प्रदेश में स्कूलों को बकाया ट्यूशन फीस लेने की शिक्षा विभाग ने दी हरी झंडी

भोपाल, मध्य प्रदेश : विभाग के उप सचिव केके द्विवेदी ने सभी कलेक्टर और संचालकों को आदेश किए जारी गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालय सत्र 2020-21 की बकाया ट्यूशन फीस ले सकेंगे।
प्रदेश में स्कूलों को बकाया ट्यूशन फीस लेने की शिक्षा विभाग ने दी हरी झंडी
प्रदेश में स्कूलों को बकाया ट्यूशन फीस लेने की शिक्षा विभाग ने दी हरी झंडीSocial Media

भोपाल, मध्य प्रदेश। राज्य सरकार ने प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को बकाया ट्यूशन फीस लेने की हरी झंडी दे दी है। अबगैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालय सत्र 2020-21 की सभी कक्षाओं की बकाया ट्यूशन फीस सत्र के अंत तक पालकों की सुविधा अनुसार एकमुश्त या किश्तों में ले सकेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार कक्षा 9 वीं से 12 वी तक की कक्षाएं नियमित रूप से संचालित की जा रही हैं। इन कक्षाओं के संबंध में संचालित की जाने गतिविधियों के लिए भी जनवरी से सत्र के अंत तक फीस ली जा सकेगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी सभी जिलों के कलेक्टर्स संभागीय संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में उप सचिव श्री के के द्विवेदी के हस्ताक्षर से जारी निर्देश के अनुसार उच्च न्यायालय द्वारा गत 4 नवंबर 2020 को दिए गए अपने निर्णय में निर्देशित किया है कि कोरोना महामारी के दृष्टिगत शिक्षण सत्र 2020-21 में अशासकीय विद्यालयों द्वारा शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य शुल्क प्रभारित नहीं किया जा सकेगा। वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए आगामी आदेश तक अशासकीय विद्यालय कोई शुल्क वृद्धि नहीं कर सकेंगे।

20 प्रतिशत से अधिक नहीं कर सकते कटौती :

विद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक स्टॉफ को नियमित रूप से वेतन का भुगतान किया जाएगा। यदि वेतन कम किया जाता है तो उसे 20 प्रतिशत से अधिक कम नहीं किया जा सकेगा और कम किए गया वेतन स्थिति सामान्य होने पर सामान्य किश्तों में 6 माह में लौटाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन अवधि में पालकों द्वारा गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों की फीस के संबंध में समय-समय पर जारी निर्देश लॉकडाउन अवधि के लिए जारी किए गए थे। वर्तमान में सभी क्षेत्रों में सशर्त अनलॉक की अनुमति दी गई है। अनलॉक की प्रक्रिया के फलस्वरुप विभिन्न कार्यालय उपक्रम तथा सेवाएं आरंभ हो चुकी हैं। इसलिए पालकों से यह अपेक्षित है कि वह माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार निर्देशित शुल्क नियमित रूप से जमा करें।

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