गुलाम नबी आजाद से राजएक्सप्रेस की खास बातचीत
गुलाम नबी आजाद से राजएक्सप्रेस की खास बातचीतSocial Media

नेताओं ने सम्मान खो दिया, अब उन्हें बोला जाता है चोर, लुटरे, डाकू : गुलाम नबी आजाद

भोपाल, मध्यप्रदेश : राजनीति में अब सुचिता, सज्जनता और सभ्यता के मायने ही नहीं। पुराने भारत को वापस लाना ही होगा पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद से राजएक्सप्रेस की खास बातचीत।

भोपाल, मध्यप्रदेश। आजादी की लड़ाई और उसके बाद लगभग 50 साल के दौरान सक्रिय नेताओं को जनता सम्मान से नेताजी बोलती थी, स्वयं नेताओं ने यह सम्मान खो दिया है। अब जनता नेता का मतलब चोर, लुटेरे और डाकू बोलती और समझती है। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने अपने भोपाल प्रवास के दौरान राज एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कही..।

Q

राजनीति में क्या बदलाव हुआ ?

A

राजनीति में बड़े बदलाव हुए हैं, पहले की राजनीति में पक्ष-विपक्ष मिलकर देश हित में काम करते थे। अलग- अलग दल के नेताओं के बीच सद्भाव हुआ करता था। अब ऐसा नहीं रहा, आजकल की राजनीति में सुचिता, सज्जनता और सभ्यता के मायने ही नहीं रहे। पहले हमारा और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, बीजेपी नेता एलके आडवाणी सहित अन्य दल के नेताओं के बीच बैठना हुआ करता था, हास-परिहास करते थे, लेकिन कोई भी ऐसी बात नहीं बोलता था जिससे किसी के सम्मान को ठेस पहुंचे।

Q

विपक्ष की भूमिका कमजोर हुई है?

A

ये सही है कि विपक्ष की भूमिका काफी हद तक कमजोर हुई है, जिसकी वजह से देश के हालात ठीक नहीं है। विपक्ष का मजबूत होना जरूरी है। विपक्ष मतबूत होगा तो कोई भी हुकूमत बेलगाम नहीं होगी।

Q

आप भारत को कैसा देखना चाहते हैं ?

A

मैं, भारत को पहले जैसा देखना चाहता हूं। जिस भारत में गंगा- जमुनी तहजीब हुआ करती थी। धर्मवाद, जातिवाद, पंतवाद की कट्टारता नहीं थी। सभी धर्म के लोग आपसी भाईचारे को प्राथमिकता देते थे। उस समय भारत टुकड़ों में नहीं बांटा था, अगर फिर वहीं भारत देखने को मिला तो खुशी होगी।

Q

आप गांधी परिवार के काफी नजदीकी रहे?

A

हां, मैं अपने जीवन के लंबे अर्से से गांधी परिवार के काफी नजदीक रहा। कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन मेरे प्रेरणास्त्रोत महात्मा गांधी हैं। महात्मा गांधी के विचारों को ध्यान में रखते हुए ही मैंने राजनीति की है।

Q

आपकी तारीफ मोदी जी भी करते हैं?

A

इसमें क्या बुराई है...। आपकी सफलता है कि आपकी तारीफ विरोधी दल के नेता भी करें और हर वक्त राजनीति की भाषा तो नहीं बोली जा सकती है। मोदी जब दलीय बात करते हैं तो जुबानी हमले भी करते हैं, आपसी सद्भाव का होना जरूरी है। रही बात मेरी बीजेपी में शामिल होने की तो ये बात सिर्फ अफवाह है।

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