उपज पर हाहाकार: सरकार-किसानों के सामने मुंह बाये खड़ी है नई समस्या

भोपाल, मध्यप्रदेश : मौसम की मार के बाद किसान और सरकार उपज को लेकर नयी परेशानी सामने आई है।
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में मौसम की मार के बाद किसान और सरकार के सामने उपज को लेकर नयी परेशानी आ गई है। किसान सरकार के समर्थन मूल्य के भरोसे अपनी उपज का अधिक दाम पाने की आस पर बैठे हैं। यह साल किसानों के लिए अब एक नई मुसीबत लेकर आने वाला है। आपको बता दें कि इस बार सरकार ने रबी की फसल के लिए बोनस की घोषणा नहीं की है। जिसके चलते किसान के सामने एक नयी परेशानी होने वाली है।

उपज बेंचे तो कहां बेंचे?

किसानों में उपज पर हाहाकार: उपज बेंचे तो कहा बेंचे? जानकारी के अनुसार प्रदेशभर में केवल 8 लाख किसानों ने अभी तक समर्थन मूल्य खरीदी के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। केंद्र सरकार ने इस बार गेहूं के लिए 1925 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया है।

पिछले साल 1840 रूपये प्रति किवंटल था

आपको बता दें कि, पिछले साल 1840 रुपए प्रति क्विंटल था पिछले वर्ष सरकार ने 160 रूपये प्रति क्विंटल बोनस देने की भी घोषणा की थी जिसके कारण किसानों ने 2000 प्रति क्विंटल के हिसाब से समर्थन मूल्य गेंहू बेचा था।

समर्थन मूल्य की घोषणा न होने से परेशान किसान

इस बार समर्थन मूल्य की घोषणा न होने से किसानों के सामने भारी परेशानी है और यह अब तय है कि वे खुले बाजार में जब गेंहू बेचेंगे तो उनके सामने उचित मूल्य न मिलने की समस्या मुँह बायें खड़ी होगी। हर साल करीब 20 लाख किसान समर्थन मूल्य खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन होते हैं और अंतिम तारीख अब 28 फरवरी है।

खेती और किसान के लिए यह वक्त जितना संघर्ष से भरा हुआ है, उससे ज्यादा संघर्ष से भरा भविष्य व्यापक समाज और मध्यम वर्ग के लिए होने वाला है। यह जरूरी ही नहीं अनिवार्यता है कि कृषि और कृषक के जीवन में आ रहे बदलावों से सक्रिय जुड़ाव रखा जाए।

भारत में 2017 में एक किसान परिवार की मासिक आय 8,931 रुपए थी। भारत में किसान परिवार में औसत सदस्य सख्या 4.9 है, यानी प्रति सदस्य आय 61 रुपए प्रतिदिन है। बुनियादी बिंदु यह भी है कि, किसानों की आय में वृद्धि का बाजार की कीमतों और गरिमामय जीवनयापन के लिए जरूरी आय से क्या संबंध होगा? इस पर भी गौर किया जाना बेहद जरूरी है। देखना होगा कि बजट के प्रावधान किसानों की जिंदगी पर क्या असर डालते हैं।

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