प्रधानमंत्री आवास योजना में हुआ करोड़ों का घोटाला
प्रधानमंत्री आवास योजना में हुआ करोड़ों का घोटालाSyed Dabeer Hussain - RE

नगरीय प्रशासन की जांच में बड़ा खुलासा, प्रधानमंत्री आवास योजना में हुआ करोड़ों का घोटाला

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश : नगर पालिका परिषद में प्रधानमंत्री आवासों में भारी गड़बड़ झाला उजागर होने के बाद इसकी जांच में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष, नगर पालिका के अधिकारियों-कर्मचारियों को दोषी ठहराया।

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। नगर पालिका परिषद में प्रधानमंत्री आवासों में भारी गड़बड़ झाला उजागर होने के बाद इसकी जांच में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष और नगर पालिका के अधिकारियों कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। अपात्रों को आवास आवंटित करने, आवास की किश्तों की राशि में गोलमाल का यह मामला लगातार सुर्खियों में रहा है। हाल ही में विधानसभा में विधायक सीता शर्मा शर्मा यह विधानसभा सत्र में मामला उठाया था, जिसके जवाब में बताया गया कि इस घोटाले में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष एवं वर्तमान में भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अखिलेश खंडेलवाल, सहायक यंत्री रमेशचंद्र शुक्ला, उपयंत्री रमेश वर्मा, लेखापाल विनोद रावत सहित योजना से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं।

यह है मामला :

गरीब परिवार के हितग्राहियों को पक्का आशियाना बनाने के लिए देश में प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को खुद का मकान बनाने के लिए सरकार की ओर से राशि दी जाती है। प्रधानमंत्री आवास की राशि किसी हितग्राही को आवंटित करने के नियम हैं, जिसमें उल्लेख है कि आवास बनाने के लिए वह हितग्राही जिनके पास खुद का आवास नहीं है और जो गरीब परिवार से हैं, उन्हें योजना का लाभ दिया जाये। लेकिन नगर पालिका अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल ने इस योजना का दुरुपयोग करते हुए अपने कई करीबी लोगों को लाभ दिला दिया, इसमें उन लोगों को भी आवास की राशि आवंटित कर दी गई, जिनके पास खुद के दो मंजिला मकान थे, जो दुकानों और खेती के मालिक हैं। कुल मिलाकर संपन्न और उच्च मध्यम वर्ग की श्रेणी में आने वाले अपने चहेतों, परिचितों, रिश्तेदारों और निकटतम संपर्क के लोगों को भी आवास आवंटित कर दिए और उन्हें करीब 3 करोड़ रुपए की राशि इस योजना के तहत प्रदान कर दी गई।

इस तरह हुई राशि की बंदरबांट

सूत्रों का कहना है कि जिन अपात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए और आवास की किश्त उनके खाते में डाली गई, जिसमें सरकारी राशि की जमकर बंदरबांट हुई है। बताया जाता है कि दलालों के माध्यम से पूरा सौदा आवास आवंटित होने के पहले ही तय हो जाता था और इसमें आधे आधे की बंदरबांट रहती थी। सूत्रों का कहना है कि जिन आपात्र हितग्राहियों को पीएम आवास स्वीकृत कर उनके खाते में राशि डाली गई, उनसे आधे पैसे वापस ले लिए गए और फिर इस राशि की नगर पालिका अध्यक्ष, अधिकारियों, कर्मचारियों में बंदरबांट हुई। यही कारण है कि पीएम आवास की किश्तों के भुगतान में भी काफी अनियमितता सामने आती रही हैं। एक हितग्राही के खाते में तो 8 लाख की राशि ट्रांसफर कर दी गई थी। दरअसल यह कोई चूक नहीं थी, बल्कि ऐसा जानबूझकर किया गया था, ताकि इसमें पीएम आवास की किश्त की राशि काटकर बाकी रकम अधिकारियों कर्मचारियों को, खातेदार ने वापस कर दी, लेकिन मामला उजागर हो गया।

गरीबों का हक छीनने वाले इस बहुचर्चित मामले को विधायक डॉ. सीताराम शर्मा ने हाल ही में प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा में उठाया और जानना चाहा कि इस घोटाले की सरकार द्वारा जांच करवाई गई थी, उसमें क्या स्थिति है। इस पर विधायक श्री शर्मा को नगरीय प्रशासन मंत्री ने बताया कि प्रथम दृष्टा इस घोटाले में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष, सहायक यंत्री, उपयंत्री, अकाउंटेंट के साथ योजना से जुड़े सभी अधिकारी और कर्मचारी दोषी पाए गए हैं, जिनके खिलाफ कार्यवाही की प्रक्रिया चलन में है। विधायक शर्मा बोले योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता हो। विधानसभा में इस मामले को उठाने वाले विधायक डॉ सीताशरण शर्मा ने कहा- शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए ताकि योजनाओं के जो वास्तविक हितग्राही है, उन तक सुरक्षित रूप से लाभ पहुंचे और अनाधिकृत लोग गरीबों के अधिकारों का हक पर डांका न डाल पाए।

पूर्व नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल का कहना- "पूरी प्रक्रिया प्रशासन के अधिकारियों की निगरानी में होती है, दस्तावेजों की जांच होती है, उसी आधार पर हितग्राही को राशि आवंटित की जाती है। रही बात नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा की गई जांच की, तो जो भी जांच हुई है, उसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है, क्या रिपोर्ट आई है मुझे नहीं मालूम। यदि मेरा नाम लिया जा रहा है, तो यह गलत है, मेरा किसी मामले में कोई लेना देना नहीं हैं, सभी आरोप निराधार हैं"

पीएम आवास घोटाले की शिकायत लोकायुक्त से भी की गई थी, इस मामले में तत्कालीन नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल, कार्यपालन यंत्री रमेश चंद्र शुक्ला सहित अन्य लोग पूरी तरह दोषी हैं, इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिये।

प्रकाश शिवहरे, पूर्व विधायक प्रतिनिधि नगरपालिका, नर्मदापुरम

पूर्व पार्षद ग्वालटोली मुन्ना ग्वाला का कहना- "प्रधानमंत्री आवास घोटाले की शिकायत मैंने नगरीय प्रशासन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री, आयुक्त नगरीय प्रशासन और क्षेत्रीय विधायक से की थी। इस मामले में तत्कालीन नपा अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल, कार्यपालन यंत्री रमेशचंद्र शुक्ला सहित अनेक लोग शामिल हैं। इनके खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिये।"

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