भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश में शिक्षकों के संबंध में विधानसभा उपचुनाव के पहले रमेश चंद शर्मा कमेटी की अनुशंसा लागू करने की मांग की है। इस संदर्भ में एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा गया है। इस पत्र में मुख्यमंत्री की घोषणा का पालन शर्मा कमेटी की अनुशंसा के आधार पर करने की मांग उठाई गई है।
शिक्षकों का कहना है कि-
मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2017 में नसरुल्लागंज की सभा मे शिक्षकों को वेतनमान अनुसार पदनाम देने की घोषणा की थी। 3 साल बाद भी यह घोषणा पूरी नहीं की गई है। इस कारण शिक्षकों में असंतोष व्याप्त है। जिसका लाभ उपचुनाव में आदेश जारी कर लिया सकता है ।क्योंकि अधिकतम शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के मात्र तीन-चार वर्ष रह गए है। पदनाम मिलता है तो फिर शिक्षक सम्मान से सेवानिवृत्त होंगे। शासन द्वारा वर्ष 2018 मैं सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ती में दो वर्ष की वृद्धि की गई थी। किन्तु शिक्षकों की सेवानिवृत्ती पूर्वानुसार 62 वर्ष ही रही। जबकि उच्चशिक्षा और मेडिकल में सेवानिवृत्ती आयु 65 वर्ष है ।
रमेशचंद्र कमेटी द्वारा शिक्षकों को पदोन्नति पदनाम देने एवं सेवानिवृत्त आयु 65 वर्ष करने की अनुशंसा की गई थी। इस कारण शिक्षकों की सेवानिवृत्ती भी 65 वर्ष की होना चाहिए। मप्र राज्य कर्मचारी संघ मैं शिक्षा प्रकोष्ठ अध्यक्ष विश्वजीत सिसोदिया कहते हैं कि हमारे संगठन हमेशा मांग करता रहा है। पिछले 1 साल में सरकार को दर्जनभर से अधिक पत्र दिए गए। पत्र व्यवहार में सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगते रहे हैं। छटवें वेतनमान में शिक्षकों की वेतन विसंगति भी यथावत बनी हुई है। सभी कर्मचारियों को समयमान वेतनमान दिया गया है। क्रमोनत वेतनमान 10,20 और 30 वर्ष में दिया जा रहा है। जबकि शिक्षकों को तृतीय क्रमोन्नत बेतन 12,24 और 30 वर्ष देने से शिक्षकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है । इस कारण क्रमोन्नती 10 वर्ष और 20 वर्ष में ही दिलाई जावे ।
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