नमी हुई खत्म, सुखने लगे सोयाबीन के खेत
नमी हुई खत्म, सुखने लगे सोयाबीन के खेतराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Dewas : बारिश की खेंच ने बढ़ाई किसानों की चिंता

देवास, मध्यप्रदेश : तीखी धूप व उमस के बीच खेतों की नमी उड़ रही है। स्थिति यह है कि करीब एक सप्ताह से बारिश नहीं हुई है, यदि इसी तरह का दौर कुछ और दिन चला तो दोबारा बुआई की नौबत ना बन जाए।

देवास, मध्यप्रदेश। क्षेत्र में मौसम का बदला हुआ मिजाज किसानों को रास नहीं आ रहा है। दरअसल, तीखी धूप व उमस के बीच खेतों की नमी उड़ रही है। स्थिति यह है कि करीब एक सप्ताह से बारिश नहीं हुई है, यदि इसी तरह का दौर कुछ और दिन चला तो दोबारा बुआई की नौबत ना बन जाए। फसल बो चुके किसान बारिश की उम्मीद में आसमान ताक रहे हैं। पूजा, प्रार्थनाओं का दौर भी चल पड़ा है। जुलाई के इन दिनों में लोग पंखे-कूलर चलाकर राहत पाने को मजबूर हैं।

इस माह में भी आसमान से पानी की जगह मानों आग बरस रही है। कुछ देर धूप में रहने पर ही लोग पसीना-पसीना हो रहे हैं। लोग तो जैसे तैसे राहत पा रहे हैं, लेकिन फसलों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। जिले में अधिकांश जगह सोयाबीन की बोवनी हो चुकी है। बोई गई फसल के भविष्य को लेकर किसानों को चिंता सताने लगी है। फसल पर असमंजस के बादलों मंडरा रहे हैं। कहीं फसल एक सप्ताह की तो कहीं 15 से 20 दिन की हो चुकी है। सोयाबीन की बोई गई फसल अब पानी मांग रही है, लेकिन मानसून है कि बरसने को तैयार नहीं है। ऐसे में बोई गई फसल खेतों की नमी से जैसे तैसे पोषण की पूर्ति कर रही है, लेकिन खेतों में नमी में भी कमी आती जा रही है। जल्द ही बारिश नही हुई तो फसलों की सेहत पर विपरित असर पड़ेगा।

कई गांवों में 15 दिन से नहीं हुई बारिश :

क्षेत्र की मुख्य फसल सोयाबीन अब बारिश की बेरुखी का शिकार होने लगी है मानसून की लंबी खेच से अब सोयाबीन फसल सूखने लगी है जिससे कि अब धीरे-धीरे खेत उजड़ रहे हैं, गांव खरेली, पानंदा, पाडल्या, आलरी, गोरवा आगरोद, पिपल्या सड़क, भटूनि आदि गांव में मानसून पिछले 15 से 20 दिन हो गए हैं लेकिन क्षेत्र में अच्छी बारिश ही नहीं हो पा रहे हैं जिससे फसल धीरे-धीरे सूख रही है।

इस वर्ष किसानों ने महंगा खाद, 8500 से 9000 प्रति क्वींटल बीज, हकाई जुताई का अतिरिक्त खर्च, के बाद अच्छी फसल की आशा लिए बैठा है, परंतु मानसून की बेरुखी से किसानों की चिंताएं और बढ़ गई है जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ आ गया है माली हालत खराब हो गई है किसान इस विकट स्थिति में सरकार से पिछले वर्ष का खरीफ फसल का बीमा जल्द से जल्द जारी करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही कई ग्रामीण क्षेत्रों में इंद्रदेव को मनाने के लिए पूर्जा अर्चना के साथ बाग रसौई का आयोजन लोगों द्वारा शुरु कर दिया गया है।

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