वाहन चालक और ट्रांसपोर्टरों के बीच हो रही विवाद की स्थिति निर्मित

नागदा, मध्य प्रदेश: बारिश के कारण पिपल्यामोलु ओपन कैंप में दो दिन से गेहूं की अनलोडिंग नहीं हो पा रही है, जिसके कारण कैंप के बाहर नागदा, उन्हेल, आदि स्थानों से आने वाले वाहनों की लंबी कतार लग गई।
वाहन चालक और ट्रांसपोर्टरों के बीच हो रही विवाद की स्थिति निर्मित
वाहन चालक और ट्रांसपोर्टरों के बीच हो रही विवाद की स्थिति निर्मितसांकेतिक चित्र

नागदा जं., मध्य प्रदेश। बारिश के कारण पिपल्यामोलु ओपन कैंप में दो दिन से गेहूं की अनलोडिंग नहीं हो पा रही है, जिसके कारण कैंप के बाहर नागदा, उन्हेल, रुपेटा आदि स्थानों से आने वाले गेहूं के वाहनों की लंबी कतार लग गई। दोनों से वाहन कैंप के बाहर खड़े हैं, लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिसके कारण वाहन चालकों और ट्रांसपोर्टरों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है।

बारिश के कारण पिपल्यामोलू ओपन कैंप में दो दिनों से गेहूं की अनलोडिंग नहीं हो रही, जिसके कारण वाहन चालकों और ट्रांसपोर्टरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पिपल्यामोलू में 25 मई से गेहूं को स्टॉक करना शुरु कर दिया गया था, तब से लेकर आज तक लगभग 27 हजार 500 टन गेहूं स्टॉक किया गया। इसके लिए साढ़े पांच लाख बोरियों के लगभग 194 स्टैक लगाए गए। गेहूं की बंफर आवक को देखते हुए विभाग द्वारा आनन फानन में लगभग साढ़े करोड़ रुपए की लागत से 184 छोटे छोटे प्लेटफार्म बनाने का ठेका उज्जैन के एक ठेकेदार को दिया गया। ठेकेदार द्वारा 22 जून को कार्य प्रारंभ किया और अभी तक लगभग 144 प्लेटफार्म का निर्माण कर चुका है लेकिन कैंप में सड़क मार्ग नहीं होने के कारण बारिश से कीचड़ हो गया। ऐसे में 25 से 30 टन के वाहन कीचड़ में फंस रहे है जिनको निकालने के लिए विभाग द्वारा वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए गए हैं। ऐसे में वाहन चालक या ट्रांसपोर्ट को जेसीबी की मदद से वाहन को कीचड़ से बाहर निकालने के लिए 500 से 1000 रुपए चुकाना पड़ रहे हैं। गेहूं की बंपर आवक को देखते हुए बोरखेड़ा में भी ओपन कैंप की अस्थायी व्यवस्था की गई थी। जिस जहां रेत की बोरियां रखकर गेहूं स्टॉक की व्यवस्था की गई है। बोरखेड़ा में काम करने वाले मजदूर जितेंद्र, चैनसिंह, लक्ष्मण, रवि, मदरीबाई, सज्जनबाई आदि ने आरोप लगाया कि लगभग एक माह का समय होने आया, लेकिन ठेकेदार द्वारा मजदूरी का भुगतान नहीं किया, जिसके कारण मजदूरों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन में रोजगार के अभाव में कम मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद कम मजदूरी का रुपया भी रुक गया, जिससे श्रमिकों में संबंधित ठेकेदार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।

4000 हजार क्विंटल गेहूं का परिवहन शेष :

नागदा सर्किल के 13 उपार्जन केंद्रों 89700 क्विंटल गेंहू की खरीदी की गई, इसमें से 40 हजार क्विंटल गेहूं का परिवहन होना शेष है। जिसमें से 7 उपार्जन केंद्रों से गेहूं परिवहन हो चुका है, लेकिन आधा दर्जन उपार्जन केंद्रों पर अभी भी 40 हजार क्विंटल गेहूं पड़ा हुआ है। जिसमें से मात्र उन्हेल में 23 हजार क्विंटल गेहूं संग्रहित है जिसको वेयर हाउस या ओपन कैप में पहुंचाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य जारी है जिसके माध्यम से प्रतिदिन 8 हजार क्विंटल उपज परिवहन किया जा रहा है। वर्तमान में नागदा, रुपेटा, पिपलोदा सागोती माता, पासलोद, आलोटा जागीर आदि उपार्जन केंद्र पर गेहूं का परिवहन नहीं हो पा रहा है।

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