उपचुनाव : दल बदला पर प्रत्याशी वहीं होंगे आमने-सामने

ग्वालियर पूर्व विधानसभा में उप चुनाव में एक बार फिर पुराने प्रतिद्वंदी ही आमने-सामने होगें, लेकिन इस बाद दोनों के चिन्ह जरूर बदले हुए नजर आएंगे। समीकरण के हिसाब से दोनों के लिए रास्ता नहीं होगा आसान।
दल बदला पर प्रत्याशी वहीं होंगे आमने-सामने
दल बदला पर प्रत्याशी वहीं होंगे आमने-सामनेRaj Express

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। प्रदेश में 27 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होने जा रहा है जिसको लेकर भाजपा व कांग्रेस दोनो ही आक्रमक अंदाज में एक-दूसरे पर हमला करने में लगे हुए हैं। कांग्रेस के विधायको ने इस्तीफा देकर भाजपा की सरकार बनाई तो अब कांग्रेस ने भी भाजपा में सेंधमारी शुरू कर दी है। भाजपा की तरफ से तो कांग्रेस से आए हुए पूर्व विधायक ही प्रत्याशी (संभावित) होगें, लेकिन उनके सामने कांग्रेस भी मजबूत लोगों को उतारने के लिए अपना अभियान चलाए हुए हैं। ग्वालियर पूर्व विधानसभा में उप चुनाव में एक बार फिर पुराने प्रतिद्वंदी ही आमने-सामने होगें, लेकिन इस बाद दोनों के चिन्ह जरूर बदले हुए नजर आएंगे। समीकरण की बात करें तो मुन्ना व सतीश के लिए रास्ता आसान नहीं होगा, क्योंकि दल बदलने के बाद समीकरण भी काफी बदले हुए हैं।

उप चुनाव में जब भाजपा से मुन्नालाल गोयल प्रत्याशी दिख रहे हैं तो भाजपा से नाराज होकर डॉ. सतीश सिकरवार ने मंगलवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया। संभावना है कि ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस सतीश को मुन्ना के मुकाबले उतार सकती है। विधानसभा चुनाव में सतीश कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल से हार गए थे ओर उस समय उनकी हार के पीछे भाजपा के नेताओं के भितरघात का मुख्य कारण भी रहा था। चुनाव हारने के बाद सतीश सामाजिक हित के काम में बिना दिखावे के लगे रहे ओर जब देखा कि भाजपा में अब उनका भविष्य नहीं है तो पाला बदल कांग्रेस में चले गए ओर एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी है।

मुन्ना को राहत के साथ नुकसान की संभावना :

मुन्नालाल गोयल ने जब से राजनीति शुरू की है वह गरीबों के हक के लिए लड़ते रहे है और उनके बीच में बैठने का काम करते रहे है। यही कारण है कि 2018 में मुन्नालाल ने कांग्रेस नेताओं के भितरघात के बाद भी चुनाव आसानी से भारी अंतर से जीत लिया था। उस समय उनकी जीत के पीछे हरिजन वोट बैंक के साथ ही भाजपा नेताओं का भी सहयोग मिला था ओर अब समीकरण कुछ बदले हुए दिख रहे हैं। मुन्ना के सामने कांग्रेस के वोट बैंक मुस्लिम व हरिजन वोट लेने का संकट रहेगा, क्योंकि इन दोनो ही समुदाय के वोट हमेशा से कांग्रेस के खाते मेें जाते रहे हैं। अब उनकी दोनो समुदाय पर कितनी पकड़ है ओर वह कितना साथ देते है यह उप चुनाव होने पर पता चलेगा, लेकिन मुन्ना के खाते में राहत की खबर यह है कि सतीश के कांग्रेस से मैदान में आने पर भाजपा के लोग पहले मुन्ना का विरोध कर सकते थे वह अब मजबूरी ही सही पर मुन्ना का साथ देगें, क्योंकि भाजपा के इस विधानसभा के अधिकाश नेता सतीश के खिलाफ रहे हैं।

स्वयं की मेहनत व कांग्रेस वोट बैंक का लाभ :

भाजपा से कांग्रेस में आएं सतीश सिकरवार को कांग्रेस ग्वालियर पूर्व से टिकट दे सकती है। अगर वह मैदान में होते है तो उनको कांग्रेस वोट बैंक का लाभ तो मिलेगा ही साथ ही जो पिछले विधानसभा चुनाव में क्षत्रिय वोट बंटे थे उसका एकीकरण का लाभ मिल सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता डॉ. गोविन्द सिंह ने भी मुन्ना को जिताने के लिए पूर्व में कई बैठके की थी ओर उनकी बैठकों से क्षत्रियों के वोट मुन्ना को भी मिले थे। सतीश भी कई सालों से गरीब तबके की मदद कर रहे है साथ ही उनके पास मजबूत टीम के साथ नेटवर्क भी है, इसके साथ ही हरिजन व मुस्लिम वोट का भी लाभ सतीश को मिल सकता है। लेकिन उनके सामने कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा भितरघात करने का भी खतरा रहेगा, लेकिन यह खतरा इसलिए बड़ा नहीं है, क्योंकि जो दावेदार है उनमें से कुछ का क्षेत्र में कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन उनको भाजपा से जो सहयोग की आस दिख रही है वह शायद न मिले।

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