SC के आदेश पर आज फ्लोर टेस्ट, अब काम करेगा नंबर गेम

मध्यप्रदेश में चल रही अभूतपूर्व राजनीतिक उठापटक में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज शाम पांच बजे तक ‘फ्लोर टेस्ट’ कराने का आदेश।
SC के आदेश पर आज फ्लोर टेस्ट, अब काम करेगा नंबर गेम
SC के आदेश पर आज फ्लोर टेस्ट, अब काम करेगा नंबर गेमPriyanka Yadav - RE

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में चल रही अभूतपूर्व राजनीतिक उठापटक में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज शाम पांच बजे तक ‘फ्लोर टेस्ट’ कराने का आदेश देने के बाद पटाक्षेप होने की उम्मीद बन गई है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर दो दिनों से सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के रणनीतिकारों की नजरें लगी हुई थीं। न्यायालय के आदेश के बाद जहां भाजपा नेताओं के चेहरे खिल गए, वहीं मुख्यमंत्री कमल नाथ के खेमे में मायूसी नजर आने लगी, हालांकि राज्य के लगभग सभी मंत्रियों ने तात्कालिक प्रतिक्रिया में उम्मीद जताई है कि फ्लोर टेस्ट में कमल नाथ सरकार बहुमत साबित करने में सफल होगी।

राजनीतिक उठापटक का आज पटाक्षेप होने की उम्मीद :

दरअसल राज्य विधानसभा में कुल 230 सीट हैं, जिनमें से दो जौरा और आगर संबंधित विधायकों के निधन के कारण रिक्त हैं। शेष 228 में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, बहुजन समाज पार्टी के दो, समाजवादी पार्टी के एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस के 114 में से 22 विधायक (जो बेंगलुरु में डेरा डाले हैं) त्यागपत्र दे चुके हैं। इन 22 में से विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार कर लिए हैं।

ये सभी छह विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं और कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे, जिन्हें मुख्यमंत्री विधायक पद से त्यागपत्र स्वीकार होने के पहले ही मंत्री पद से बर्खास्त कर चुके थे। शेष विधायक भी सिंधिया के समर्थक हैं। बाइस में से छह विधायकों के त्यागपत्र होने के बाद कांग्रेस के बागी रुख अपनाए विधायकों की संख्या 16 है। ये विधायक और छह पूर्व विधायक अभी भी बेंगलुरु में हैं और राज्य में ‘खतरा’ होने की वजह से भोपाल आने का जोखिम नहीं उठा रहे हैं।

माना जा रहा है कि ये विधायक ‘फ्लोर टेस्ट’ के दौरान भी अनुपस्थित रहेंगे। इस स्थिति में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 92 रह जाती है। यदि कांग्रेस के बसपा, सपा और चार निर्दलीय भी समर्थन करते हैं, तो इनकी संख्या बढ़कर 99 पर आ जाएगी। वहीं भाजपा के 107 में से एक विधायक नारायण त्रिपाठी को छोड़कर 106 विधायक एक साथ भोपाल से 45 किलोमीटर दूर सीहोर के एक होटल में एक साथ रुके हुए हैं। त्रिपाठी को छोड़ दिया जाए, तो भी भाजपा के 106 विधायक एकजुट नजर आ रहे हैं। त्रिपाठी पिछले एक पखवाड़े के दौरान कम से कम आधा दर्जन बार कमलनाथ से मिले हैं और उन्होंने कांग्रेस का समर्थन कर भाजपा से अलग होने का ही अहसास कराया है।

सभी की नजरें आज विधानसभा में होने वाले ‘फ्लोर टेस्ट’ पर :

अब मौजूदा संख्या बल को लेकर सभी की नजरें आज विधानसभा में होने वाले ‘फ्लोर टेस्ट’ पर रहेंगी। इस बीच कमलनाथ ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अपने मंत्रियों और अन्य रणनीतिकारों से चर्चा की। हालांकि उनकी तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

अब मध्यप्रदेश में सत्ता की चाबी किसके हाथ, फैसला आज

मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी कमलनाथ सरकार के हाथ रहेगी या नहीं, इस बात का निर्णय शुक्रवार को हो जाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ही विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने दो दिनों तक चली मैराथन सुनवाई के बाद गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष को यह आदेश जारी किया। देर शाम तक सुनवाई करने के बाद खंडपीठ ने कुछ समय का ब्रेक लिया। करीब छह बजे न्यायालय आदेश सुनाने के लिए बैठी।

खंडपीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश में शुक्रवार को विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा और शाम पांच बजे तक बहुमत परीक्षण का काम पूरा करना होगा। न्यायालय ने पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का भी निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि ऐसी कोई व्यवस्था हो तो कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की जा सकती है। खंडपीठ ने विधानसभा में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पैनल न होने की जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि विधायक हाथ उठाकर ही अपना मत देंगे। शीर्ष अदालत ने कर्नाटक और मध्य प्रदेश के डीजीपी को आदेश दिया कि यदि 16 बागी विधायक बहुमत परीक्षण में हिस्सा लेना चाहते हैं तो वे उन्हें आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराएंगे।

अध्यक्ष को इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए समय दिया जाए : सिंघवी

इससे पहले मामले की दूसरे दिन की सुनवाई वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों से शुरू हुई। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति की ओर से दलीलें देते हुए कहा कि विपक्ष केवल बहुमत परीक्षण का मंत्र जप रहा है, जो विधानसभा के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश है। सिंघवी ने कहा कि अध्यक्ष को अयोग्यता तय करने का अधिकार है। अगर अध्यक्ष की तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता। यदि अध्यक्ष ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता। इसलिए, इससे बचने के लिए अध्यक्ष के कुछ करने से पहले बहुमत परीक्षण का मंत्र जपना शुरू कर दिया है।

बागी विधायक वीसी से बात करें तो क्या अध्यक्ष फैसला ले लेंगे ?

इसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सिंघवी से पूछा कि यदि बागी विधायक वीडियो कान्फ्रेंसिंग से बात करें तो क्या अध्यक्ष फैसला ले लेंगे?’’ इस पर श्री सिंघवी ने ऐतराज जताया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसले में संतुलन ज़रूरी है। विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार है, जबकि अध्यक्ष को उस पर निर्णय लेने का।

आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को (भाजपा द्वारा) ‘बंधक’ बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं। आपके आदेश के बिना मैं (अध्यक्ष) दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं। ऐसा किए बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए।

इस पर सिंघवी ने कहा-

रोहतगी ने कर्नाटक में राजनीतिक संकट का दिया हवाला :

मामले के मुख्य याचिकाकर्ता भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि अध्यक्ष ने 22 में से छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं। मुख्यमंत्री ने भी बहुमत परीक्षण की बात की थी। राज्यपाल ने भी स्थिति के आधार पर फैसला लिया। इसमें फिर बाद में क्या विवाद हो गया?

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