वन क्षेत्र के नालों से हो रहा अवैध रेत उत्खनन विभाग की चुप्पी बड़ा सवाल

रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं, कि वह वन भूमि के उत्खनन रोकने वालों को खुलेआम धमकी भी देते हैं, सूत्रों की मानें तो वन विभाग के आला अधिकारी आंखें बंद किए हुए मूकदर्शक बने हुए हैं।
वन क्षेत्र के नालों से हो रहा अवैध रेत उत्खनन
वन क्षेत्र के नालों से हो रहा अवैध रेत उत्खननसांकेतिक चित्र

उमरिया, मध्य प्रदेश। जिले में पंचायत सहित अन्य निजी संस्थानों को रेत कहां से उपलब्ध हो रही है, इससे किसी को कोई लेना-देना नहीं रह गया, पंचायत में रेत के नाम पर जहां लाखों के बिल लगे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर वन भूमि से होते हुए सड़कों पर ट्रैक्टर ट्राली में लदी रेत देखी जा सकती है, सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टरों से रेत माफियाओं द्वारा वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से रेत का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। जिससे शासन को लाखों रुपए के राजस्व की चपत लगाई जा रही है।

दिखावे की कार्यवाही :

रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं, कि वह वन भूमि के उत्खनन रोकने वालों को खुलेआम धमकी भी देते हैं, सूत्रों की मानें तो वन विभाग के आला अधिकारी आंखें बंद किए हुए मूकदर्शक बने हुए हैं। यह कारोबार उनकी सांठ-गांठ के कारण ही चल रहा है। जानकारों का कहना है कि वन परिक्षेत्र अधिकारी ने दिखावटी के लिए कुछ गरीबों के ट्रैक्टरों को जब्त कर दिखावे की कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपा ली जाती है।

रसूखदार और रिश्तेदारों की धौंस :

ताला में रोज लाखो की अवैध उत्खनन रेत सप्लाई होती है, सूत्रों की मानें तो साहब से सबसे अच्छी सेटिंग रमाकांत की है, जिस पर दयादृष्टि के कारण उनके वाहन कभी नहीं पकड़े जाते, कुछ ट्रैक्टर मालिकों का कहना है कि ताला में कुछ ऐसे ट्रैक्टर है, जो वन परिक्षेत्र अधिकारी और बीट गार्ड की सेटिंग में खुलेआम सुबह और रात में वन परिक्षेत्र से अवैध उत्खनन कर रहे हैं, उक्त ट्रेक्टर रसूखदार व मानपुर वन विभाग में पदस्थ कर्मचारी के रिश्तेदारों के हैं।

जिम्मेदारों ने मूंदी आंखे :

खबर है कि जिनकी सेटिंग अधिकारियों और बीट गार्ड तक है साथ ही जिनके रिश्तेदार महत्वपूर्ण पद परपदस्थ भी है, जिनकी मिलीभगत से वन क्षेत्र से अवैध रेत उत्खनन कर होटल व ग्राम पंचायत कार्य हेतु एवं लोगों के घर में भवन निर्माण कार्य हेतु रेत सप्लाई कर अवैध कमाई की जा रही है। क्षेत्र की लगभग पंचायतों सहित अन्य निर्माण कार्याे में लगी रेत की अगर किसी से भी टीपी मांगी जाये तो, उसके पास इसका कोई जवाब नहीं होगा, लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर से पूरी तरह आंखे मूंदी हुई हैं।

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