एक साल में नहीं हो पायी कर्ज माफी, क्या होगा सरकार का अगला कदम?
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एक साल में नहीं हो पायी कर्ज माफी, क्या होगा सरकार का अगला कदम?

17 दिसंबर 2018 को कमल नाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। बतौर मुख्यमंत्री सबसे पहले किसान क़र्ज़ माफ़ी की फाइल पर ही दस्तख़त किये गए पर आज तक प्रदेश में कर्जमाफी चल ही रही है। क्या होगी अब कर्जमाफी?

राज एक्सप्रेस। एक मुद्दा जिसने बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश से पार्टी को सरकार से बेदखल कर दिया। किसानों का विश्वास जीतने में कांग्रेस सफल रही। बात थी, 'किसान क़र्ज़ माफ़ी' की। सरकार बनते ही कागजी करवाई भी शुरू कर दी गयी, पर ज़मीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही थी। क़र्ज़ माफ़ी के लिए किसान परेशान होते रहे। वक़्त-वक़्त पर किसानों को उम्मीद की किरण दिखाई दी पर कभी भी उनकी उम्मीद हकीकत में बदल नहीं पाई। किसान लगातार परेशान होते रहे और किसानों में आक्रोश बढ़ता गया, इसका खामियाजा सरकार को लोकसभा चुनाव में देखने को मिल गया।

इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि, कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए कर्ज माफी का जो वचन किसानों को दिया था, उसे पूरा करने की शुरूआत की है। डिफॉल्टर किसानों के साथ-साथ चालू खाते वाले किसानों का भी दो लाख रूपये तक का कर्ज माफ किया। पिछले एक साल में डिफाल्टर और एनपीए खातों के दो लाख तक के कर्ज हमने माफ किए। उन किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ, जिनके एक से अधिक खाते थे और जिन्होंने फसल ऋण के अलावा ट्रेक्टर अथवा अन्य कार्यों के लिए भी ऋण लिया था। उनके आधार कार्ड भी गलत थे। पहली किश्त में चालू खाते वाले किसानों का 50 हजार रूपए तक का कर्ज माफ किया। किसानों की ऋण माफी के दूसरे चरण की शुरूआत हो रही है। इसमें एक लाख रूपए तक का कर्ज माफ करेंगे। कर्ज माफी का वादा पूरा करके रहेंगे। हर उस किसान के नाम, पते और मोबाईल नंबर की सूची है, जिनका हमने कर्ज माफ किया है।

कुल मिला कर अभी उन्हीं किसानों का क़र्ज़ माफ़ हुआ है, जिनका क़र्ज़ 50 हज़ार तक का है। जबकि सर्वाधिक किसानों का क़र्ज़ 2 लाख से भी अधिक का है। बहुत से किसान क़र्ज़ माफ़ी के इंतज़ार में हैं कि, शायद क़र्ज़ माफ़ होगा। हमें अपनी ज़मीन, घर नहीं बेचनी पड़ेगी। किसानों की स्तिथि प्रदेश में बड़ी गंभीर बनी हुयी है। प्रदेश में गन्ना किसान लगतार अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। नरसिंगपुर की शुगर मिलों को पिछले साल ही 300 प्रति क्विंटल गन्ना खरीदने के आदेश दे दिए थे। एक साल हो गया है, जो इसका विरोध करते थे वही अब सरकार में हैं पर अभी नियमों का कोई पालन नहीं किया गया। किसान अपने ही पैसों के लिए महीनों इंतज़ार करते हैं। शुगर मिल टुकड़ो में पैसे देती है। 300 की बात तो भूल ही जाये 270 का भाव पाने में ही किसानों को महीनो इंतज़ार करना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश सरकार लगतार किसानों की क़र्ज़ माफ़ी के लिए प्रयास कर रही है। पर क्या लगता है आपको किसान क़र्ज़ माफ़ी किसानों की भलाई के लिए स्थाई इलाज है। जब तक किसानों को फसल का सही मूल्य सही समय पर नहीं मिलेंगा तब तक खेती की आय को बढ़ाना असंभव है।

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