मध्य प्रदेश सरकार खोलने जा रही है 3052 डे-केयर सेन्टर
मध्य प्रदेश सरकार खोलने जा रही है 3052 डे-केयर सेन्टर Social Media

मध्य प्रदेश सरकार खोलने जा रही है 3052 डे-केयर सेन्टर

मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में 3052 डे -केयर सेन्टर ''आँगन'' खोलने का फैसला लिया हैं। जानिए आखिर किस के लिए और क्यों खुल रहें ये डे-केयर सेन्टर;

राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश में कुपोषण के शिकार अति कम वजन के बच्चों की सेहत में सुधार लाने के लिए महिला-बाल विकास विभाग द्वारा 3052 डे-केयर सेन्टर ''आँगन'' खोले जाएंगे। आँगन केन्द्रों मे समुदाय स्तर पर ऐसे बच्चों की देखभाल और पोषण प्रबंधन किया जाएगा जो कुपोषण के शिकार हैं । इस व्यवस्था पर लगभग साढ़े चार करोड़ रूपये की राशि खर्च की जाएगी।

डे-केयर सेन्टर ''आँगन'' प्रदेश के उन आँगनवाड़ी केन्द्रों में शुरू किया जाएगा, जिसमें अति कम वजन के कुल 5 अथवा उससे अधिक बच्चे हैं। आँगनवाड़ी केन्द्र पर नियमित रूप से 3 माह तक शिविर लगाए जाएंगे। तीन माह के दौरान प्रत्येक 15 दिन में बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति को फॉलोअप किया जाएगा। यह गतिविधि लक्षित गांव में तीन माह तक सघन रूप से और तीन माह तक पाक्षिक फॉलोअप के रूप में जारी रहेगी।

महिला-बाल विकास मंत्री इमरती देवी आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करते हुए।
महिला-बाल विकास मंत्री इमरती देवी आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करते हुए।Social Media

प्रत्येक ग्राम में ''आँगन'' केन्द्र में सहयोग के लिए पोषण सेविका का चिन्हांकन किया जाएगा। अति कम वजन के बच्चों को प्रतिदिन नाश्ता, भोजन, थर्ड मील और शाम का अतिरिक्त नाश्ता भी दिया जाएगा। ''आँगन'' केन्द्रों का आवश्यकता अनुसार प्रदेश के अन्य जिलों में भी विस्तार किया जाएगा।

भारत में 6-23 महीने के बच्चों में 9.6 प्रतिशत बच्चों को संपूर्ण पोषण आहार नहीं मिलता है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने स्वास्थ के क्षेत्र में पिछली रिपोर्ट के मुकाबले खराब प्रदर्शन किया है। 112 देशों में भारत 102वें स्थान पर है। इसका मतलब है कि भारत बाल मृत्यु दर, कुपोषण जैसे क्षेत्र में सुधार करने में असफल रही है। इस सूची में भारत की रैंकिंग पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है। GHI की रिपोर्ट के अनुसार सभी देशों के मुकाबले भारत ऐसा देश है जहाँ Child Wasting (लंबाई के अनुसार वज़न कम) सबसे ज्यादा है। चाइल्ड वेस्टिंग में भारत को 20.8% अंक मिले हैं। यदि child Stunting (उम्र के हिसाब से लंबाई कम) में भारत 37.9% मिले हैं। स्वास्थ के मद्देनज़र ये प्रतिशत भी काफी ज्यादा है।

ग्लोबल रैंकिंग इंडेक्स ने रैंक देने के अलावा देशों के पिछड़ने के कारण भी बताए हैं। इस रैंकिंग में दक्षिण एशियाई देशों में भारत की रैंक सबसे पीछे है। जिसका कि एक मुख्य कारण भारत की आबादी भी है।

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