
शहडोल, मध्य प्रदेश। बांधगवढ़ टाईगर रिजर्व, संजय गांधी टाईगर रिजर्व व पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों का एक जगह से दूसरी जगह तक आने का सिलसिला वर्षाे से चला आया है। कई बार पन्ना के बाघ बांधवगढ़ और बांधवगढ़ के बाघ पन्ना और संजय गांधी टाईगर रिजर्व में देखे गये हैं। सामान्य वन मण्डलों में भी बाघों का कुनबा मौजूद है। बीते कुछ सालों से सिकुड़ता वन क्षेत्र अब बाघों के लिए संकट के बादल ला रहा है। अपना दायरा छोड़ बाघ अब रिहायशी क्षेत्रों की तरफ बढ़ रहे हैं, सेफ टाईगर की मुहीम भी अब कागजों तक सीमित रह गई है।
दूसरी घटना आई सामने :
सप्ताह भर के भीतर बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में बाघ के द्वारा ग्रामीण को घायल करने की दूसरी घटना सामने आई है। बुधवार की शाम रायपुरा बीट के पी-172 कम्पार्टमेंट में बाघ ने गुलजार बैगा नामक चारवाहे पर हमला कर दिया था। रविवार को फिर से एक मामला सामने आया, जिसमें बीट सकरिया के कम्पार्टमेंट नंबर पी-178 में किरकोटहार में बाघ ने सुखदेव बैगा नामक चरवाहे को अपना निशाना बनाया, जिसका उपचार जिला चिकित्सालय में किया जा रहा है।
बाघों के क्षेत्र में बन रहे घरौदें :
बाघ के विचरण वाले इलाकों को अगर देखा जाये तो, यहां पर बेतहाशा बंगलों के अलावा रिसोर्ट और होटलों का भी कब्जा हो चुका है। इतना ही नहीं बाघ अपने कोरिडोर मार्ग पर ही चलता है। रसूखदार, सफेदपोशों ने बाघ के रास्ते पर भी कब्जा कर लिया है। बांधवगढ़ में केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई बड़े राजनेताओं ने आलीशॉन रिसोर्ट बना रखा है। जंगलों का इलाका सिकुडनें की वजह से बाघ वहां से निकलकर आबादी की ओर बढ़ रहे हैं और रिहायशी क्षेत्रों में इनकी आहट भी देखने को मिलने लगी है। एनटीसीए की गाइड लाईन को वन विभाग के अधिकारियों ने दरकिनार कर दिया, जिसका खामियाजा ग्रामीण उठा रहे हैं।
बाघों के लिए कम पड़ रहे जंगल :
द-टाईगर प्रोजेक्ट के नाम से जंगलों में बाघों के संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार राशि तो आवंटित कर रही है, लेकिन धरातल पर पहुंचते-पहुंचते यह राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। ग्लोबल टाईगर फंड से भी पैसा आवंटित होता है, प्रदेश में अच्छे वातावरण के चलते यहां बाघों की जनसंख्या में वृद्धि तो हो रही है, साथ ही सघन जंगल के क्षेत्र में कमी आई है। केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की समीक्षा रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी, जिसमें उल्लेख किया गया था कि जिसमें देश मे कुल 7.08 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है, जिसका लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा अत्यंत कम आच्छादित वन क्षेत्र है, यह बाघ जैसे वन प्राणियों के लिए उचित जगह नहीं है।
तेंदुए ने बछड़े को बनाया निवाला :
पाली वन परिक्षेत्र के बरबसपुर बीट के आर एफ क्रमांक 576 के बंधा के समीप तेंदुए ने बरबसपुर निवासी निर्मल कुमार महरा के बछड़े को निवाला बनाया, वन परिक्षेत्र अधिकारी सचिन सिंह ने बताया की बछड़े का किसी जानवर ने शिकार किया है, आस-पास के पद चिन्हों के अनुसार तेंदुए के द्वारा शिकार किया होना माना जा रहा है, उक्त घटना के बाद वार्ड नंबर 2 के धोरई मोहल्ले में दहशत है।
इनका कहना है :
2016 में केन्द्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए जोनल मास्टर प्लान बनाने के निर्देश दिये थे, जिसकी जिम्मेदारी एमपी टूरिजम को सौंपी गई है। कंस्लटेंट एजेंसी इसका काम कर रही है। सरकार को प्लान को स्वीकृति देना है। जिसके बाद अवैध निर्माण कार्याे पर कार्यवाहियां शुरू होंगी। पूर्व में कुछ नोटिस जारी किये गये थे, अभी जो घटनाएं सामने आ रही हैं, वह धमोखर क्षेत्र से जुड़ी हैं।
वीसेंट रहीम, क्षेत्र संचालक, बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व
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