भोपाल: राज्यपाल ने 98वीं विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक को संबोधित किया

भोपाल, मध्य प्रदेश : राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि कार्यों में पारदर्शिता, नीति नियम का अक्षरश: पालन सुनिश्चित किया जाए।
राज्यपाल ने 98वीं विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक को किया संबोधित
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भोपाल, मध्य प्रदेश। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि कार्यों में पारदर्शिता, नीति नियम का अक्षरश: पालन सुनिश्चित किया जाए। विश्वविद्यालय परीक्षा प्रक्रिया के पूर्ण होते ही मार्क शीट और प्रमाण पत्र ऑनलाइन उपलब्ध कराएं। ताकि विद्यार्थियों को उच्च अध्ययन अथवा रोजगार संबंधी आवेदनों में किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े। श्रीमती पटेल आज राजभवन में 98वीं विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन, राज्यपाल के प्रमुख सचिव डीपी आहूजा भी मौजूद थे। बैठक में प्रदेश के समस्त शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं उच्चशिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हुए।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि दीक्षांत समारोह का गरिमामय भव्यता के साथ आयोजन होना चाहिए। कार्यक्रम की समस्त गतिविधियां पूर्वनिर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में निश्चित प्रक्रिया निर्धारित करने के निर्देश दिए। निर्माण कार्यों को समय पर पूर्ण करने के साथ ही एजेंडा अनुसार समय सीमा में पालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने पर विशेष बल दिया। उन्होंने विद्यार्थियों के हितों के अनुसार व्यवस्थाएं करने पर बल देते हुए कहा कि किसी एक स्थान पर फीस जमा कर देना विद्यार्थी के पाठ्यक्रम और संस्थान के विकल्पों के चयन में बाधक नहीं हो, ऐसी व्यवस्था की जाए। इसके लिए प्रवेश के समय शुल्क केन्द्रिकृत बैक खाते में जमा कराने संबंधी व्यवस्था का परीक्षण करने के लिए कहा।

नई शिक्षा नीति के अनुरूप हो आत्मनिर्भर होने के लिए पहल :

श्रीमती पटेल ने विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप आत्मनिर्भर होने के लिए पहल करने को कहा। उन्होंने उत्तर प्रदेश के चिकित्सा और तकनीकी विश्वविद्यालय के द्वारा किए गए। आपसी समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों विश्वविद्यालय अपने-अपने संसाधनों के आधार पर उपकरणों के निर्माण, मरम्मत और संसाधनों के उपयोग आदि के कार्य एक दूसरे से करा रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों को कृषि एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ विश्वविद्यालय द्वारा आपसी समझौते पर कार्य कराने की पहल करने के लिए कहा। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों में छात्रों की सहभागिता पर विशेष बल दिया। कहा कि विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक बनाना उनका काम है। अत: परिसर और बाहर के आयोजनों में उनकी सहभागिता कराई जायें। ऐसी गतिविधियों को वार्षिक कैलेंडर में स्पष्ट रुप से उल्लेखित भी किया जाए।

कुलपति टीम बनाकर कार्य करें :

राज्यपाल ने कहा कि कुलपति टीम बनाकर कार्य करें। कई बार अधिनस्थ अधिक जानकारी और अनुभवी होने के कारण संचालन में सहयोगी होते हैं। समिति बनाकर उन्हें दायित्व सौंपे उनके और छात्र प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संवाद के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि स्ववित्त पोषण योजना मंम नये पाठ्यक्रम रोजगारोन्मुखी होने चाहिए पाठ्यक्रमों की स्वीकृति, संचालन, संकाय की नियुक्ति और वेतन आदि व्यवस्थाओं में एकरूपता बनाई जायें। उन्होंने नई नियुक्तियों की प्रक्रिया का पारदर्शिता के साथ पालन किया जाए। समस्त साक्षात्कारों की रिकार्डिग होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे नवाचारों को निरंतरता प्रदान की जानी चाहिए व्यक्ति के परिवर्तन के साथ उन्हें भूलना अनुचित है।

विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा का करें विस्तार : डॉ. यादव

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए तालमेल के साथ कार्य करें। उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग की नवाचारी सोच के साथ प्रयास करें। वर्तमान समय की चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर सकेंगे। जरूरत विश्वविद्यालयों के बीच पारस्परिक समन्वय और सामंजस्य बनाकर एक दूसरे की मदद करने की है। प्रदेश की सकल पंजीयन दर को और अधिक बेहतर बनाने के लिए नियोजित तरीके से प्रयास करने होंगे। दूरस्थ शिक्षा केंद्रों की स्थापना प्रदेश के महाविद्यालयों में की गई है, ऐसे प्रयास विश्वविद्यालयों द्वारा भी किए जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा को विस्तारित करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाएं। उन्होंने विश्वविद्यालय के वित्तीय स्रोतों को बढ़ाने के लिए नई सोच के साथ कार्य करने पर बल दिया। इसके लिए पीपीपी मॉडल के साथ कार्य की दिशा में भी प्रयास किए जाएं। अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा वित्तीय स्रोतों मे वृद्धि के किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए, आय के स्रोतों को विस्तारित करने की जरूरत बताई। उन्होंने विश्वविद्यालय की परीक्षा, फीस इत्यादि विभिन्न व्यवस्थाओं में एकरूपता के लिए समन्वय बनाकर कार्य करने पर बल दिया।

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