इंदौर, मध्यप्रदेश। सूक्ष्म एवं लघु उद्योग क्षेत्र वर्तमान परिवेश में सकारात्मकता के साथ देश को आगे बढ़ाने में मददगार हो सके। वर्तमान कोविड में महामारी ने आर्थिक परिदृश्य में एक अभूतपूर्व बदलाव ला दिया है तथा इस कारण सूक्ष्म व लघु श्रेणी सेक्टर से पहले के मुकाबले मांग कम होने, मंदी और जीएसटी की कई चुनौतियों के कारण उनके सामने कई प्रकार की कठिनाईयां हैं। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने देश के ग्रोथ इंजन एवं रोजगार के प्रमुख माध्यम एमएसएमई सेक्टर को गति प्रदान करने के लिए सरकार से कुछ अपेक्षाएं की हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह सेक्टर इस स्थिति में नहीं है कि वह लंबे समय तक बिना सरकारी मदद के जीवित रह सके। इसमें यह भी ध्यान रखते हुए कि भारत की जीडीपी का 30 प्रतिशत हिस्सा एमएसएमई क्षेत्र का है जो कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है। अत: इस क्षेत्र को गतिशिलता देने व संतुलन बनाये रखने के लिए इनकी आवश्यकताएं व दीर्घकालीन विकास उपायों को पूरा करने की जरूरत है। वहीं 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को बनाने के लिए एमएसएमई को मजबूत आधार देने की जरूरत है इसके लिए सरकार से एसोसिएशन निम्न अपेक्षाएं रखता है। इसमें सूक्ष्म व लघू उद्योगों के लिए आर एंड डी की सुविधा तथा टेस्टिंग लेबोरेटरीज की सुविधाएं सरकार को देना चाहिए। वर्तमान में जो सुविधाएं हैं वे दूरस्थ होने के कारण लघु उद्योगों पर आर्थिक भार अधिक आता है जिसें सूक्ष्म लघु उद्योग उठाने में सक्षम नहीं हैं इसके लिए सरकार को विशेष ध्यान देकर एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए आर एंड डी के लिए जिला स्तर पर आरएंडडी केन्द्र बनाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आयात को कम कर निर्यात बढ़ाने की ओर है तथा उत्पादन व घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को आरंभ किया है जिसमें 5 वर्ष के लिए प्रतिवार्षिक बजट भी तैयार किया गया है। हमारा सुझाव है कि एमएसएमई सेक्टर जो इस योजना से अधिक लाभान्वित हो तथा चायना के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर अपने निर्मित उत्पादों से घरेलू बाजार की पूर्ति करने में सक्षम बनाना है तो ऐसी इकाईयों के लिए कम से कम 3 वर्ष के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया जाना चाहिए जो तत्काल मिले, पावर की दरें अधिक हैं इसका लाभ दिया जाना चाहिए। केन्द्र व राज्य सरकार का फोकस असंगठित क्षेत्रों को संगठित करने की ओर अधिक है। इसके लिए जो क्लस्टर विकसित हो रहे है तथा जो उद्योग ऐसे क्लस्टरों में अपने उत्पादन बनाने को तैयार है उनके लिए 3 साल तक की सब्सिडी योजना व जीएसटी के लाभ सरकार लागू करे। नये लघु श्रेणी उद्यम आ रहे हैं उन्हें ब्याज अनुदान, पावर की दरों में छूट तथा केश सब्सिडी मिलना चाहिए।
सरकार जो भी कानून बनाये वे सरलीकृत हो तथा कम कागजी कार्यवाही व कम आर्थिक भार के सूक्ष्म व लघु उद्योगों के लिए लाभप्रद हो। शासकीय नियम कानूनों के सरलीकरण के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सर्वाधित आवश्यकता है जिसका लाभ लघु श्रेणी उद्यमों व व्यवसायियों को अधिक होगा। कई बार यह देखने में आता है कि छोटे उद्योगों की सुनवाई विभागों द्वारा नहीं की जाती है इससे उन्हें बहुत सी कठिनाईयां आती हैं, जिसका प्रभाव उनके उत्पादन व श्रमिकों के रोजगार पर पड़ता है। इसके लिए केन्द्र व राज्यस्तर पर अलग से उद्योग हेल्प लाइन होना चाहिए जिससे छोटे उद्योगों के प्रकरणों का जल्द निपटारा हो सके। विलंब भुगतान के लिए राज्यस्तर पर गठित स्टेट फेसिलिटेशन कॉन्सील राज्य की राजधानी के साथ हर जिले में गठित किये जाने चाहिए तथा इसकी बैठक प्रतिमाह अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।