सीहोर: कोरोना के बीच किसानों ने बनाया गेहूँ उत्पादन का नया रिकॉर्ड

कोरोना महामारी के दरमियान में सीहोर के किसानों ने गेहूँ उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनाया, साथ ही कॉमन हार्वेस्टिग के सुझाव के लिए किसानों ने प्रधानमंत्री का आभार जताया है।
सीहोर: कोरोना के बीच किसानों ने बनाया गेहूँ उत्पादन का नया रिकॉर्ड
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राज एक्‍सप्रेस। अपने स्वादिष्ट और सोने जैसे सुनहरे शरबती गेहूँ को लेकर पूरे देश में अपनी विशिष्ट छवि रखने वाला मध्य प्रदेश का सीहोर जिला इस बार जानलेवा कोरोना कोविड - 19 की महामारी के दरमियान किसानों के अदम्य हौसलों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर हुए समयोचित प्रयासों के चलते एक बार फिर गेंहू उत्पादन में नया रिकार्ड बनाने की और अग्रसित है।

क्‍या है नए जादुई रिकार्ड ?

इस बार रबी की मुख्य फसल के रूप में गेहूँ का कुल उत्पादन 13 लाख मैट्रिक टन के नए जादुई रिकार्ड को छूने की तैयारी में है, जबकि पिछली बार यह उत्पादक दर जिले में 9 लाख मैट्रिक टन थी, सिहोर जिले में लगभग 98 प्रतिशत फसल की कटाई पूर्ण हो चुकी है।

ये था इस बार रबी की बुबाई का लक्ष्य :

सीहोर जिले में इस बार 3 लाख 90 हजार हैक्टेयर वर्ग क्षेत्रफल में रबी की बुबाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, इसमें 2 लाख 90 हजार हैक्टेयर में मुख्य फसल के रूप में गेहूँ और सहायक फसल के रूप में चने की बुबाई 82 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में की गई। इस बार अच्छी बारिश और अनुकूल मौसम के कारण रबी की फसल वोबनी से अंकुरण तक प्रभावी तरीके से फैलाव करती नजर आई है और पानी की उपलब्धता के चलते मौसमी चक्र के अनुकूल गेहूँ की फसल में किसानोंं ने पानी दिया।

साथ ही शीत ऋतु में लगातार पड़ी ठण्ड के कारण फसल में उचित तरीके से वृद्धि हुई और अंतिम परिणाम के रूप में गेहूँ की मुख्य फसल में उचित वृद्धि और दाना फली बेहतर तरीके से पल्लवित हुई एवं इससे गेहूँ की फसल का उत्पादन रिकॉर्ड होने की संभावना बलबती हुई, लेकिन अचानक वैश्विक कोरोना कोविड -19 संक्रमण महामारी ने किसानो के माथे पर चिंता की लकीरे गहरी कर दी, जैसे ही उत्साह के वातावरण में पकी और सूखी फसल की कटाई जिले में प्रारंभ हुई, वैसे ही कोरोना महामारी की आपदा ने जिले में फसलों की कटाई को बीच में रोकने पर विवश कर दिया।

पीएम का आह्वान, फसल काटना बना आसान

इधर कोरोना आपदा में प्रथम लॉकडाउन की घोषणा हुई और धरती पर दौड़ती जिन्दगी एकदम थम सी गई, इस लॉकडाउन में कटाई के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो गया। विवश ग्रामीणों ने वैज्ञानिक उपकरण के अभाव में पारम्परिक पद्धति से आपस में मिलकर परिजनों के साथ हाथो में हसिये लेकर फसल कटाई में जुट गए, मगर इसी बीच प्रधानमंत्री के आह्वान पर जिले में कंबाइंड हार्वेस्टिंग का प्रबंधन कर किसानों के सम्मुख फसल कटाई का एक बेहतर विकल्प सुझाया, बस फिर किसानों ने अपने गाँव में कम समय में अपनी अपनी फसल कटाई का कार्य पूर्ण कर लिया।

98 % फसल कटाई का कार्य पूर्ण :

कोरोना संकट के दौर के इस समय में जिले में 98% फसल कटाई का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, 2% में वहीं क्षेत्र बचे हैं जहां धान का उत्पादन होता है और बेमौसम ओलो और बारिश से खेतों में खड़ी पकी और सूखी फसल प्रभावित हुई। जिले के किसान कल्याण और विकास विभाग के सहायक संचालक एस के राठौर ने बताया, पीएम के आह्वान के बाद कोरोना महामारी की विषम परिस्थितियों में फसल कटाई में हो रही देरी चिंता का सबब बन रही थी, लेकिन इस समस्या का निदान फिर कंबाइंड हार्वेस्टिंग का प्रबंधन बनाकर कर लिया गया और इस बार गेंहू का उत्पादन एक नया रिकार्ड बनाने जा रहा है।

पीएम का आह्वान किसानों को राहत :

गेहूँ उत्पादक सीहोर जिले में इस बार बम्पर फसल एक नया रिकॉर्ड बनाने जा रही है, ऐसे में कोरोना वायरस की महामारी के चलते गेहूँ की सरकारी खरीदी की प्रक्रिया लगभग एक माह की देरी से शुरू हो पाई है। इस बार जिले में शुरू हुई 15 अप्रैल से समर्थन मूल्य की खरीदी के अंतर्गत कुल 164 खरीदी केंद्र बनाये गए हैं, जहां सोशल डिस्टेंस के पालन को लेकर फोकस रखा गया है। प्रत्येक केंद्र पर सेनिटाईजर, साबुन और मास्क की व्यवस्था की गई है। इस बार गेंहू का सरकारी खरीद मूल्य 1 हजार 925 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, प्रत्येक केंद्र पर उचित संख्या में बारदाने की व्यवस्था की गई है |

पूरे देश से आती है इस गेहूँ की डिमांड :

बता दें कि, गेहूँ उत्पादक जिले सीहोर के किसान वैज्ञानिक पद्धति से कृषि कार्य करते हैं, इसलिए यहाँ पैदा होने वाले शरबती गेहूँ सबसे ज्यादा कीमत पर बिकता है। इस गेहूँ की डिमांड पूरे देश से आती है, खासकर मुंबई और गुजरात के बड़े शहर इसके दीवाने हैं। इस बार कठिया गेहूँ की एकदम नई वैरायटी तेजस को लेकर किसान काफी उत्साहित रहे, इस गेहूँ का उत्पादन 60 से 65 कुंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि जिले में गेहूँ का औसत अनुपात 45 कुंटल प्रति हैक्टेयर आंकलित है।

प्रधानमंत्री को किसानों ने कहा धन्यवाद :

हमने जिले किसान कुछ गाँवों पिपलिया मीरा, चंदेरी, जमोनिया, रायपुरा और ढोबरा गाँवों का भ्रमण कर किसान भाइयो प्रमेश, राहुल, राजा त्यागी से बात की तो सभी ने कोरोना महामारी के चलते उत्पन्न हुई विषम स्थिति का वर्णन तो किया मगर प्रधानमंत्री की पहल पर किसानों को फसल कटाई के लिए उपलब्ध करवाए कंबाइंड हार्वेस्टिंग की प्रशंसा की और पीए PM नरेंद्र मोदी जी तहेदिल से धन्यवाद दिया, यहीं नहीं पंजाब प्रान्त से आये हार्वेस्टर के संचालक हरविन्दर सिंह ने भी PM मोदी के इस प्रयोग को एक अच्छी पहल निरुपित कर उन्हें शुक्रिया कहा हैं।

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