पढ़ाई बंद नहीं होगी....टीवी और डीजी लेप पर जारी
पढ़ाई बंद नहीं होगी....टीवी और डीजी लेप पर जारीSocial Media

इंदौर: पढ़ाई बंद नहीं होगी....टीवी और डीजी लेप पर जारी

इंदौर, मध्य प्रदेश: बच्चों को सिर्फ पीडीएफ भेज देने और डीजी लेप पर पढ़ाई की सामग्री भेजने तक का ही काम शिक्षा विभाग नहीं कर रहा है। बल्कि इसकी पूरी मॉनिटरिंग भी हो रही है।

हाइलाइट्स :

  • सरकारी स्कूलों के छात्र कर रहे ऑनलाइन पढ़ाई

  • 85 प्रतिशत छात्र जुड़े है विभिन्न माध्यमों से

इंदौर, मध्य प्रदेश। पढ़ाई बंद नहीं होगी....लॉकडाउन में भी यह सतत जारी थी और अब शहर अनलॉक हो गए है तब भी जारी है। सरकारी व एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों के छात्रों के लिए शिक्षा विभाग व राज्य शिक्षा केंद्र ने कई स्तर पर पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोग्राम तैयार किए थे, जो लगातार जारी है, जिसमें इंदौर जिले में ही लाखों छात्र पढ़ाई कर रहे है। जिले में लगभग 85 प्रतिशत छात्र ऑनलाइन माध्यमों से जुड़े हुए हैं।

अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक नरेंद्र जैन ने बताया कि फिलहाल बच्चे डीजी लेप, डीडी एमपी, निजी केबल और ऑनलाइन जूम ऐप पर भी पढ़ाई कर रहे हैं। डिजी लेप पर हर कक्षा का कंटेंट सुबह 10 बजे प्रिंसिपल को भेज दिया जाता है और प्रिंसिपल द्वारा टीचरों को दिया जाता है। जिसके बाद टीचरों द्वारा अपने छात्रों के वाट्सएप ग्रुप पर भेजा जा रहा है। डीडी एमपी पर 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं लग रही हैं। वहीं लोकल केबल ऑपरेटर द्वारा भी शाम के समय में 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं चल रही हैं। ऑपरेटरों द्वारा कंटेंट टेलिकॉस्ट किया जाता है। साथ ही जूम एप पर ऑनलाइन कक्षाएं भी चल रही है। इसमें मास्टर ट्रेनर द्वारा छात्रों को पढ़ाया जाता है। जिनके पास मोबाइल की व्यवस्था है, वे छात्र इस पर पढ़ाई कर रहे हैं। कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को आकाशवाणी पर पढ़ाई करवाते है। साथ ही कुछ छात्र डीजी लेप पर पढ़ाई कर रहे है। यह व्यवस्था सरकारी के साथ प्राइवेट स्कूलों के छात्रों के लिए भी की गई है। प्राइवेट स्कूलों के भी चार ग्रुप बने हुए हैं।

मॉनिटरिंग भी होती है :

बच्चों को सिर्फ पीडीएफ भेज देने और डीजी लेप पर पढ़ाई की सामग्री भेजने तक का ही काम शिक्षा विभाग नहीं कर रहा है। बल्कि इसकी पूरी मॉनिटरिंग भी हो रही है। बच्चे पढ़ रहे हैं कि नहीं, उन्हें जो होमवर्क दिया जा रहा है, वे कर रहे हैं कि नहीं। यह भी देखा जा रहा है। जिन बच्चों को कहीं भी दिक्कत होती है तो टीचर उन्हें फिर समझता है। बच्चे भी अपना होमवर्क कर टीचरों को भेजते है और वे उन्हें जांचते भी हैं।

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