बरही : 'बी' ग्रेड प्राप्त शासकीय महाविद्यालय बरही उपेक्षित

कटनी, मध्य प्रदेश : बरही तहसील संपूर्ण कटनी जिले में सबसे समृद्धशाली व सुविकसित तहसील के नाम से जानी जाती है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आज भी बरही बहुत पिछड़ा हुआ है।
'बी' ग्रेड प्राप्त शासकीय महाविद्यालय बरही उपेक्षित
'बी' ग्रेड प्राप्त शासकीय महाविद्यालय बरही उपेक्षितAjay Verma
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कटनी, मध्य प्रदेश। जिले अंतर्गत बरही तहसील संपूर्ण कटनी जिले में सबसे समृद्धशाली व सुविकसित तहसील के नाम से जानी जाती है, यूं तो बरही में अनवरत विकास सभी क्षेत्रों में हुआ लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है। बरही व आस पास के छात्र छात्राओं में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन आर्थिक तंगी के कारण अभिभावक अपने बालक बालिकाओं को शिक्षा के क्षेत्र में थोड़े से ही संतोष करना पड़ता है। शासकीय महाविद्यालय बरही विगत कई वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर विकास की ओर अग्रसर है। विगत वर्षों पूर्व जिस महाविद्यालय में मात्र 400 छात्र छात्राऐं कला संकाय से अध्ययन करते थे, आज उस महाविद्यालय में छात्र छात्राओं की संख्या 2000 से भी अधिक व कला संकाय के साथ, विज्ञान, राजनीति, इतिहास आदि विषयों में स्नाकोत्तर की उपाधि भी इस महाविद्यालय से प्राप्त कर रहे हैं। जिसका संपूर्ण श्रेय निश्चय ही महाविद्यालय में प्राचार्य व प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोगियों को है। जिसका पारितोषिक की रुप में इस महाविद्यालय को 2019-2020, जबलपुर संभाग में ’बी’ ग्रेड प्राप्त हुआ है जो कि निश्चय ही सफलता का पर्याय है। लेकिन छोटे से कस्बे में संचालित इस महाविद्यालय में इतनी अभूतपूर्व सफलता प्राप्त करने के बाद भी शासन-प्रशासन द्वारा इस महाविद्यालय को निरंतर उपेक्षित करना किसी को भी अचंभित कर देता है। इस महाविद्यालय में ऐसी गतिविधियां प्रायः देखने में आयीं हैं जो कि अनायास ही हर व्यक्ति को अचंभित कर देती है।

अतिथियों के भरोसे बरही शासकीय महाविद्यालय :

विगत कई वर्षों से प्रगति के पथ पर अग्रसित शासकीय महाविद्यालय बरही जहां पूर्व में लगभग 400 छात्र छात्राऐं अध्ययनरत थे, वहीं वर्तमान में 2000 छात्र छात्राऐं विभिन्न विषयों में अध्ययनरत हैं, ऐसे प्रगतिशील महाविद्यालय में मात्र 3 नियमित शिक्षक व 12 अतिथि विद्यान शिक्षक की नियुक्ति की गई है, जो कि नाकाफी है। यदि अनुमान लगाया जाये तो प्रति शिक्षक के खाते में लगभग 11 से 14 कक्षाओं का भार रहता है। महाविद्यालय को इस विषम परिस्थितियों में भी ’बी’ ग्रेड प्राप्त होना निश्चय ही प्राचार्यों की मेहनत का प्रतिफल है लेकिन शासन प्रशासन का इन छात्र छात्राओं के भविष्य के प्रति बिल्कुल भी चिंतित नहीं है । यदि होता तो ऐसी विषम परिस्थितियां महाविद्यालय में नहीं होती।

दो हजार छात्र संख्या, कमरे मात्र 6 :

प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय महाविद्यालय बरही में छात्र छात्राओं की संख्या दो हजार से भी अधिक है लेकिन उनके पढ़ाई के लिये कक्षाओं की संख्या महज 6 ही है जिसके कारण एक ही कक्षा में एक ही समय में सैंकड़ों छात्र छात्राओं को भीड़ में पढ़ाया जाना नामुमकिन होता है, कभी-कभी तो लाउडस्पीकर की मदद भी ली जाती है, साथ ही स्नाकोत्तर की पढ़ाई भी जिसमें अग्रेजी, इतिहास, कामर्स, राजनीति जैसे विषयों को एक केबिन नुमा कमरे में कराना निश्चय ही इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। नियमित कक्षाओं को पढ़ने के इच्छुक छात्र छात्राओं को प्रातः 7:30 से सायं 6:20 तक कक्षाओं के इंतजार में महाविद्यालय में ही रहना पड़ता है क्योंकि कक्षाएं जब भी खाली होती हैं तो अतिरिक्त कक्षाएं लगायी जाती हैं। छात्र छात्राओं की ऐसी रुचि देखकर प्राचार्य व स्टाफ भी भरपूर सहयोग करते हैं लेकिन बरही शासकीय महाविद्यालय में लगभग 100 गावों के आसपास के छात्र-छात्राएं दूरदराज से आते हैें जिनमें छात्राएं भी शामिल होती हैं और इतनी सायं तक महाविद्यालय में पढ़ाई के बाद छात्राओं का अपने घर जाना, कभी कभी साधन का न मिलना निश्चय ही अभिभावकों के माथे में चिंता की लकीर खींच देता है, लेकिन मजबूरी का नाम.....

जनभागीदारी समिति लापता, विकास अवरुद्ध :

प्रायः यह देखने में आया कि पूर्व में सभी शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी समिति का चयन प्रशासन की ओर से किया जाता रहा है जिससे की महाविद्यालय में कुछ विकास के कार्य होते रहते थे। इसके पूर्व में सरकार द्वारा महाविद्यालय में जनभागीदारी समिति का चयन कराया गया था जिस पर राजनीति का ग्रहण लगते देर नहीं लगी और जनभागीदारी समिति का आस्तित्व विलोपित हो गया, सरकार को स्थायी हुये लगभग एक वर्ष बीतने को है लेकिन महाविद्यालय में जनभागीदारी समिति का चयन आज तक नहीं हो पाया है जिससे महाविद्यालय का विकास नहीं हो पा रहा है, साथ ही छात्र छात्राओं का जीवन अंधकारमय हो रहा है। शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य आर के वर्मा, आर के त्रिपाठी, श्रीमति उषा विष्ठ, एस एस धुर्वे, पवन महलवंषी, कैलाश कचेर, कुलदीप तिवारी सहित समस्त अध्यापकों ने महाविद्यालय की समस्या से लोगों को अवगत कराते हुए व्यवस्थाऐं व भवन निर्माण विकास हेतु शासन प्रशासन से मांग की है जिससे की छात्र-छात्राओं को उचित शिक्षा व वातावरण प्रदान किया जा सके।

इनका कहना है :

जनभागीदारी की बैठक द्वारा, विचार विमर्श उपरांत प्रस्ताव बनाकर महाविद्यालय में जो भी कमियां हैं वो दूर करने का प्रयास किया जावेगा।

प्रिया चंन्द्रावत, अनुविभागीय अधिकारी, बरही/विजयराघवगढ़

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