राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा बिजली कर्मचारियों को अभी तक नियमित नहीं किया गया है जिसके चलते बिजली कर्मचारी दिवाली से पहले आंदोलन करने की रणनीति बना रहे हैं। लंबे समय से कार्य कर रहे 6 हजा़र संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं किया गया। पू्र्व में मुख्यमंत्री कमलानाथ ने प्रदेश की यूनाइडेट फोरम के साथ बैठक की थी और कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था।
नियमित नहीं करने का कारण
नियमित नहीं करने का कारण का सबसे बड़ा कारण प्रदेश का आर्थिक संकट है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक यदि सरकार 6 हज़ार संविदा कर्मचारियों और अधिकारियों को नियमित करती है तो सरकार पर 99 लाख रूपए के अतिरिक्त आर्थिक भार आएगा। शायद इसलिए सरकार नियमित करने का फैसला करने से हिचक रही है।
सराकर को घेर सकते हैं कर्मचारी
नियमितकरण में हो रही देरी को लेकर कर्मचारियों में काफी नराज़गी देखी जा रही है। 20 अक्टूबर संविदा कर्मचारी और अधिकारी बैठक करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में आंदोलन करने की रणनीति भी तैयार की जाएगी।
आपको बता दें कि प्रेदश के तीनों बिजली कंपनियों में 5283 संविदा अधिकारी काम कर रहे हैं। जिन्हें मूल वेतन का 90 फीसदी ही दिया जाता है। इनको नियमित करने पर सरकार को 99 लाख रू के अतिरिक्त भार आएगा।
इस साल अगस्त में खबर आई थी कि सरकार प्रदेश में किसी भी संविदा कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकालेगी। जिन संविदा कर्मचारियों को नौकरी निकाल दिया था उन्हें वापस ले लिया जाएगा और साथ ही विभाग में जो खाली पद हैं, उनमें संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की बात सामने आई थी।
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