं कि ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से उनका पैसा हड़प लिया गया है। जिसके चलते राज्य साइबर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने एडवाइजरी जारी की है।

भोपाल, मध्यप्रदेश। ऑनलाइन गेम्स खेलने के चलन में अधिकतर घरों के बच्चे अपने लिए खुद का मोबाइल दिलाने की जिद करते हैं या माता-पिता के मोबाइल का उपयोग कर ऑनलाइन गेम खेलते हैं। इन गेम्स में अगले लेवल पर जाने या कोई अवतार, हथियार या ड्रेस खरीदने के लिए ऑनलाइन पेमेंट करनी होती है जो कि बच्चे अपने माता-पिता के ऑनलाइन बैंकिंग या डेबिट, क्रेडिट कार्ड से कर देते हैं। इस समय साइबर क्राइम पुलिस के पास इस तरह की कई शिकायत पहुंच रही हैं कि ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से उनका पैसा हड़प लिया गया है।

राज्य साइबर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक योगेश चौधरी ने एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि आजकल ऐसा देखने में आ रहा है कि बच्चों में ऑनलाइन गेम्स खेलने की होड़ लगी हुई है। ऑनलाइन गेम्स खेलने के दौरान बच्चे इस तरह के लोगों के संपर्क में आते हैं जो गेम्स के अगले लेवल में जाने के तरीके और ऑनलाइन गेम्स के लिए हथियार, कपड़े व अवतार आदि खरीदने के लिए उकसाते हैं। जिसके लिए बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पैसे देना होते हैं जो कि वह अपने माता-पिता के ओनलाइन बैंकिंग या डेबिट, क्रेडिट कार्ड से कर देते हैं। कई बार कार्ड व बैंक की डिटेल्स बच्चे गैम के ही पेमेंट मोड में सेव कर देते हैं, जिससे अगली बार पेमेंट करने में केवल ओटीपी की ही जरूरत होती है। यह ओटीपी माता-पिता के ही मोबाइल नंबर पर आता है और उसी मोबाइल से बच्चे गेम्स खेलते हैं। जिससे पैसे ट्रांसफर करने में उन्हें समय नहीं लगता और ट्रांसेक्शन होने के बाद वह उस ओटीपी के मैसेज को मोबाइल से डिलीट भी कर देते हैं। जब तक माता-पिता को पैसे कटने की जानकारी लगती है,तब तक उनका हजारों-लाखों का नुकसान हो चुका होता है। कई बार बच्चे इस अवसाद में आकर गलत कदम उठा लेते हैं कि उनके कारण माता-पिता का बहुत नुकसान हो गया या उनके ऊपर बाजार के कई लोगों की उधारी का बोझ हो गया है। इस तरह के कई मामले सुनने में आ रहे हैं।

बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर रखें नजर :

एडीजी राज्य साइबर श्री चौधरी ने कहा कि बच्चों को हो सके तो मोबाइल न दें यदि ऑनलाइन क्लासेस के लिए मोबाइल दें भी तो उन्हें बिना सिम कार्ड के मोबाइल दें और वाई-फाई से इंटरनेट इस्तेमाल करने दें। बाजार में ऐसे टेबलेट उपलब्ध हैं जिनमें सिम नहीं लगती। बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखें। परिवार के सभी सदस्यों के मोबाइल में प्ले स्टोर आदि पर पैरेंटल कंट्रोल ऑन करें। माता-पिता अपने मोबाइल बच्चों को न दें और उनके पासवर्ड बच्चों को न बतायें खासकर तब जब आपके बैंक खाते में जुड़े मोबाइल नंबर की ही सिम मोबाइल सेट में उपयोग हो रही हो। बच्चों को हर तरह के ट्रांजेक्सन करने की छूट न दें और न ही उनसे बिल, रीचार्ज या अन्य पेमेंट करने को कहें। यदि आपके खाते से पैसे अचानक कटते हैं और उसका मैसेज आपके मोबाइल में न आए तो पहले बच्चों व परिवार से पैसे कटने का कारण पूछें और यदि उनके द्वारा ट्रांजेक्शन नहीं किया गया है तो इसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस थाने या टोल फ्री नंबर 155260 पर करें।

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